1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से, भारत विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरा। कारण दीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत में मानव विकास आर्थिक विकास के साथ कदमताल करने में विफल होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: असमानता: भारत में आर्थिक विकास के लाभ समाज के विभिन्न वर्गों में असमान रूप से वितरित हुए हैं। उच्च आर्थिक वृद्धि दर के बावजूद, गरीब और पिछड़े क्षेत्रों को इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिला, जिससे सामाजिक और आरRead more
भारत में मानव विकास आर्थिक विकास के साथ कदमताल करने में विफल होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- असमानता: भारत में आर्थिक विकास के लाभ समाज के विभिन्न वर्गों में असमान रूप से वितरित हुए हैं। उच्च आर्थिक वृद्धि दर के बावजूद, गरीब और पिछड़े क्षेत्रों को इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिला, जिससे सामाजिक और आर्थिक असमानता बढ़ी है।
- शिक्षा और कौशल: आर्थिक विकास के बावजूद, शिक्षा और कौशल विकास की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। गुणवत्ता वाली शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की कमी के कारण रोजगार और उत्पादकता में वृद्धि सीमित रही, जिससे मानव विकास के संकेतक प्रभावित हुए हैं।
- स्वास्थ्य सेवाएँ: स्वास्थ्य क्षेत्र में अनियमितताओं और अव्यवस्थाओं ने मानव विकास के सूचकांकों को प्रभावित किया है। गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सीमित है, जिसके कारण जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य संकेतक अपेक्षित स्तर पर नहीं पहुँच सके हैं।
- सामाजिक सेवाएँ: सामाजिक सुरक्षा, गरीबों के लिए कल्याण योजनाओं और बुनियादी ढांचे की कमी ने मानव विकास को प्रभावित किया है। इन सेवाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में कमी के कारण सामाजिक समावेशिता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पाया है।
- संस्थागत समस्याएँ: शासन की अक्षमता, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कुप्रबंधन ने विकास कार्यों को बाधित किया है। प्रभावी नीतियों और उनके कार्यान्वयन की कमी के कारण विकास के लाभ जनसंख्या के बड़े हिस्से तक नहीं पहुँच सके हैं।
- ग्रामीण-शहरी विभाजन: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच विकास की असमानता ने मानव विकास को प्रभावित किया है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर सुविधाएँ और अवसर होने के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सेवाओं की कमी बनी रही है।
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, भारत को समग्र विकास की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और प्रशासनिक सुधार शामिल हैं।
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1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से भारत के विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
इन कारणों के परिणामस्वरूप, भारत ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की और वैश्विक खाद्य बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया।
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