Home/भारत का भूगोल/Page 5
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भारत में संधारणीय पर्यटन के संबंध में क्षेत्र-विशिष्ट बाधाओं का एक समालोचनात्मक विवरण दीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में संधारणीय पर्यटन (Sustainable Tourism) की वृद्धि के बावजूद, विभिन्न क्षेत्रों में इसे अपनाने में कई बाधाएँ सामने आती हैं। इन बाधाओं का क्षेत्र-विशिष्ट विवरण निम्नलिखित है: 1. हिमालयी क्षेत्र: अत्यधिक पर्यटकों की भीड़: ऊँचाई पर स्थित पर्यटन स्थल जैसे मनाली, शिमला, और दार्जिलिंग में अत्यधिक परRead more
भारत में संधारणीय पर्यटन (Sustainable Tourism) की वृद्धि के बावजूद, विभिन्न क्षेत्रों में इसे अपनाने में कई बाधाएँ सामने आती हैं। इन बाधाओं का क्षेत्र-विशिष्ट विवरण निम्नलिखित है:
1. हिमालयी क्षेत्र:
2. तटीय क्षेत्र:
3. रेगिस्तानी क्षेत्र:
4. जंगल और वन क्षेत्र:
5. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल:
इन बाधाओं को दूर करने के लिए, सभी स्तरों पर एकीकृत प्रयास, नीति निर्माण, और स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग की आवश्यकता है, ताकि पर्यटन को पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से टिकाऊ बनाया जा सके।
See lessभारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना के लिए उत्तरदायी कारणों की व्याख्या कीजिए। साथ ही, संपूर्ण राष्ट्र और विशेष रूप से द्वीपीय समुदाय के लिए इसके संभावित प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना की प्रमुख वजहें जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से जुड़ी हैं। कारण: जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय बर्फ और ग्लेशियरों का पिघलना समुद्र स्तर को बढ़ाता है। यह उच्च समुद्री स्तर की स्थिति को जन्म देता है, जो द्Read more
भारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना की प्रमुख वजहें जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से जुड़ी हैं।
कारण:
संभावित प्रभाव:
राष्ट्र पर प्रभाव:
विशेषकर द्वीपीय समुदाय पर प्रभाव:
इन सभी कारणों और प्रभावों के कारण, द्वीपों के संरक्षण के लिए प्रभावी जलवायु नीतियाँ और तटीय प्रबंधन आवश्यक हैं, ताकि इन समस्याओं को न्यूनतम किया जा सके और द्वीपीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
See less2050 तक भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से के शहरों में रहने की उम्मीद है। इस संदर्भ में, देश में समावेशी, लचीले और संधारणीय शहर के निर्माण में शहरी हरित स्थानों की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
2050 तक भारत की शहरी आबादी में भारी वृद्धि के साथ, समावेशी, लचीले और संधारणीय शहरों का निर्माण अत्यावश्यक हो जाएगा। शहरी हरित स्थान, जैसे पार्क, उद्यान, और हरित गलियारे, इन शहरों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये स्थान न केवल शहरी तापमान को नियंत्रित करते हैं, बल्कि वायु गुणवत्ता में सुधRead more
2050 तक भारत की शहरी आबादी में भारी वृद्धि के साथ, समावेशी, लचीले और संधारणीय शहरों का निर्माण अत्यावश्यक हो जाएगा। शहरी हरित स्थान, जैसे पार्क, उद्यान, और हरित गलियारे, इन शहरों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये स्थान न केवल शहरी तापमान को नियंत्रित करते हैं, बल्कि वायु गुणवत्ता में सुधार, जल संचयन, और जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं।
हरित स्थान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं, जो समुदायों को एकजुट करने और सामाजिक समावेशन को प्रोत्साहित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, ये स्थान शहरी क्षेत्रों को प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़ और गर्मी की लहरों, के प्रति अधिक लचीला बनाते हैं।
