भारत में समावेशी विकास और निर्धनता उन्मूलन के लिए भूमि तक पहुंच और उस पर प्रभावी नियंत्रण महत्वपूर्ण हैं। सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए हाल के दिनों में भारत में अपनाए गए भूमि सुधार ...
भारत में भूमि सुधारों के क्रियान्वयन में प्रमुख चुनौतियाँ प्रशासनिक बाधाएँ: भूमि सुधारों के कानूनी और प्रशासनिक ढांचे में जटिलताएँ और कमी रहती हैं। अक्सर भूमि रिकॉर्ड अद्यतित नहीं होते। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: भूमि सुधारों को लागू करने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और लॉबिंग द्वारा विरोध उत्पन्Read more
भारत में भूमि सुधारों के क्रियान्वयन में प्रमुख चुनौतियाँ
- प्रशासनिक बाधाएँ: भूमि सुधारों के कानूनी और प्रशासनिक ढांचे में जटिलताएँ और कमी रहती हैं। अक्सर भूमि रिकॉर्ड अद्यतित नहीं होते।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: भूमि सुधारों को लागू करने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और लॉबिंग द्वारा विरोध उत्पन्न होता है।
- वित्तीय समस्याएँ: सुधारों के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन और व्यापारिक निवेश की कमी होती है।
- जन जागरूकता की कमी: किसानों और ग्रामीणों में सुधारों के लाभों के प्रति जागरूकता की कमी होती है।
सुझाव
- प्रशासनिक सुधार: भूमि रिकॉर्ड डिजिटलाइजेशन और एकल विंडो सिस्टम लागू किया जाना चाहिए।
- राजनीतिक समर्थन: सभी दलों को सहमति और सामूहिक दृष्टिकोण के साथ भूमि सुधारों का समर्थन करना चाहिए।
- वित्तीय प्रोत्साहन: सरकारी सब्सिडी और निजी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- जन जागरूकता अभियान: साक्षरता कार्यक्रम और सार्वजनिक प्रचार के माध्यम से किसानों को भूमि सुधारों के लाभों के बारे में अवगत कराना चाहिए।
हालिया उदाहरण: 2023 में, ‘स्वामित्व योजना’ के अंतर्गत डिजिटल भूमि रिकॉर्ड को अपडेट किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व की समस्याओं को हल करने में मदद मिली है।
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भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण का महत्व: भारत में समावेशी विकास और निर्धनता उन्मूलन के लिए भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भूमि संसाधन न केवल कृषि के लिए आवश्यक हैं बल्कि आवास, उद्योग और अन्य विकासात्मक गतिविधियों के लिए भी जरूरी हैं। निर्धन परिवारों और वंचित समुदायों केRead more
भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण का महत्व:
भारत में समावेशी विकास और निर्धनता उन्मूलन के लिए भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भूमि संसाधन न केवल कृषि के लिए आवश्यक हैं बल्कि आवास, उद्योग और अन्य विकासात्मक गतिविधियों के लिए भी जरूरी हैं। निर्धन परिवारों और वंचित समुदायों के लिए भूमि की उपलब्धता और नियंत्रण न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करता है बल्कि सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित करता है। भूमि पर अधिकार से गरीबों को आत्मनिर्भरता मिलती है और वे अपनी आजीविका सुधार सकते हैं।
हाल के भूमि सुधार उपाय:
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): यह योजना गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। इसके तहत, भूमि और आवास दोनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भूमि रिकॉर्ड डिजिटलाइजेशन: भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में संजोने के लिए ‘स्वामित्व योजना’ और ‘भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण’ जैसे उपाय अपनाए गए हैं। इससे भूमि स्वामित्व की पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार की संभावना कम हुई है।
कृषि भूमि सुधार: कृषि भूमि की बंटवारा और भूमिहीन किसानों को भूमि का वितरण बढ़ाने के लिए कई राज्य सरकारों ने भूमि सुधार कानून लागू किए हैं। इन सुधारों के तहत, भूमि के बंटवारे और पुनर्वितरण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है।
न्यायसंगत भूमि वितरण: भूमिहीन किसान और आदिवासी समुदायों को भूमि का अधिकार देने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जैसे कि ‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन कानून’, जो न्यायसंगत और पारदर्शी तरीके से भूमि का पुनर्वितरण सुनिश्चित करता है।
ये उपाय समावेशी विकास के लिए आवश्यक हैं क्योंकि ये वंचित वर्गों को सशक्त बनाते हैं और उनकी जीवनस्तर में सुधार करते हैं। प्रभावी भूमि प्रबंधन और वितरण न केवल सामाजिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाते हैं बल्कि विकास की समावेशिता को भी बढ़ावा देते हैं।
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