“भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकसित देशों की गति के साथ नहीं बढ़ा है।” इसकी व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना परिचय प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना 2016 में शुरू की गई एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता को बढ़ाना है। उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना: कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन को बढ़ाRead more
प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना
परिचय
प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना 2016 में शुरू की गई एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता को बढ़ाना है।
उद्देश्य
- खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना: कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना और प्रसंस्करण की क्षमताओं को सुधारना।
- पोस्ट-हार्वेस्ट हानियों में कमी: भंडारण, परिवहन, और प्रसंस्करण इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार कर फसल हानियों को कम करना।
- रोजगार सृजन: ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
प्रावधान
- संरचनात्मक विकास: कोल्ड स्टोरेज, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, और लॉजिस्टिक्स के लिए वित्तीय सहायता।
- सब्सिडी और अनुदान: प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए सब्सिडी।
- कौशल विकास: किसानों और उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम।
हालिया उदाहरण
संपदा योजना के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना हुई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और खाद्य अपशिष्ट में कमी आई है।
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भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें 1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी। 2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है,Read more
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें
1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी।
2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है, जो उद्योग के आधुनिकीकरण और विस्तार में बाधक है।
3. नियामक चुनौतियाँ: जटिल नियामक ढाँचा और लंबी प्रक्रिया व्यापार में लचीलापन की कमी और प्रभावशीलता की कमी का कारण बनती है।
हालिया उदाहरण: हाल ही में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) जैसे सरकारी प्रयास खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को संवृद्धि देने की दिशा में प्रयासरत हैं। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को पीछे रहना पड़ रहा है।
सारांश: भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में संरचनात्मक, निवेश सम्बंधी, और नियामक चुनौतियाँ प्रमुख बाधाएँ हैं।
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