इसलिए, शहरी नियोजन में हरित स्थानों का समावेश, भविष्य के शहरों को संधारणीय और रहने योग्य बनाने के लिए आवश्यक है। इससे आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संतुलन के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सकेगा।
See lessभारत में ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2022]
भारत में ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले कारक भारत में ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना निम्नलिखित है: भौतिक कारक: भू-आकृति: भू-आकृति का影响 अधिवासों के स्वरूप पर पड़ता है। मौसम: मौसम की स्थिति से जुड़े कार्यों के चयन में योगदान देती है। पानी संसाRead more
भारत में ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले कारक
भारत में ग्रामीण अधिवासों के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना निम्नलिखित है:
भौतिक कारक:
आर्थिक कारक:
सामाजिक कारक:
सांस्कृतिक कारक:
सरकारी नीतियाँ:
भारत के पास 1,80,000 मेगावाट महासागरीय तापीय ऊर्जा उत्पादित करने की क्षमता है, हालांकि, इस दिशा में प्रगति धीमी रही है। इस संदर्भ में, संबंधित चुनौतियों को रेखांकित कीजिए और सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं। चुनौतियाँ: तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियाँ: महासागरीय तापीय ऊर्जा प्रणाली की डिजाइन और संचालन जटिल होते हैं, जिसमें गहरे समुद्र में उपकरणों को स्थापित करना और उनकी दीर्घकालिक स्थिरताRead more
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
चुनौतियाँ:
सुधारात्मक उपाय:
इन उपायों को अपनाकर, भारत महासागरीय तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता को पूरी तरह से उपयोग कर सकता है और सतत ऊर्जा उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।
See less"सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्रों के रूप में नगरों की संवृद्धि ने रोज़गार के नए मार्ग खोल दिए हैं, परन्तु साथ में नई समस्याएँ भी पैदा कर दी हैं।" उदाहरणों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिए । (250 words) [UPSC 2017]
सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) केन्द्रों के रूप में नगरों की संवृद्धि ने रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए हैं, लेकिन इसके साथ कई समस्याएँ भी उभरकर सामने आई हैं। इस कथन की पुष्टि निम्नलिखित उदाहरणों और विश्लेषण से की जा सकती है: रोज़गार के नए मार्ग: नौकरी के अवसर: उदाहरण: बेंगलुरु, हैदराबाद, और पुणे जैसे शRead more
सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) केन्द्रों के रूप में नगरों की संवृद्धि ने रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए हैं, लेकिन इसके साथ कई समस्याएँ भी उभरकर सामने आई हैं। इस कथन की पुष्टि निम्नलिखित उदाहरणों और विश्लेषण से की जा सकती है:
रोज़गार के नए मार्ग:
नई समस्याएँ:
इन समस्याओं को संबोधित करने के लिए शहरी योजना और सतत विकास रणनीतियों की आवश्यकता है, ताकि आई.टी. केन्द्रों के विकास का लाभ व्यापक रूप से समाज के विभिन्न हिस्सों को मिल सके।
See less'दक्कन ट्रैप' की प्राकृतिक संसाधन-सम्भावनाओं की चर्चा कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
प्राथमिक चट्टानें, जिन्हें आग्नेय या इग्नियस चट्टानें भी कहा जाता है, वे चट्टानें हैं जो मैग्मा या लावा के ठोस होने से बनती हैं। इनकी विशेषताएँ और प्रकार निम्नलिखित हैं: विशेषताएँ: रूप: ये चट्टानें अक्सर कणों की संरचना में होते हैं और इनके ठोस होने का समय आग्नेय प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है। संघटन:Read more
प्राथमिक चट्टानें, जिन्हें आग्नेय या इग्नियस चट्टानें भी कहा जाता है, वे चट्टानें हैं जो मैग्मा या लावा के ठोस होने से बनती हैं। इनकी विशेषताएँ और प्रकार निम्नलिखित हैं:
विशेषताएँ:
प्रकार:
प्राथमिक चट्टानें पृथ्वी की सतह के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और इनकी संरचना से भूगर्भीय प्रक्रियाओं की जानकारी मिलती है।
