जलवायु परिवर्तन में वृद्धि से मोटे अनाज की खेती का पुनरुद्धार हो रहा है। चर्चा कीजिए। साथ ही, भारत में मोटे अनाज के उत्पादन को गति देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों ...
समेकित कृषि प्रणाली: परिभाषा और लाभ **1. समेकित कृषि प्रणाली क्या है?: समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System, IFS) एक बहुआयामी दृष्टिकोण है जिसमें विभिन्न प्रकार की कृषि गतिविधियाँ जैसे कि फसल उत्पादन, पशुपालन, मछली पालन, और वृक्षारोपण एक ही प्रणाली में एकीकृत की जाती हैं। इसका उद्देश्य कृषRead more
समेकित कृषि प्रणाली: परिभाषा और लाभ
**1. समेकित कृषि प्रणाली क्या है?:
- समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System, IFS) एक बहुआयामी दृष्टिकोण है जिसमें विभिन्न प्रकार की कृषि गतिविधियाँ जैसे कि फसल उत्पादन, पशुपालन, मछली पालन, और वृक्षारोपण एक ही प्रणाली में एकीकृत की जाती हैं। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।
**2. भारत में छोटे और सीमांत किसानों के लिए लाभ:
**a. आय विविधीकरण:
- आय का विविधीकरण छोटे और सीमांत किसानों को मौसमी फसलों और पशुपालन जैसे विविध स्रोतों से आय प्राप्त करने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा के किसान जो गेहूँ और धान की फसलें उगाते हैं, उन्होंने पशुपालन और मछली पालन को जोड़कर अपनी आय बढ़ाई है।
**b. संसाधनों का प्रभावी उपयोग:
- समेकित कृषि प्रणाली प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग करती है। गोबर गैस (बायोगैस) संयंत्रों की स्थापना, जैसे कि झारखंड और बिहार में की गई है, से गाय के गोबर से ऊर्जा उत्पन्न होती है और खाद का उपयोग फसलों के लिए होता है।
**c. विपणन और भंडारण में सुधार:
- इस प्रणाली के अंतर्गत फसल उत्पादन और पशुपालन को जोड़ने से विपणन और भंडारण की लागत में कमी आती है। दक्षिण भारत में, एकीकृत कृषि प्रणाली का उपयोग करके किसानों ने आधुनिक भंडारण सुविधाएँ और शीतकालीन फसलों की योजना बनाई है, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
**d. पर्यावरणीय स्थिरता:
- समेकित कृषि प्रणाली मृदा संरक्षण, जल प्रबंधन, और विविधता को बढ़ावा देती है, जो पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करती है। कर्नाटका में पशुपालन और फसल उत्पादन का संयोजन मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है और वृक्षारोपण से जलवायु परिवर्तन का सामना करने में योगदान करता है।
**3. हाल के उदाहरण:
**a. किसान उत्पादक संगठनों: कई राज्यों में किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) ने समेकित कृषि प्रणाली को अपनाया है। उत्तर प्रदेश में, किसान समूहों ने कृषि-लाइवस्टॉक समेकन के माध्यम से अपनी आय को दोगुना किया है और फसलों की जोखिम को कम किया है।
**b. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स: आधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे eNAM और किसान मित्र ने किसानों को समेकित कृषि प्रणाली के लाभ और जानकारी प्रदान की है, जिससे वे बेहतर निर्णय ले पा रहे हैं और संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं।
निष्कर्ष: समेकित कृषि प्रणाली छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक प्रभावी तरीका है जिससे वे आय विविधीकरण, संसाधनों के कुशल उपयोग, और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं। भारत में इसे लागू करने से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और स्थायी कृषि प्रथाएँ प्रोत्साहित होंगी।
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जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और मौसम की अनिश्चितता ने मोटे अनाज की खेती को फिर से महत्वपूर्ण बना दिया है। मोटे अनाज जैसे कि बाजरा, ज्वार, और रागी, जलवायु के प्रति अधिक सहनशील होते हैं और कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे वे सूखा-प्रवण क्षेत्रों में उपयुक्त होते हैं। भारत में, सरकार नेRead more
जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और मौसम की अनिश्चितता ने मोटे अनाज की खेती को फिर से महत्वपूर्ण बना दिया है। मोटे अनाज जैसे कि बाजरा, ज्वार, और रागी, जलवायु के प्रति अधिक सहनशील होते हैं और कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे वे सूखा-प्रवण क्षेत्रों में उपयुक्त होते हैं।
भारत में, सरकार ने मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। ‘प्रेरण’ योजना के तहत मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और कृषि अवसंरचना निधि जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को वित्तीय सहायता दी जा रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में भी मोटे अनाज को शामिल किया गया है, जिससे अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिला है। इन प्रयासों से मोटे अनाज की खेती को पुनर्जीवित करने में मदद मिल रही है।
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