भारत में ‘महत्त्वाकांक्षी जिलों के कायाकल्प के लिए मूल रणनीतियों का उल्लेख कीजिए और इसकी सफलता के लिए, अभिसरण, सहयोग व प्रतिस्पर्धा की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। (250 words) [UPSC 2018]
भारत में बाढ़ों को सिंचाई और सभी मौसम में अन्तर्देशीय नौसंचालन के एक धारणीय स्रोत में परिवर्तित करने के उपाय 1. बाढ़ जल संचयन और संग्रहण: बाढ़ों के पानी को सिंचाई के लिए उपयोगी संसाधन में बदलने के लिए जल संचयन और संग्रहण ढांचों में निवेश करना आवश्यक है। चेक डैम और पेरकोलेशन टैंक जैसे ढांचे बाढ़ के पRead more
भारत में बाढ़ों को सिंचाई और सभी मौसम में अन्तर्देशीय नौसंचालन के एक धारणीय स्रोत में परिवर्तित करने के उपाय
1. बाढ़ जल संचयन और संग्रहण:
बाढ़ों के पानी को सिंचाई के लिए उपयोगी संसाधन में बदलने के लिए जल संचयन और संग्रहण ढांचों में निवेश करना आवश्यक है। चेक डैम और पेरकोलेशन टैंक जैसे ढांचे बाढ़ के पानी को संग्रहीत कर सकते हैं और इसे भूमिगत जल पुनर्भरण के रूप में उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में छोटे चेक डैम का उपयोग बाढ़ के पानी को संग्रहित करने के लिए किया जाता है, जिससे सिंचाई के लिए जल उपलब्धता में सुधार हुआ है।
2. बाढ़ नियंत्रण जलाशयों का निर्माण:
बाढ़ नियंत्रण जलाशयों और आर्टिफिशियल लेक्स का निर्माण बाढ़ के पानी को भविष्य में उपयोग के लिए संग्रहीत कर सकता है। नर्मदा डैम (गुजरात) इसका एक उदाहरण है, जो बाढ़ के पानी को संग्रहीत करके पूरे वर्ष सिंचाई के लिए एक स्थिर जल स्रोत प्रदान करता है।
3. बाढ़ क्षेत्रों का कृषि में उपयोग:
बाढ़ क्षेत्रों, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, को कृषि योजनाओं में शामिल किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में बाढ़-प्रतिरोधी फसलों और खेती की तकनीकों का उपयोग कर बाढ़ के पानी के पोषक तत्वों को कृषि उत्पादकता में बदला जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, ब्रह्मपुत्र घाटी (असम) में बाढ़ के पानी से फसलों की उत्पादकता बढ़ी है।
4. अन्तर्देशीय नौसंचालन के लिए बाढ़ जल का उपयोग:
बाढ़ के पानी का अन्तर्देशीय नौसंचालन के लिए उपयोग में लाने के लिए नदी चैनलों और जलमार्गों का विकास किया जा सकता है। बाढ़ क्षेत्रों और नदी चैनलों को गहरा और बनाए रखा जा सकता है ताकि बाढ़ और बाद में नौसंचालन संभव हो सके। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा) और राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र) इसका उदाहरण हैं।
5. स्मार्ट बाढ़ प्रबंधन प्रणाली:
स्मार्ट बाढ़ प्रबंधन प्रणाली का उपयोग बाढ़ पूर्वानुमान और प्रबंधन के लिए किया जा सकता है। सैटेलाइट तकनीक और जीआईएस (भूगोलिक सूचना प्रणाली) बाढ़ घटनाओं की भविष्यवाणी करने और बाढ़ के पानी के उपयोग की योजना बनाने में सहायक हो सकते हैं।
6. सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ:
राष्ट्रीय मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (NMSA) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) जैसी सरकारी योजनाएँ बाढ़ के पानी का उपयोग प्रभावी ढंग से करने के लिए अवसंरचना और प्रथाओं के विकास का समर्थन करती हैं।
निष्कर्ष:
भारत में बाढ़ों को सिंचाई और अन्तर्देशीय नौसंचालन के लिए धारणीय संसाधन में बदलने के लिए प्रभावी योजना और अवसंरचना विकास की आवश्यकता है। बाढ़ जल संचयन, जलाशय निर्माण, बाढ़ क्षेत्रों का कृषि में उपयोग, और नौसंचालन परियोजनाओं में निवेश बाढ़ के पानी को लाभकारी बनाने में सहायक हो सकते हैं।
भारत में 'महत्त्वाकांक्षी जिलों के कायाकल्प के लिए मूल रणनीतियाँ 1. लक्षित हस्तक्षेप: महत्त्वाकांक्षी जिलों की योजना (2018) स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत संरचना और आर्थिक विकास के क्षेत्रों में सुधार पर केंद्रित है। मिवात (हरियाणा) और दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) जैसे जिलों में शैक्षिक परिणाम और स्वास्थ्य सेवRead more
भारत में ‘महत्त्वाकांक्षी जिलों के कायाकल्प के लिए मूल रणनीतियाँ
1. लक्षित हस्तक्षेप: महत्त्वाकांक्षी जिलों की योजना (2018) स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत संरचना और आर्थिक विकास के क्षेत्रों में सुधार पर केंद्रित है। मिवात (हरियाणा) और दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) जैसे जिलों में शैक्षिक परिणाम और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए विशेष कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
2. डेटा-संचालित शासन: वास्तविक समय के डेटा और प्रदर्शन मैट्रिक्स का उपयोग कार्यक्रमों की प्रगति को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। NITI Aayog द्वारा प्रस्तुत डेल्टा रैंकिंग प्रणाली जिलों के प्रदर्शन पर तिमाही अद्यतन प्रदान करती है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
3. स्थानीय आवश्यकताओं पर ध्यान: रणनीतियाँ स्थानीय चुनौतियों को संबोधित करने के लिए तैयार की जाती हैं। उदाहरण के लिए, कंधमाल (ओडिशा) में आदिवासी कल्याण और जीविका के अवसरों में सुधार के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं।
अभिसरण, सहयोग और प्रतिस्पर्धा की प्रकृति
1. अभिसरण: प्रभावी कायाकल्प के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का एकीकृत प्रयास आवश्यक है। केंद्रीय और राज्य योजनाओं का अभिसरण सुनिश्चित करता है कि संसाधन प्रभावी ढंग से उपयोग हों। उदाहरण के लिए, MNREGA और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का एकीकरण ग्रामीण आधारभूत संरचना में सुधार करता है।
2. सहयोग: सफल कार्यान्वयन में सरकारी एजेंसियों, स्थानीय निकायों, और नागरिक समाज संगठनों के बीच सहयोग शामिल है। NGOs और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझेदारी अतिरिक्त संसाधन और विशेषज्ञता प्रदान करती है। लाल पथ लैब्स ने ग्रामीण क्षेत्रों में डायग्नोस्टिक सेवाओं में सुधार के लिए स्थानीय स्वास्थ्य विभागों के साथ सहयोग किया है।
3. प्रतिस्पर्धा: जिलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने से प्रगति को बढ़ावा मिलता है। प्रदर्शन सूचकांक और पुरस्कार शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिलों के लिए प्रेरणा उत्पन्न करते हैं। धमतरी (छत्तीसगढ़) जैसे जिलों ने इस प्रतिस्पर्धात्मक भावना के कारण स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं।
इन रणनीतियों और सहयोगात्मक प्रयासों से महत्त्वाकांक्षी जिलों के कायाकल्प में सफलता सुनिश्चित होती है और वे अपनी पूरी क्षमता प्राप्त कर पाते हैं।
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