वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभावों की विशेषतः विदेशी व्यापार, पूँजी प्रवाहों एवं प्रविधि हस्तान्तरण के सन्दर्भ में व्याख्या कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2022]
वैश्वीकरण ने भारत के औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। सकारात्मक प्रभावों में विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि, नई उद्योगों का विकास, और उच्च-तकनीकी नौकरियों का सृजन शामिल हैं। विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। हालांकिRead more
वैश्वीकरण ने भारत के औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। सकारात्मक प्रभावों में विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि, नई उद्योगों का विकास, और उच्च-तकनीकी नौकरियों का सृजन शामिल हैं। विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
हालांकि, वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव भी हैं। परंपरागत उद्योगों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से कुछ क्षेत्रों में नौकरियों में कमी आई है। इसके अतिरिक्त, ठेका और अस्थायी काम की प्रवृत्ति बढ़ी है, जिससे नौकरी की सुरक्षा और लाभों पर असर पड़ा है।
इस प्रकार, जबकि वैश्वीकरण ने औपचारिक क्षेत्र में नई संभावनाओं को जन्म दिया है, साथ ही यह चुनौतियों को भी लेकर आया है, जिनसे निपटने के लिए उचित नीतिगत उपायों की आवश्यकता है।
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वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विदेशी व्यापार: वृद्धि: 1991 की उदारीकरण नीतियों के तहत, भारत ने व्यापार बाधाओं को कम किया और वैश्विक बाजारों के साथ एकीकृत हुआ। इससे निर्यात में वृद्धि हुई, विशेषकर आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं में। उदाहरण के लिए, भारत का आईटी निर्यात अबRead more
वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विदेशी व्यापार:
पूँजी प्रवाह:
प्रविधि हस्तान्तरण:
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी व्यापार, पूँजी प्रवाह, और प्रविधि हस्तान्तरण को बढ़ावा दिया। हालांकि, इन नीतियों से जुड़े आर्थिक अस्थिरता और स्वतंत्रता के संकट जैसे चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर, ये नीतियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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