भारत में मुद्रास्फीति के मांग-जनित और लागत-जनित कारकों का सविस्तार वर्णन कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting) एक मौद्रिक नीति दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति की दर को एक पूर्वनिर्धारित लक्ष्य स्तर पर नियंत्रित करना है। इस दृष्टिकोण में केंद्रीय बैंक एक निश्चित मुद्रास्फीति दर को लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और मौद्Read more
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting) एक मौद्रिक नीति दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति की दर को एक पूर्वनिर्धारित लक्ष्य स्तर पर नियंत्रित करना है। इस दृष्टिकोण में केंद्रीय बैंक एक निश्चित मुद्रास्फीति दर को लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और मौद्रिक नीतियों के माध्यम से इसे हासिल करने का प्रयास करता है।
भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा निम्नलिखित तरीके से कार्य करता है:
- लक्ष्य निर्धारण: भारत में, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2016 से मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को औपचारिक रूप से अपनाया। इसके तहत, एक दीर्घकालिक मुद्रास्फीति लक्ष्य 4% (2% की ऊपरी और निचली सीमा के साथ) निर्धारित किया गया है।
- नीति निर्माण: RBI मौद्रिक नीति समिति (MPC) की सहायता से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ब्याज दरें और अन्य मौद्रिक उपकरणों को समायोजित करता है। जब मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर या नीचे होती है, तो RBI अपनी नीतियों को समायोजित करता है।
- पारदर्शिता और रिपोर्टिंग: RBI नियमित रूप से मुद्रास्फीति की स्थिति और अपनी नीतियों पर रिपोर्ट जारी करता है, जिससे बाजार और जनता को मौद्रिक नीति की दिशा और प्रभावशीलता के बारे में जानकारी मिलती है।
- प्रतिक्रिया: यदि मुद्रास्फीति लक्ष्य से अधिक या कम हो जाती है, तो RBI को संसद को कारण और योजना की जानकारी प्रदान करनी होती है, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
इस ढांचे के माध्यम से, भारत में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने की कोशिश की जाती है, जिससे लंबी अवधि में स्थिर मूल्य स्तर और विकास को बढ़ावा मिल सके।
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मुद्रास्फीति दो प्रमुख कारकों से उत्पन्न हो सकती है: मांग-जनित मुद्रास्फीति और लागत-जनित मुद्रास्फीति। भारत में इन दोनों प्रकार की मुद्रास्फीति के निम्नलिखित कारक हैं: मांग-जनित मुद्रास्फीति: यह तब होती है जब कुल मांग, कुल आपूर्ति से अधिक होती है। इसमें शामिल कारक हैं: उपभोक्ता खर्च में वृद्धि: जब उRead more
मुद्रास्फीति दो प्रमुख कारकों से उत्पन्न हो सकती है: मांग-जनित मुद्रास्फीति और लागत-जनित मुद्रास्फीति। भारत में इन दोनों प्रकार की मुद्रास्फीति के निम्नलिखित कारक हैं:
भारत में, दोनों प्रकार की मुद्रास्फीति के कारण अक्सर जटिल होते हैं और इसके नियंत्रण के लिए मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों की आवश्यकता होती है।
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