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गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
गोंडवानालैंड के देशों में भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में कम योगदान खनन संसाधनों की प्रचुरता: भौगोलिक विशेषता: भारत गोंडवानालैंड के प्राचीन भाग में स्थित है, जहाँ खनिज संसाधनों की प्रचुरता है। इसके बावजूद, खनिज जैसे कोयला, लौह अयस्क, और बauxite का जी.डी.पी. में योगदान अपेक्षाकृत कम है। संघर्ष औरRead more
गोंडवानालैंड के देशों में भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में कम योगदान
खनन संसाधनों की प्रचुरता:
संघर्ष और अवसंरचना:
आर्थिक और पर्यावरणीय कारण:
इन कारणों से, भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में योगदान अपेक्षाकृत कम है, जबकि गोंडवानालैंड में खनिज संसाधनों की प्रचुरता मौजूद है।
See lessहिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर स्पष्ट कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर हिमालय क्षेत्र में भू-स्खलनों के कारण: भौगोलिक विशेषताएँ: हिमालय क्षेत्र में तीव्र ढलान और युवा पर्वत निर्माण के कारण भूमि अस्थिर रहती है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कई भूस्खलन हाल ही में देखे गए हैं, जो इन विशेषताओं का परRead more
हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर
हिमालय क्षेत्र में भू-स्खलनों के कारण:
पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के कारण:
इन दोनों क्षेत्रों में भू-स्खलनों के कारण भौगोलिक, जलवायु, और मानवजनित कारकों में स्पष्ट अंतर हैं, जो उनकी भूस्खलन की प्रकृति को प्रभावित करते हैं।
See lessलौह खनिज क्या हैं? भारत में लौह अयस्क के वितरण का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
लौह खनिज, जो मुख्यतः लौह अयस्क के रूप में पाए जाते हैं, वे खनिज हैं जिनमें लौह की पर्याप्त मात्रा होती है और जिन्हें धातु उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है। लौह अयस्क मुख्यतः हेमाटाइट (Fe2O3), मैग्नेटाइट (Fe3O4), और लिमोनाइट (FeO(OH)·nH2O) के रूप में पाया जाता है। भारत में लौह अयस्क का वितरण प्रमुखRead more
लौह खनिज, जो मुख्यतः लौह अयस्क के रूप में पाए जाते हैं, वे खनिज हैं जिनमें लौह की पर्याप्त मात्रा होती है और जिन्हें धातु उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है। लौह अयस्क मुख्यतः हेमाटाइट (Fe2O3), मैग्नेटाइट (Fe3O4), और लिमोनाइट (FeO(OH)·nH2O) के रूप में पाया जाता है।
भारत में लौह अयस्क का वितरण प्रमुख रूप से चार प्रमुख क्षेत्रों में होता है:
इन क्षेत्रों में लौह अयस्क की उच्च गुणवत्ता और भरपूर मात्रा के कारण भारत लौह अयस्क के उत्पादन में अग्रणी देशों में शामिल है।
See lessभारत में पवन ऊर्जा की संभावना का परीक्षण कीजिए एवं उनके सीमित क्षेत्रीय विस्तार के कारणों को समझाइए । (150 words)[UPSC 2022]
भारत में पवन ऊर्जा की संभावना संभावना: भारत में पवन ऊर्जा की व्यापक संभावनाएं हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के तटीय क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छा पवन ऊर्जा पोटेंशियल मौजूद है। तमिलनाडु, गुजरात, और कर्नाटका में पवन ऊर्जा परियोजनाएं सफल रही हैं। तमिलनाडु में, मरीना के पास पवन फार्म से पर्याप्त ऊर्जRead more
भारत में पवन ऊर्जा की संभावना
संभावना: भारत में पवन ऊर्जा की व्यापक संभावनाएं हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के तटीय क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छा पवन ऊर्जा पोटेंशियल मौजूद है। तमिलनाडु, गुजरात, और कर्नाटका में पवन ऊर्जा परियोजनाएं सफल रही हैं। तमिलनाडु में, मरीना के पास पवन फार्म से पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त होती है, जबकि गुजरात और कर्नाटका में भी कई प्रमुख परियोजनाएं संचालित हैं।
सीमित क्षेत्रीय विस्तार के कारण:
निष्कर्ष: हालांकि भारत में पवन ऊर्जा की संभावनाएँ उच्च हैं, लेकिन पवन ऊर्जा का क्षेत्रीय विस्तार भौगोलिक और नीतिगत कारणों से सीमित है। बेहतर नीतिगत समर्थन और तकनीकी नवाचार इस क्षेत्र की वृद्धि में सहायक हो सकते हैं।
