राज्य सभा की उन विशिष्ट शक्तियों का वर्णन कीजिये, जो की भारतीय संविधान के अंतर्गत लोकसभा को प्राप्त नहीं हैं।(125 Words) [UPPSC 2018]
अध्यादेशों का उपयोग, विशेषकर भारतीय संविधान के तहत, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है। अध्यादेशों का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 123 और 213 के तहत है, जो राष्ट्रपति और राज्यपाल को विशेष परिस्थितियों में तत्काल कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति आपातकाRead more
अध्यादेशों का उपयोग, विशेषकर भारतीय संविधान के तहत, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है। अध्यादेशों का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 123 और 213 के तहत है, जो राष्ट्रपति और राज्यपाल को विशेष परिस्थितियों में तत्काल कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति आपातकालीन परिस्थितियों में आवश्यक होती है, लेकिन इसके दुरुपयोग की आशंका रहती है।
उच्चतम न्यायालय ने कई बार इस शक्ति के दुरुपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने तय किया है कि अध्यादेशों का उपयोग तब किया जा सकता है जब वास्तव में तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता हो और जब विधायिका का सत्र न हो। न्यायालय ने यह भी कहा है कि अध्यादेशों का दुरुपयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए, और उनका उद्देश्य न केवल तात्कालिक कानून बनाना बल्कि स्थायी कानूनों को लागू करना भी नहीं होना चाहिए।
इसलिए, अध्यादेशों की शक्ति का निरसन नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक आवश्यक संवैधानिक प्रावधान है। लेकिन, इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़ी निगरानी और कानूनी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका उपयोग संविधान की भावना के अनुसार ही हो।
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राज्य सभा की विशिष्ट शक्तियाँ संकल्प और संशोधन प्रस्ताव: राज्य सभा केवल संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर प्रस्तावना और सहमति देने में सक्रिय भूमिका निभाती है। लोकसभा इस प्रक्रिया में स्वतंत्र होती है, लेकिन राज्य सभा के बिना संशोधन लागू नहीं हो सकता। नियुक्ति की शक्ति: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सदस्योंRead more
राज्य सभा की विशिष्ट शक्तियाँ
निष्कर्ष: राज्य सभा की विशिष्ट शक्तियाँ संविधान संशोधन, नियुक्तियाँ, और वित्तीय बिलों पर सीमित भूमिका निभाती हैं, जो लोकसभा के अधिकारों से भिन्न हैं।
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