भारत में भूकम्प पेटियों का वर्णन कीजिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन के भिन्नताएँ पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन दोनों ही क्षेत्रों में पृथ्वी की तंत्रिका क्षमता के परिणाम स्वरूप होते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण भिन्नताएँ होती हैं। क्षेत्र: पश्चिमी घाट: यह भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है और यहाँ का भूस्खलनRead more
पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन के भिन्नताएँ
पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन दोनों ही क्षेत्रों में पृथ्वी की तंत्रिका क्षमता के परिणाम स्वरूप होते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण भिन्नताएँ होती हैं।
- क्षेत्र:
- पश्चिमी घाट: यह भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है और यहाँ का भूस्खलन अक्सर तल के करीबी क्षेत्रों में होता है।
- हिमालय: यह बड़े हिमालय पर्वत क्षेत्र में स्थित है और यहाँ के भूस्खलन अक्सर ऊँचाई और शिखरों के निकट होते हैं।
- कारण:
- पश्चिमी घाट: यहाँ के भूस्खलन अक्सर तकनीकी गतिविधियों, जैसे खनन, परियोजनाएं, और जल संचार के कारण होते हैं।
- हिमालय: यहाँ के भूस्खलन अक्सर तंत्रिका क्षमता और पर्वतीय स्थिति के कारण होते हैं।
- प्रभाव:
- पश्चिमी घाट: यह भूस्खलन सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को उत्पन्न कर सकता है।
- हिमालय: इस क्षेत्र में भूस्खलन अक्सर भूगर्भीय क्रियाओं के कारण ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
इन भिन्नताओं के बावजूद, भूस्खलन दोनों क्षेत्रों में जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं और सावधानी बरतनी चाहिए।
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भारत में भूकम्प पेटियाँ 1. हिमालयी पेटी: हिमालयी पेटी भारत के सबसे सक्रिय भूकम्प क्षेत्रों में से एक है। यहाँ भारतीय प्लेट और एशियाई प्लेट के बीच टकराव के कारण भूकम्पीय गतिविधियाँ होती हैं। इस पेटी में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड शामिल हैं। उदाहरण के लिए, 2015 नेपाल भूकम्प ने उत्तर भारRead more
भारत में भूकम्प पेटियाँ
1. हिमालयी पेटी: हिमालयी पेटी भारत के सबसे सक्रिय भूकम्प क्षेत्रों में से एक है। यहाँ भारतीय प्लेट और एशियाई प्लेट के बीच टकराव के कारण भूकम्पीय गतिविधियाँ होती हैं। इस पेटी में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड शामिल हैं। उदाहरण के लिए, 2015 नेपाल भूकम्प ने उत्तर भारत के हिस्सों को भी प्रभावित किया और इसकी तीव्रता ने इस पेटी की भूकम्पीय संवेदनशीलता को उजागर किया।
2. उत्तर-पूर्वी पेटी: उत्तर-पूर्वी पेटी में असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, और मिजोरम शामिल हैं। यह क्षेत्र भारतीय प्लेट, बर्मी प्लेट, और चाइना प्लेट के जटिल टेक्टोनिक सेटिंग्स के कारण भूकम्पीय रूप से सक्रिय है। 2004 मणिपुर भूकम्प और 2011 सिक्किम भूकम्प इस पेटी में हुए प्रमुख भूकम्प हैं।
3. कच्छ पेटी: कच्छ पेटी गुजरात में स्थित है और यहाँ भारतीय प्लेट के कच्छ रिफ्ट जोन के कारण भूकम्पीय गतिविधियाँ होती हैं। 2001 भुज भूकम्प इस पेटी का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसने व्यापक नुकसान और जानमाल की हानि की।
4. पश्चिमी घाट और तटीय क्षेत्र: पश्चिमी घाट और तटीय क्षेत्र जैसे मुंबई और गोवा में भूकम्पीय गतिविधियाँ अपेक्षाकृत कम होती हैं, लेकिन यहाँ भी कभी-कभार भूकम्प हो सकते हैं। 1993 लातूर भूकम्प ने महाराष्ट्र में इस क्षेत्र की भूकम्पीय संवेदनशीलता को दिखाया।
5. प्रायद्वीपीय भारत: प्रायद्वीपीय भारत अपेक्षाकृत कम भूकम्पीय गतिविधि वाला क्षेत्र है, लेकिन यहाँ भी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में मध्यम भूकम्प हो सकते हैं। 1967 कोयनानगर भूकम्प महाराष्ट्र में हुआ एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
निष्कर्ष: भारत की भूकम्प पेटियाँ हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, और गुजरात में प्रमुख हैं, जिनमें भूकम्पीय गतिविधियाँ विभिन्न स्तरों पर होती हैं। इन पेटियों की समझ से भूकम्पीय आपदाओं के प्रबंधन और तैयारी में मदद मिलती है।
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