See lessकृषि में मृदा प्रोफाइल एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्या आप सहमत हैं ? (125 Words) [UPPSC 2023]
कृषि में मृदा प्रोफाइल की भूमिका 1. उर्वरता निर्धारण: मृदा प्रोफाइल में मृदा की परतें और उनकी संरचना उर्वरता को निर्धारित करती हैं। ऊपरी परत में ह्यूमस और पोषक तत्वों की उपलब्धता फसलों की वृद्धि पर सीधा असर डालती है। 2. जल संचयन: मृदा प्रोफाइल का जल धारण क्षमता फसलों की जल आपूर्ति और सिंचाई की आवश्यRead more
कृषि में मृदा प्रोफाइल की भूमिका
1. उर्वरता निर्धारण: मृदा प्रोफाइल में मृदा की परतें और उनकी संरचना उर्वरता को निर्धारित करती हैं। ऊपरी परत में ह्यूमस और पोषक तत्वों की उपलब्धता फसलों की वृद्धि पर सीधा असर डालती है।
2. जल संचयन: मृदा प्रोफाइल का जल धारण क्षमता फसलों की जल आपूर्ति और सिंचाई की आवश्यकता को प्रभावित करती है। पानी के स्तर और संचयन क्षमता की जानकारी से बेहतर कृषि प्रबंधन संभव है।
3. रूट विकास: मृदा की गहराई और सघनता पौधों की जड़ प्रणाली के विकास को प्रभावित करती है। एक अच्छा मृदा प्रोफाइल जड़ों को गहराई से विकास करने की सुविधा देता है।
4. नियंत्रण और सुधार: सही मृदा प्रोफाइल का अध्ययन मृदा सुधार और नियंत्रण उपायों की योजना बनाने में मदद करता है, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होता है।
निष्कर्ष: मृदा प्रोफाइल कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उर्वरता, जल संचयन, और पौधों के विकास को प्रभावित करता है। सही मृदा प्रोफाइल का अध्ययन कृषि प्रबंधन में सुधार के लिए आवश्यक है।
See lessभारत की लंबी तटरेखीय संसाधन क्षमताओं पर टिप्पणी कीजिए और इन क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत की लंबी तटरेखा, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक है, महत्वपूर्ण संसाधन क्षमताओं के साथ-साथ प्राकृतिक खतरों से संबंधित चुनौतियों को प्रस्तुत करती है। तटरेखीय संसाधन क्षमताएँ: आर्थिक अवसर: भारत की तटरेखा बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास की संभावनाएं प्रदान करती है। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे प्रमुख बंदरगाRead more
भारत की लंबी तटरेखा, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक है, महत्वपूर्ण संसाधन क्षमताओं के साथ-साथ प्राकृतिक खतरों से संबंधित चुनौतियों को प्रस्तुत करती है।
तटरेखीय संसाधन क्षमताएँ:
प्राकृतिक खतरे की तैयारी:
संक्षेप में, भारत की लंबी तटरेखा आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों की अपार संभावनाएँ प्रदान करती है, लेकिन यह प्राकृतिक खतरों के प्रति भी संवेदनशील है। आपदा प्रबंधन, अवसंरचना सुधार, और प्रभावी तटीय प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता है ताकि इन खतरों को कम किया जा सके और तटरेखीय संसाधनों का स्थायी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
See lessभारत में कोयला वितरण का विस्तृत विवरण दीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में कोयला वितरण: भारत में कोयला वितरण विभिन्न राज्यों में असमान रूप से फैला हुआ है, और देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में कोयला पाया जाता है: झारखंड: मुख्य क्षेत्र: धनबाद, रामगढ़, बोकारो। विशेषताएँ: झारखंड भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य हRead more
भारत में कोयला वितरण:
भारत में कोयला वितरण विभिन्न राज्यों में असमान रूप से फैला हुआ है, और देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में कोयला पाया जाता है:
कोयला वितरण भारत की ऊर्जा आपूर्ति और औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसके वितरण की असमानता ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के स्तर को प्रभावित किया है, साथ ही कोयला खनन और उपयोग की दिशा में भी चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं।
See less