“सूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को स्टील फ्रेम के बाहर आकर निष्ठापूर्वक जनता की सेवा करने के लिये बाध्य किया है।” व्याख्या करें। (200 Words) [UPPSC 2020]
केंद्रीय सतर्कता आयोग: गठन, कार्य और सीमाएँ 1. केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन (Formation): संरचना: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) का गठन सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के तहत किया गया था। इसमें एक मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और नियुक्Read more
केंद्रीय सतर्कता आयोग: गठन, कार्य और सीमाएँ
1. केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन (Formation):
- संरचना: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) का गठन सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के तहत किया गया था। इसमें एक मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और नियुक्ति के लिए एक चयन समिति में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
- उदाहरण: सुरेश एन. पटेल वर्तमान में मुख्य सतर्कता आयुक्त हैं, जबकि जी. एस. माथुर और एम. के. शर्मा सतर्कता आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।
2. केंद्रीय सतर्कता आयोग के कार्य (Functions):
- भ्रष्टाचार निगरानी: CVC केंद्र सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में भ्रष्टाचार पर निगरानी रखता है और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण: दिल्ली शराब नीति घोटाला जैसी भ्रष्टाचार की घटनाओं की जांच में CVC की सक्रिय भूमिका रही है।
- सलाहकारी भूमिका: यह सरकारी अधिकारियों के आचरण और शिकायतों के निवारण पर सलाह देता है।
- उदाहरण: व्हिसलब्लोअर सुरक्षा पर सलाह और दिशा-निर्देश जारी करता है।
3. सीमाएँ (Limitations):
- सीमित अधिकारक्षेत्र: CVC का अधिकारक्षेत्र केवल केंद्रीय सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तक सीमित है, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र को नहीं कवर करता।
- उदाहरण: केरल गोल्ड स्मगलिंग केस में राज्य अधिकारियों की भूमिका को CVC सीधे तौर पर नहीं देख सकता, जिससे इसकी प्रभावशीलता सीमित होती है।
- अन्य एजेंसियों पर निर्भरता: CVC जांच और अभियोजन के लिए अन्य एजेंसियों जैसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) पर निर्भर होता है, जो समय में विलंब और स्वार्थी संघर्ष का कारण बन सकता है।
- उदाहरण: अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला में CVC और CBI के बीच समन्वय की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
निष्कर्ष: केंद्रीय सतर्कता आयोग भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और पारदर्शिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसके सीमित अधिकारक्षेत्र और अन्य एजेंसियों पर निर्भरता इसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।
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सूचना अधिकार अधिनियम और लोकसेवकों की भूमिका 1. सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) का परिचय: सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य लोकसेवकों और सार्वजनिक अधिकारियों से सूचना प्राप्त करना सुलभ बनाना है। यह कानून नागरिकों को सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है और पारदर्शिता और जवाबदेही कोRead more
सूचना अधिकार अधिनियम और लोकसेवकों की भूमिका
1. सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) का परिचय:
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य लोकसेवकों और सार्वजनिक अधिकारियों से सूचना प्राप्त करना सुलभ बनाना है। यह कानून नागरिकों को सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
2. स्टील फ्रेम के बाहर आना:
सूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों के प्रति संवेदनशील किया है। पहले स्टील फ्रेम के रूप में जाने जाने वाले लोकसेवक अब जनता की सेवा के प्रति अधिक निष्ठावान और जवाबदेह बन गए हैं।
2023 में, RTI आवेदन के माध्यम से, दिल्ली में दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 राहत फंड की वित्तीय प्रबंधन की जानकारी प्राप्त की गई। इससे सार्वजनिक धन के सदुपयोग पर पारदर्शिता सुनिश्चित हुई।
3. निष्ठापूर्वक सेवा का उदाहरण:
RTI का उपयोग करके नागरिकों ने शासन की नीतियों और फैसलों पर प्रभावी सवाल उठाए हैं। 2019 में, RTI के तहत प्राप्त जानकारी ने आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के बारे में सामान्य जानकारी सार्वजनिक की।
RTI ने सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार को प्रोत्साहित किया है, जिससे लोकसेवकों को सहयोगी और निष्पक्ष तरीके से काम करने की आदत पड़ी है।
निष्कर्ष:
See lessसूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को स्टील फ्रेम के बाहर निकलकर निष्ठापूर्वक जनता की सेवा करने के लिए बाध्य किया है। यह कानून पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।