.भारत विभिन्न कारणों से अपनी पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का दोहन नहीं कर पाया है। चर्चा कीजिए और आगे की राह सुनाइए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं। चुनौतियाँ: तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियाँ: महासागरीय तापीय ऊर्जा प्रणाली की डिजाइन और संचालन जटिल होते हैं, जिसमें गहरे समुद्र में उपकरणों को स्थापित करना और उनकी दीर्घकालिक स्थिरताRead more
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
चुनौतियाँ:
- तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियाँ: महासागरीय तापीय ऊर्जा प्रणाली की डिजाइन और संचालन जटिल होते हैं, जिसमें गहरे समुद्र में उपकरणों को स्थापित करना और उनकी दीर्घकालिक स्थिरता बनाए रखना मुश्किल होता है।
- वित्तीय बाधाएँ: प्रारंभिक निवेश उच्च होता है, और इसके लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और निवेश की कमी एक प्रमुख बाधा है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: उपयुक्त बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे कि ऊर्जा संग्रहण और ट्रांसमिशन की व्यवस्था, महासागरीय तापीय ऊर्जा के उपयोग को प्रभावित करती है।
- पर्यावरणीय चिंताएँ: महासागरीय तापीय ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण और संचालन से समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र पर संभावित प्रभाव हो सकते हैं, जो पर्यावरणीय नियमों और मानकों के अनुपालन की आवश्यकता को बढ़ाते हैं।
सुधारात्मक उपाय:
- प्रौद्योगिकी में सुधार: महासागरीय तापीय ऊर्जा के लिए नई और उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास और परीक्षण किया जाना चाहिए। यह उपकरणों की स्थिरता और दक्षता को बढ़ा सकता है।
- वित्तीय प्रोत्साहन: सरकार और निजी क्षेत्र को निवेश प्रोत्साहन, सब्सिडी, और कर छूट प्रदान करने की आवश्यकता है, जिससे प्रारंभिक लागत को कम किया जा सके।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास: महासागरीय तापीय ऊर्जा के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे, जैसे कि ऊर्जा ट्रांसमिशन नेटवर्क और संग्रहण प्रणालियों, का विकास प्राथमिकता से किया जाना चाहिए।
- पर्यावरणीय अध्ययन और मानक: संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करने के लिए व्यापक अध्ययन किए जाएं और कठोर पर्यावरणीय मानकों को लागू किया जाए ताकि पारिस्थितिकीय प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके।
इन उपायों को अपनाकर, भारत महासागरीय तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता को पूरी तरह से उपयोग कर सकता है और सतत ऊर्जा उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।
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भारत की पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का पूर्ण रूप से दोहन न कर पाने के पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: स्थानीय चुनौतियाँ: पवन ऊर्जा परियोजनाएँ अक्सर उन क्षेत्रों में स्थापित की जाती हैं जहां हवा की गति उच्च होती है, लेकिन ये क्षेत्र ग्रामीण और दूरस्थ होते हैं, जिससे निर्माण औरRead more
भारत की पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का पूर्ण रूप से दोहन न कर पाने के पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आगे की राह में निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
इन प्रयासों से भारत पवन ऊर्जा की अपार संभावनाओं का पूरा लाभ उठा सकता है।
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