See less1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से, भारत विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरा। कारण दीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
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1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से भारत के विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
इन कारणों के परिणामस्वरूप, भारत ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की और वैश्विक खाद्य बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया।
See lessभारत में मानव विकास आर्थिक विकास के साथ कदमताल करने में विफल क्यों हुआ? (250 words) [UPSC 2023]
भारत में मानव विकास आर्थिक विकास के साथ कदमताल करने में विफल होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: असमानता: भारत में आर्थिक विकास के लाभ समाज के विभिन्न वर्गों में असमान रूप से वितरित हुए हैं। उच्च आर्थिक वृद्धि दर के बावजूद, गरीब और पिछड़े क्षेत्रों को इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिला, जिससे सामाजिक और आरRead more
भारत में मानव विकास आर्थिक विकास के साथ कदमताल करने में विफल होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, भारत को समग्र विकास की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और प्रशासनिक सुधार शामिल हैं।
See lessभारत में प्राकृतिक वनस्पति की विविधता के लिए उत्तरदायी कारकों को पहचानिए और उनकी विवेचना कीजिए। भारत के वर्षा-वन क्षेत्रों में वन्यजीव अभयारण्यों के महत्त्व का आकलन कीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत में प्राकृतिक वनस्पति की विविधता के लिए उत्तरदायी कारक: जलवायु: भारत में वनस्पति की विविधता मुख्यतः जलवायु पर निर्भर करती है। उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण विभिन्न प्रकार के वनस्पति पनपते हैं। जैसे कि, गहरे और लगातार वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा वन होते हैं, जबकि सूखा और ठंडीRead more
भारत में प्राकृतिक वनस्पति की विविधता के लिए उत्तरदायी कारक:
वर्षा-वन क्षेत्रों में वन्यजीव अभयारण्यों का महत्त्व:
इन कारणों से, वर्षा-वन क्षेत्रों में वन्यजीव अभयारण्यों की स्थापना और संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल वन्यजीवों के जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के संरक्षण में भी योगदान करता है।
See lessभारत में आई.टी. & बी.पी.एम. (बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट) उद्योग की स्थिति का संक्षिप्त विवरण दीजिए। साथ ही, विभिन्न भारतीय शहरों में आई.टी. हब की अवस्थिति का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कारकों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
**भारत में आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग की स्थिति:** भारत का आई.टी. और बी.पी.एम. (बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट) उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रमुख स्थान रखता है। यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है और विदेशी मुद्रा अर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 1. **वृद्धि और विकास**: भारत काRead more
**भारत में आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग की स्थिति:**
भारत का आई.टी. और बी.पी.एम. (बिजनेस प्रॉसेस मैनेजमेंट) उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रमुख स्थान रखता है। यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है और विदेशी मुद्रा अर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
1. **वृद्धि और विकास**: भारत का आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग विश्व के सबसे तेजी से विकसित होने वाले सेक्टरों में से एक है। 2024 तक, भारतीय आई.टी. उद्योग की अनुमानित वृद्धि $250 अरब से अधिक हो सकती है। बी.पी.एम. क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें क्लाउड सेवाएँ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और डेटा एनालिटिक्स शामिल हैं।
