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भारत की जनसंख्या नीति (2000) की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिये। जनसंख्या स्थिरीकरण के लिये कुछ उपाय समुझाइये। (200 Words) [UPPSC 2021]
भारत की जनसंख्या नीति (2000): मुख्य विशेषताएँ जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य: भारत की जनसंख्या नीति 2000 का मुख्य उद्देश्य 2045 तक जनसंख्या को स्थिर करना है। इसमें उम्रदराज़ और सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या नियंत्रण को प्राथमिकता दी गई है। प्रजनन स्वास्थ्य: नीति में प्रजनन स्वास्थ्य परRead more
भारत की जनसंख्या नीति (2000): मुख्य विशेषताएँ
जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए उपाय
निष्कर्ष: भारत की जनसंख्या नीति 2000 जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, और प्रेरणा योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने से जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
See lessसमालोचनात्मक परीक्षण कीजिये कि क्या 'भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती हुई जनसंख्या है या जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण गरीबी है'। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत में गरीबी और जनसंख्या वृद्धि: समालोचनात्मक परीक्षण जनसंख्या वृद्धि का कारण गरीबी: कुलीनता: गरीबी के कारण परिवार नियोजन और शिक्षा की कमी होती है, जिससे जन्म दर उच्च रहती है। उदाहरण: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग बड़े परिवार को आर्थिक सुरक्षा का साधन मानते हैRead more
भारत में गरीबी और जनसंख्या वृद्धि: समालोचनात्मक परीक्षण
जनसंख्या वृद्धि का कारण गरीबी:
गरीबी का कारण जनसंख्या वृद्धि:
निष्कर्ष: भारत में गरीबी और जनसंख्या वृद्धि परस्पर संबंधित हैं। गरीबी जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देती है, और तेजी से बढ़ती जनसंख्या गरीबी की समस्या को गहरा करती है। दोनों कारकों के बीच की जटिल कड़ी को समझना और सुधारात्मक नीतियाँ लागू करना आवश्यक है।
See lessक्या कारण है कि भारत के कुछ अत्यधिक समृद्ध प्रदेशों में महिलाओं के लिए प्रतिकूल स्त्री-पुरुष अनुपात है ? अपने तर्क पेश कीजिए । (150 words) [UPSC 2014]
भारत के कुछ अत्यधिक समृद्ध प्रदेशों में महिलाओं के लिए प्रतिकूल स्त्री-पुरुष अनुपात के पीछे कई कारण हैं: आर्थिक और सामाजिक कारक: लिंग चयनात्मक प्रसव: समृद्ध राज्यों में, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा में उन्नति के कारण, लिंग चयनात्मक गर्भपात अधिक आम हो गया है। बेटों की वरीयता और सामाजिक दबाव के कारण लड़कRead more
भारत के कुछ अत्यधिक समृद्ध प्रदेशों में महिलाओं के लिए प्रतिकूल स्त्री-पुरुष अनुपात के पीछे कई कारण हैं:
आर्थिक और सामाजिक कारक:
लिंग चयनात्मक प्रसव: समृद्ध राज्यों में, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा में उन्नति के कारण, लिंग चयनात्मक गर्भपात अधिक आम हो गया है। बेटों की वरीयता और सामाजिक दबाव के कारण लड़कियों का जन्म दर कम हो गया है।
शिक्षा और जागरूकता: उच्च शिक्षा और जागरूकता वाले क्षेत्रों में, महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के बावजूद, यह अक्सर देखा जाता है कि परिवार बेटे की अपेक्षा में लिंग चयनात्मक पद्धतियों को अपनाते हैं।
सामाजिक प्रथाएँ:
पारंपरिक धारणाएँ: समृद्धि के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक धारणाएँ और सांस्कृतिक मान्यताएँ अभी भी बेटों की प्राथमिकता को बढ़ावा देती हैं।
आर्थिक प्रतिस्पर्धा: आर्थिक दबाव और संपत्ति के बंटवारे के डर के कारण, कुछ परिवार लड़कों की अधिक प्राथमिकता देते हैं, जिससे महिलाओं की संख्या में कमी आती है।
इन कारकों के संयोजन ने समृद्ध प्रदेशों में महिलाओं के लिए प्रतिकूल स्त्री-पुरुष अनुपात का कारण बना है।
See lessसमालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये कि क्या बढ़ती हुई जनसंख्या निर्धनता का मुख्य कारण है या कि निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। (200 words) [UPSC 2015]
