Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
देश में आयु संभाविता में आई वृद्धि से समाज में नई स्वास्थ्य चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। यह नई चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं और उनके समाधान हेतु क्या-क्या कदम उठाए जाने आवश्यक हैं ? (150 words)[UPSC 2022]
देश में आयु संभाविता में आई वृद्धि से नई स्वास्थ्य चुनौतियाँ **1. क्रोनिक बीमारियाँ: दीर्घकालिक बीमारियाँ जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, और कैंसर बढ़ रही हैं। हाल ही में, भारत में डायबिटीज के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। **2. वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल: वृद्ध जनसंख्या की बढ़ती संख्या के साथ गेरियाRead more
देश में आयु संभाविता में आई वृद्धि से नई स्वास्थ्य चुनौतियाँ
**1. क्रोनिक बीमारियाँ:
**2. वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल:
**3. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ:
**4. स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव:
समाधान हेतु आवश्यक कदम
**1. रोकथाम और नियमित जांचें:
**2. गेरियाट्रिक देखभाल में निवेश:
**3. मानसिक स्वास्थ्य समर्थन:
**4. स्वास्थ्य ढांचे का उन्नयन:
इन उपायों के माध्यम से, समाज में बढ़ती आयु संभाविता से संबंधित स्वास्थ्य चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है।
See lessक्या आप इस विचार से सहमत हैं कि घटती प्रजनन दर के कारण भारत को अपने सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपनी जनसांख्यिकी का लाभ उठाने का समय कम मिलेगा। आने वाले वर्षों में बेहतर जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने के लिए नीति किन बातों पर केंद्रित होनी चाहिए? (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
घटती प्रजनन दर के संदर्भ में, यह विचार सही है कि भारत को अपने सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपनी जनसांख्यिकी का लाभ उठाने का समय सीमित है। प्रजनन दर में कमी का अर्थ है कि युवा जनसंख्या की वृद्धि धीमी हो रही है और भविष्य में श्रम बल की संख्या में कमी आ सकती है। इस स्थिति का सही ढंग सेRead more
घटती प्रजनन दर के संदर्भ में, यह विचार सही है कि भारत को अपने सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपनी जनसांख्यिकी का लाभ उठाने का समय सीमित है। प्रजनन दर में कमी का अर्थ है कि युवा जनसंख्या की वृद्धि धीमी हो रही है और भविष्य में श्रम बल की संख्या में कमी आ सकती है। इस स्थिति का सही ढंग से सामना करने के लिए भारत को तुरंत और प्रभावी नीतिगत कदम उठाने की आवश्यकता है।
आने वाले वर्षों में बेहतर जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने के लिए नीति निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित होनी चाहिए:
इन नीतिगत उपायों से भारत अपनी जनसांख्यिकी के लाभांश को अधिकतम कर सकता है और सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता प्राप्त कर सकता है।
See lessमानव पूंजी के स्रोत क्या हैं? किसी देश की आर्थिक संवृद्धि में मानव पूंजी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
मानव पूंजी के स्रोत मुख्यतः व्यक्ति की शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य, और अनुभव से संबंधित होते हैं। इन स्रोतों में शामिल हैं: शिक्षा: प्रारंभिक और उच्च शिक्षा के माध्यम से व्यक्तियों को ज्ञान और कौशल प्राप्त होता है, जो उनके उत्पादकता को बढ़ाता है। कौशल प्रशिक्षण: विशेष कौशल और तकनीकी प्रशिक्षण जैसे व्यावRead more
मानव पूंजी के स्रोत मुख्यतः व्यक्ति की शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य, और अनुभव से संबंधित होते हैं। इन स्रोतों में शामिल हैं:
शिक्षा: प्रारंभिक और उच्च शिक्षा के माध्यम से व्यक्तियों को ज्ञान और कौशल प्राप्त होता है, जो उनके उत्पादकता को बढ़ाता है।
कौशल प्रशिक्षण: विशेष कौशल और तकनीकी प्रशिक्षण जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम और कार्यशालाएँ।
स्वास्थ्य: अच्छा स्वास्थ्य व्यक्ति की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, जिससे वे लंबे समय तक और अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं।
अनुभव: कार्य अनुभव और व्यावसायिक ज्ञान, जो समय के साथ बढ़ता है और अधिक मूल्यवान हो जाता है।
मानव पूंजी की भूमिका आर्थिक संवृद्धि में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है:
उत्पादकता वृद्धि: उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और कौशल से कामकाजी उत्पादकता बढ़ती है, जिससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
See lessनवाचार और प्रतिस्पर्धा: शिक्षित और कुशल श्रमिक नये विचार और तकनीकें पेश कर सकते हैं, जो उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करते हैं।
आय में वृद्धि: अच्छी शिक्षा और कौशल वाले व्यक्ति उच्च वेतन प्राप्त करते हैं, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ता है और आर्थिक विकास को बल मिलता है।
स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार: स्वस्थ कार्यबल अधिक प्रभावी ढंग से काम करता है, जो सामाजिक और आर्थिक लाभ को बढ़ाता है।
इस प्रकार, मानव पूंजी का सही उपयोग और निवेश किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि और समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है।