भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2024 में मुद्रास्फीति का प्रबंधन करने और रुपये को स्थिर करने के लिए किए गए उपायों पर चर्चा करें। 2024 में भारत की मौद्रिक नीति ने विकास और मुद्रास्फीति प्रबंधन को कैसे संतुलित किया है?
मुद्रास्फीति दो प्रमुख कारकों से उत्पन्न हो सकती है: मांग-जनित मुद्रास्फीति और लागत-जनित मुद्रास्फीति। भारत में इन दोनों प्रकार की मुद्रास्फीति के निम्नलिखित कारक हैं: मांग-जनित मुद्रास्फीति: यह तब होती है जब कुल मांग, कुल आपूर्ति से अधिक होती है। इसमें शामिल कारक हैं: उपभोक्ता खर्च में वृद्धि: जब उRead more
मुद्रास्फीति दो प्रमुख कारकों से उत्पन्न हो सकती है: मांग-जनित मुद्रास्फीति और लागत-जनित मुद्रास्फीति। भारत में इन दोनों प्रकार की मुद्रास्फीति के निम्नलिखित कारक हैं:
- मांग-जनित मुद्रास्फीति: यह तब होती है जब कुल मांग, कुल आपूर्ति से अधिक होती है। इसमें शामिल कारक हैं:
- उपभोक्ता खर्च में वृद्धि: जब उपभोक्ताओं की आय बढ़ती है या सरकार उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करती है, तो मांग में वृद्धि होती है, जिससे कीमतें बढ़ती हैं।
- वित्तीय नीतियाँ: यदि केंद्रीय बैंक ब्याज दरें कम करता है, तो उधारी सस्ती हो जाती है और कुल मांग बढ़ जाती है।
- सरकारी खर्च: सरकारी खर्च और योजनाएं, जैसे सामाजिक कल्याण योजनाएं, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं, जिससे मांग बढ़ती है और मुद्रास्फीति होती है।
- लागत-जनित मुद्रास्फीति: यह तब होती है जब उत्पादन की लागत बढ़ जाती है और उत्पादनकर्ता उन बढ़ी हुई लागतों को उपभोक्ताओं पर स्थानांतरित कर देते हैं। इसमें शामिल कारक हैं:
- वस्त्र और कच्चे माल की कीमतें: कच्चे माल की कीमतों, जैसे पेट्रोलियम और कृषि उत्पादों में वृद्धि, उत्पादन लागत को बढ़ाती है।
- वेतन में वृद्धि: यदि श्रमिकों के वेतन में वृद्धि होती है, तो यह उत्पादन लागत बढ़ाता है और अंततः वस्त्र की कीमतों में वृद्धि होती है।
- कर और शुल्क: सरकार द्वारा बढ़ाए गए कर और शुल्क भी लागत को बढ़ाते हैं, जिससे मुद्रास्फीति होती है।
भारत में, दोनों प्रकार की मुद्रास्फीति के कारण अक्सर जटिल होते हैं और इसके नियंत्रण के लिए मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों की आवश्यकता होती है।
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मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting) एक मौद्रिक नीति दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति की दर को एक पूर्वनिर्धारित लक्ष्य स्तर पर नियंत्रित करना है। इस दृष्टिकोण में केंद्रीय बैंक एक निश्चित मुद्रास्फीति दर को लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और मौद्Read more
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting) एक मौद्रिक नीति दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति की दर को एक पूर्वनिर्धारित लक्ष्य स्तर पर नियंत्रित करना है। इस दृष्टिकोण में केंद्रीय बैंक एक निश्चित मुद्रास्फीति दर को लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और मौद्रिक नीतियों के माध्यम से इसे हासिल करने का प्रयास करता है।
भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा निम्नलिखित तरीके से कार्य करता है:
इस ढांचे के माध्यम से, भारत में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने की कोशिश की जाती है, जिससे लंबी अवधि में स्थिर मूल्य स्तर और विकास को बढ़ावा मिल सके।
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