एक समावेशी, निम्न-उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल विकास एजेंडा को अपनाने से भारत के घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में काफी वृद्धि होगी। भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अत्यधिक तापमान, असामान्य मौसमी पैटर्न, और अप्रत्याशित वर्षा की घटनाएँ फसलों की पैदावार को प्रभावित कर सकती हैं। उच्च तापमान से फसलों की वृद्धि में कमी हो सकती है और सूखा, फसल क्षति का मुख्य कारण बन सकता है। अत्यधिक वर्षा और बाढ़ से भी खेतों कीRead more
जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अत्यधिक तापमान, असामान्य मौसमी पैटर्न, और अप्रत्याशित वर्षा की घटनाएँ फसलों की पैदावार को प्रभावित कर सकती हैं। उच्च तापमान से फसलों की वृद्धि में कमी हो सकती है और सूखा, फसल क्षति का मुख्य कारण बन सकता है। अत्यधिक वर्षा और बाढ़ से भी खेतों की मिट्टी और फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
सरकार ने इन प्रभावों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं।
जलवायु कृषि: फसल विविधीकरण, पानी की बचत तकनीकें (जैसे ड्रिप इरिगेशन) और मिट्टी सुधार जैसी विधियाँ अपनाई जा रही हैं।
राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना: इसमें कृषि क्षेत्र के लिए विशेष योजनाएं शामिल हैं, जैसे कि जलवायु-टिकाऊ कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास।
सिंचाई परियोजनाएँ: “प्रति वर्षा क्षेत्र” जैसी योजनाओं के तहत, सिंचाई की सुविधा बढ़ाई जा रही है।
कृषि बीमा योजनाएँ: फसलों की क्षति को लेकर वित्तीय सुरक्षा देने के लिए कृषि बीमा योजनाओं को लागू किया गया है।
इन पहलों से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और कृषि क्षेत्र को स्थिर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
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भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Resilient Budgeting) को अपनाने से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। इस संदर्भ में भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं: जलवायु अनुकूल योजनाएँ: भारत ने बजट योजनाओं में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विशेषRead more
भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Resilient Budgeting) को अपनाने से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। इस संदर्भ में भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:
इन पहलुओं के माध्यम से भारत ने एक समावेशी, निम्न-उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल विकास एजेंडा को अपनाने में सफलता प्राप्त की है, जिससे सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता और जलवायु परिवर्तन के प्रति देश की संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है।
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