वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की कमी औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की कमी: प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: वैश्वीकरण ने अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है, जिससे घरेलू कंपनियों को लागत घटाने के लिए कर्मचारी छंटनी और संरचनात्मक पुनर्गठन करना पड़ा। उदाहरण के लिए,Read more
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की कमी
औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की कमी:
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: वैश्वीकरण ने अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है, जिससे घरेलू कंपनियों को लागत घटाने के लिए कर्मचारी छंटनी और संरचनात्मक पुनर्गठन करना पड़ा। उदाहरण के लिए, उद्योग और निर्माण क्षेत्र में कई कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या में कमी की है।
- अनुबंधीय और अस्थायी नौकरियाँ: कंपनियाँ अनुबंधीय और अस्थायी रोजगार पर अधिक निर्भर हो गई हैं, जिससे नौकरी की अस्थिरता और कम लाभ प्राप्त हो रहे हैं। आईटी और खुदरा क्षेत्रों में यह प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।
बढ़ती हुई अनौपचारिकता के प्रभाव:
- सामाजिक सुरक्षा की कमी: अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वालों को सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे स्वास्थ्य बीमा और पेंशन की कमी होती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिरता प्रभावित होती है।
- कर राजस्व में कमी: अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत लोगों की आय पर अक्सर कर नहीं लगता, जिससे कर राजस्व में कमी आती है। इसका प्रभाव सार्वजनिक सेवाओं और अवसंरचना परियोजनाओं पर पड़ता है।
- उत्पादकता और वेतन में कमी: अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को आमतौर पर कम वेतन और कम नौकरी की सुरक्षा मिलती है, जिससे उत्पादकता कम होती है और आर्थिक विकास प्रभावित होता है।
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप औपचारिक क्षेत्र में रोजगार में कमी आई है, जिससे अनौपचारिक कार्य की वृद्धि हुई है। यह स्थिति सामाजिक सुरक्षा की कमी, कर राजस्व में कमी और उत्पादकता में गिरावट का कारण बनती है, जो देश के विकास के लिए हानिकारक है। इस समस्या के समाधान के लिए नीतियों की आवश्यकता है जो औपचारिक रोजगार को बढ़ावा दें और अनौपचारिक श्रमिकों की स्थितियों को सुधारें।
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वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव 1. बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच: वैश्वीकरण ने भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच को आसान बना दिया है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग ने वैश्विक बाज़ारों में निर्यात के अवसरों में वृद्धि देखी है। 2. प्रौद्योगिकी में उन्Read more
वैश्वीकरण के कारण भारत में औद्योगिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव
1. बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच: वैश्वीकरण ने भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच को आसान बना दिया है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग ने वैश्विक बाज़ारों में निर्यात के अवसरों में वृद्धि देखी है।
2. प्रौद्योगिकी में उन्नति: वैश्वीकरण ने उन्नत प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के हस्तांतरण को बढ़ावा दिया है। आईटी सेक्टर, जैसे इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से लाभ उठाया है।
3. बढ़ती प्रतिस्पर्धा: भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जिसने दक्षता और नवाचार को बढ़ावा दिया है, लेकिन घरेलू कंपनियों के लिए चुनौतियाँ भी पैदा की हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर ने वैश्विक मानकों के अनुरूप तेजी से बदलाव किया है।
4. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI): FDI प्रवाह ने औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित किया है, जैसे कि ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश हुआ है। मेक इन इंडिया पहल ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया है।
5. असमानताएँ और चुनौतियाँ: वैश्वीकरण ने क्षेत्रीय असमानताएँ पैदा की हैं, जहाँ कुछ क्षेत्रों में तेजी से औद्योगिक विकास हुआ है, जबकि अन्य पीछे रह गए हैं। इन असमानताओं को दूर करने के लिए प्रयास आवश्यक हैं।
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