2. **नौकरियों का सृजन**: यह उद्योग लाखों रोजगार अवसर प्रदान करता है और युवा पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण रोजगार क्षेत्र है।
3. **आयात और निर्यात**: भारत का आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग वैश्विक बाजार में प्रमुख निर्यातक है, खासकर अमेरिका, यूरोप और एशिया के देशों के लिए।
**आई.टी. हब की अवस्थिति में महत्वपूर्ण कारक:**
1. **शिक्षा और कौशल**: आई.टी. हब की सफलता में स्थानीय शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता और तकनीकी कौशल की उपलब्धता महत्वपूर्ण होती है। बेंगलुरु, हैदराबाद, और पुणे जैसे शहरों में कई शीर्ष तकनीकी संस्थान हैं।
2. **वेतन और जीवन यापन की लागत**: कम वेतन और जीवन यापन की लागत वाले शहरों में आई.टी. कंपनियाँ अपने संचालन को महंगे शहरों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकती हैं। चेन्नई और अहमदाबाद जैसे शहर इसमें शामिल हैं।
3. **इन्फ्रास्ट्रक्चर**: एक अच्छा आई.टी. हब शहर में उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे कि उच्च गति इंटरनेट, सस्ती और सुलभ परिवहन सुविधाएँ, और आधुनिक कार्यालय भवन होना चाहिए।
4. **सरकारी नीतियाँ और प्रोत्साहन**: राज्य सरकारें और केंद्र सरकार आई.टी. क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष नीतियाँ और प्रोत्साहन प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, बेंगलुरु और हैदराबाद में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) और आई.टी. पार्कों की स्थापना ने इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया है।
5. **लॉजिस्टिक सपोर्ट**: बेहतर लॉजिस्टिक और परिवहन नेटवर्क भी आई.टी. हब के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इन कारकों के संयोजन से भारत के विभिन्न शहरों में आई.टी. हब का विकास हुआ है, जो देश को वैश्विक आई.टी. और बी.पी.एम. उद्योग में प्रमुख स्थान पर ले जा रहा है।
See lessतेल और गैस पाइपलाइन को अर्थव्यवस्था की धमनी माना जाता है। इस संदर्भ में, भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति पर प्रकाश डालिए। साथ ही, पाइपलाइन परिवहन के लाभ और हानियों को भी सूचीबद्ध कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
तेल और गैस पाइपलाइन को अर्थव्यवस्था की धमनी माना जाता है, क्योंकि ये ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति और वितरण की रीढ़ होती हैं। भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति तेजी से विकसित हो रही है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। **भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति:** 1. **विRead more
तेल और गैस पाइपलाइन को अर्थव्यवस्था की धमनी माना जाता है, क्योंकि ये ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति और वितरण की रीढ़ होती हैं। भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति तेजी से विकसित हो रही है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
**भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की स्थिति:**
1. **विस्तार और नेटवर्क**: भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क की लंबाई 20,000 किलोमीटर से अधिक है। इसमें प्रमुख पाइपलाइनों में क्रूड पाइपलाइन, गैस पाइपलाइन और उत्पाद पाइपलाइन शामिल हैं। प्रमुख पाइपलाइन नेटवर्कों में जामनगर-दीव, सिलीगुड़ी-बारपेटा, और धुबरी-नवगांव शामिल हैं।
2. **भौगोलिक विस्तार**: पाइपलाइनों का नेटवर्क देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है, जैसे कि उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम, जिससे ऊर्जा संसाधनों का वितरण सुगम होता है।
3. **निवेश और परियोजनाएँ**: भारत सरकार ने नई पाइपलाइन परियोजनाओं के लिए निवेश किया है, जैसे कि पूर्वी भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क का विस्तार और सीमा क्षेत्रों में नई पाइपलाइनों की स्थापना।
**पाइपलाइन परिवहन के लाभ:**
1. **स्थिर और विश्वसनीय आपूर्ति**: पाइपलाइन परिवहन ऊर्जा संसाधनों की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करता है, जो ऊर्जा की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