बढ़ती हुई जनसंख्या और निर्धनता के बीच जटिल संबंध हैं, और यह विवादित प्रश्न है कि क्या बढ़ती जनसंख्या निर्धनता का मुख्य कारण है, या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। इन दोनों तत्वों के बीच अंतरक्रिया के कई पहलू हैं। जनसंख्या वृद्धि और निर्धनता का संबंध: जनसंख्या वृद्धि का निर्धनता पर प्रभाव:Read more
बढ़ती हुई जनसंख्या और निर्धनता के बीच जटिल संबंध हैं, और यह विवादित प्रश्न है कि क्या बढ़ती जनसंख्या निर्धनता का मुख्य कारण है, या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। इन दोनों तत्वों के बीच अंतरक्रिया के कई पहलू हैं।
जनसंख्या वृद्धि और निर्धनता का संबंध:
जनसंख्या वृद्धि का निर्धनता पर प्रभाव:
संसाधनों का दबाव: बढ़ती जनसंख्या संसाधनों पर दबाव डालती है, जिससे भोजन, पानी, और आवास की कमी हो सकती है। इससे निर्धनता की स्थिति बढ़ सकती है क्योंकि सीमित संसाधनों का वितरण अधिक जनसंख्या में हो जाता है।
आर्थिक विकास में बाधा: बड़ी जनसंख्या आर्थिक विकास की गति को धीमा कर सकती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचे में निवेश की कमी के कारण निर्धनता बढ़ सकती है।
स्वास्थ्य समस्याएँ: अधिक जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे गरीब तबके की स्वास्थ्य समस्याएँ और निर्धनता बढ़ सकती है।
निर्धनता का जनसंख्या वृद्धि पर प्रभाव:
सामाजिक और आर्थिक दबाव: निर्धनता में जीवनयापन की कठिनाइयाँ और सीमित संसाधन परिवारों को अधिक संतान पैदा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, ताकि वे अपने बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए अधिक संतान चाहते हैं।
शिक्षा और जागरूकता की कमी: निर्धनता अक्सर शिक्षा और परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता की कमी के साथ जुड़ी होती है। यह अधिक जनसंख्या वृद्धि की ओर ले जाती है, क्योंकि परिवार नियोजन और जन्म दर नियंत्रण की सुविधाओं की उपलब्धता कम होती है।
सामाजिक सुरक्षा: गरीब परिवार अक्सर भविष्य की सुरक्षा के लिए अधिक संतान पैदा करते हैं, जो उनके आर्थिक स्थिति को और खराब कर सकती है।
समालोचनात्मक मूल्यांकन:
यह कहना कि केवल एक कारक निर्धनता का मुख्य कारण या जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है, एकतरफा दृष्टिकोण हो सकता है। वास्तविकता में, ये दोनों कारक आपस में जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
समझना आवश्यक है कि:
संपर्क और परस्पर प्रभाव: जनसंख्या वृद्धि और निर्धनता एक-दूसरे पर प्रभाव डालती हैं, और इन दोनों के बीच एक परस्पर प्रभावकारी संबंध होता है।
See lessसमाधान: निर्धनता और जनसंख्या वृद्धि दोनों को संबोधित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक अवसरों में सुधार शामिल हो।
इस प्रकार, दोनों समस्याओं को एक साथ देखने और समाधान की ओर बढ़ने की आवश्यकता है, बजाय केवल एक को दूसरे का मुख्य कारण मानने के।
प्रवासन गरिमा, सुरक्षा और बेहतर भविष्य के लिए मानवीय आकांक्षा की अभिव्यक्ति है। इसके आलोक में, भारत में आंतरिक प्रवासन की बहुआयामी प्रकृति का परीक्षण कीजिए और विकास के साथ इसके अंतर्निहित संबंधों पर चर्चा कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में आंतरिक प्रवासन एक महत्वपूर्ण और बहुआयामी विषय है, जिसमें प्रवासन गरिमा, सुरक्षा और भविष्य के लिए मानवीय आकांक्षा का प्रकटीकरण होता है। आंतरिक प्रवासन भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लोगों के बीच सांघर्ष और स्रोतों के सामंजस्यपूर्ण उपयोग के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रोRead more
भारत में आंतरिक प्रवासन एक महत्वपूर्ण और बहुआयामी विषय है, जिसमें प्रवासन गरिमा, सुरक्षा और भविष्य के लिए मानवीय आकांक्षा का प्रकटीकरण होता है।
आंतरिक प्रवासन भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लोगों के बीच सांघर्ष और स्रोतों के सामंजस्यपूर्ण उपयोग के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करता है।
भारत में आंतरिक प्रवासन के अंतर्निहित संबंधों की चर्चा आवश्यक है। इससे सामाजिक सांघर्ष को कम करने, भाषा, संस्कृति और समृद्धि के बीच समन्वय बढ़ाने, और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