2. **निम्न लागत**: एक बार स्थापित होने के बाद, पाइपलाइन परिवहन की लागत अपेक्षाकृत कम होती है, क्योंकि इसमें परिवहन के लिए कम ऑपरेशनल लागत होती है।
3. **कम पर्यावरणीय प्रभाव**: अन्य परिवहन तरीकों की तुलना में, पाइपलाइन से कम ऊर्जा की खपत और प्रदूषण होता है।
**पाइपलाइन परिवहन की हानियाँ:**
1. **उच्च प्रारंभिक निवेश**: पाइपलाइन निर्माण में अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होती है, जो परियोजनाओं की लागत को बढ़ा सकती है।
2. **पर्यावरणीय जोखिम**: पाइपलाइन लीकेज या दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप पर्यावरणीय क्षति हो सकती है, जैसे कि तेल रिसाव या गैस विस्फोट।
3. **सामाजिक और भूमि उपयोग संघर्ष**: पाइपलाइन निर्माण से भूमि अधिग्रहण और स्थानीय समुदायों के साथ संघर्ष हो सकते हैं, जो परियोजनाओं में देरी का कारण बन सकते हैं।
4. **आत्मनिर्भरता की कमी**: एक बार स्थापित होने के बाद, पाइपलाइन नेटवर्क की उपयोगिता बदलने में कठिनाई हो सकती है, जिससे नई ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में लचीलापन कम हो सकता है।
इन लाभों और हानियों को ध्यान में रखते हुए, भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क का विकास और प्रबंधन निरंतर संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
See lessभारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की उपलब्धता का वर्णन करते हुए, उनके महत्व के साथ-साथ उनके अन्वेषण से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स एक महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन के रूप में उभर रहे हैं। ये हाइड्रेट्स मुख्यतः समुद्री तल पर ठंडे और उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां मेथेन गैस और पानी क्रिस्टलीय संरचना में बंधे होते हैं। भारत के पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तटों के साथ-साथ अंडमान और निकोबारRead more
भारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स एक महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन के रूप में उभर रहे हैं। ये हाइड्रेट्स मुख्यतः समुद्री तल पर ठंडे और उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां मेथेन गैस और पानी क्रिस्टलीय संरचना में बंधे होते हैं। भारत के पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तटों के साथ-साथ अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं।
**महत्व:**
1. **ऊर्जा सुरक्षा**: प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स विशाल ऊर्जा स्रोत प्रदान करते हैं, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं। यह पारंपरिक तेल और गैस स्रोतों की कमी को पूरा करने में सहायक हो सकता है।
2. **आर्थिक लाभ**: गैस हाइड्रेट्स का सफल अन्वेषण और दोहन आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है, जिससे ऊर्जा की आपूर्ति में स्वदेशी संसाधनों का योगदान बढ़ेगा।
3. **पर्यावरणीय लाभ**: प्राकृतिक गैस, जब इसे कोयले के मुकाबले जलाया जाता है, तो इसमें कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
**चुनौतियाँ:**
1. **तकनीकी कठिनाइयाँ**: गैस हाइड्रेट्स की खोज और दोहन के लिए अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता होती है, जो उच्च लागत और जटिलता के साथ आती है। समुद्री तलों पर गहराई और ठंडे तापमान के कारण यह कार्य कठिन होता है।
2. **पर्यावरणीय चिंताएँ**: हाइड्रेट्स के अन्वेषण और दोहन से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि बर्फ की परतों का नुकसान और समुद्री जीवन के लिए खतरा।
3. **अन्वेषण और अनुसंधान की कमी**: भारत में गैस हाइड्रेट्स पर पर्याप्त अनुसंधान और अन्वेषण की कमी है, जिससे उनकी संभावनाओं का पूर्ण आकलन करना मुश्किल होता है।
4. **वित्तीय बाधाएँ**: गैस हाइड्रेट्स के अन्वेषण और दोहन में उच्च लागत शामिल होती है, जिससे निजी और सरकारी क्षेत्र के लिए इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण से लाभकारी बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इन चुनौतियों के बावजूद, यदि भारत इन समस्याओं को हल करने में सफल होता है, तो प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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