सुरक्षा मामले में, आंतरिक प्रवासन अवैध गतिविधियों को रोकने और सुरक्षितता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, यह लोगों के बीच सामंजस्यपूर्ण जीवन और सामरिक सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
इस रूप में, भारत में आंतरिक प्रवासन का महत्व और उसके अंतर्निहित संबंधों का महत्वाकांक्षी अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। इससे समृद्धि, सुरक्षा, और सामाजिक सांघर्ष के मामले में सुधार हो सकता है।
See lessभारत में जनसंख्या विस्फोट के कारणों का उल्लेख कीजिए तथा इस समस्या से निपटने के लिए सुझाव दीजिए । (125 Words) [UPPSC 2022]
भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण 1. उच्च जन्म दर: जनसंख्या वृद्धि: पारंपरिक परिवारिक मान्यताओं और परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता की कमी के कारण उच्च जन्म दर एक प्रमुख कारण है। 2. कम मृत्यु दर: स्वास्थ्य सुधार: चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार से मृत्यु दर में कमी आई है, जिससे जीवनकाल बढ़ा औरRead more
भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण
1. उच्च जन्म दर:
2. कम मृत्यु दर:
3. सांस्कृतिक और सामाजिक कारण:
4. शिक्षा की कमी:
समाधान
1. परिवार नियोजन कार्यक्रम:
2. महिला शिक्षा:
3. सरकारी नीतियाँ:
4. स्वास्थ्य सेवाएँ:
निष्कर्ष: भारत में जनसंख्या विस्फोट से निपटने के लिए परिवार नियोजन, शिक्षा, सरकारी नीतियाँ और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना आवश्यक है।
See lessभारत में घटती कुल प्रजनन दर (TFR) का लाभ उठाने के लिए समानांतर रूप से असमान प्रजनन दर पर काबू पाने की भी आवश्यकता है। विवेचना कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में घटती कुल प्रजनन दर (TFR) एक सकारात्मक संकेत है, जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायक है। कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 के करीब पहुँचने पर जनसंख्या स्थिरता की स्थिति में आ सकती है। हालांकि, भारत में प्रजनन दर में असमानता की समस्या को भी संबोधित करने की आवश्यकता है, ताकि समाज में संतुलन औRead more
भारत में घटती कुल प्रजनन दर (TFR) एक सकारात्मक संकेत है, जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायक है। कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 के करीब पहुँचने पर जनसंख्या स्थिरता की स्थिति में आ सकती है। हालांकि, भारत में प्रजनन दर में असमानता की समस्या को भी संबोधित करने की आवश्यकता है, ताकि समाज में संतुलन और समानता सुनिश्चित की जा सके।
असमान प्रजनन दर के कारण:
समाधान के उपाय:
इन उपायों के माध्यम से, भारत में प्रजनन दर की असमानताओं को दूर किया जा सकता है, जो जनसंख्या स्थिरता और सामाजिक समानता को सुनिश्चित करने में मददगार होगा।
See lessजनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिए । (250 words) [UPSC 2021]
जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों और भारत में इसके प्राप्त करने के उपाय जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों: जनसंख्या वृद्धि को समझना: जनसंख्या शिक्षा का एक मुख्य उद्देश्य है जनसंख्या वृद्धि की दर और इसके प्रभावों को समझाना। यह शिक्षा व्यक्तियों को यह समझने में मदद करती है कि जनसंख्या वृद्धि आर्Read more
जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों और भारत में इसके प्राप्त करने के उपाय
जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों:
भारत में जनसंख्या शिक्षा प्राप्त करने के उपाय:
निष्कर्ष:
जनसंख्या शिक्षा के उद्देश्य जनसंख्या वृद्धि की समझ, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन में सुधार, और सतत विकास को प्रोत्साहित करना हैं। भारत में, इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शिक्षा कार्यक्रम, विद्यालय पाठ्यक्रम, मीडिया अभियानों, स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार, और स्थानीय संगठनों के प्रयास किए जा रहे हैं। इन उपायों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास और सुधार की आवश्यकता है।
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