प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] ‘राजा शंकर शाह’ के विषय में आप क्या जानते हैं?
मल्हार राव होल्कर, 18वीं सदी के एक प्रमुख मराठा नेता और होल्कर राजवंश के संस्थापक थे। उनकी अंग्रेजों के साथ संबंधों की स्थिति समय के साथ बदलती रही, और उनकी परिस्थितियाँ उनके राजनैतिक और सामरिक लक्ष्यों के अनुसार परिवर्तित होती रहीं। प्रारंभिक संबंध: सहयोग और गठबंधन: मल्हार राव होल्कर के प्रारंभिक वरRead more
मल्हार राव होल्कर, 18वीं सदी के एक प्रमुख मराठा नेता और होल्कर राजवंश के संस्थापक थे। उनकी अंग्रेजों के साथ संबंधों की स्थिति समय के साथ बदलती रही, और उनकी परिस्थितियाँ उनके राजनैतिक और सामरिक लक्ष्यों के अनुसार परिवर्तित होती रहीं।
प्रारंभिक संबंध:
- सहयोग और गठबंधन: मल्हार राव होल्कर के प्रारंभिक वर्षों में, उनका ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सहयोगात्मक संबंध था। ब्रिटिशों के साथ उनका गठबंधन और समझौते सामरिक और राजनीतिक लाभ के लिए थे। इस समय में, उनकी प्राथमिकता थी कि वे अपनी शक्ति और प्रभाव का विस्तार करें और ब्रिटिशों के साथ मिलकर अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों को नियंत्रित करें।
- संधियाँ और समझौते: मल्हार राव होल्कर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ कई संधियाँ कीं, जिनका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति बनाए रखना और दोनों पक्षों के हितों का संरक्षण करना था। इन संधियों के माध्यम से, उन्होंने ब्रिटिशों के साथ समन्वय बनाए रखा और अपने सामरिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश की।
बाद के संघर्ष और टकराव:
- आंतरिक और बाहरी संघर्ष: जैसे-जैसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपनी शक्ति बढ़ाई, मल्हार राव होल्कर और अन्य मराठा नेताओं के साथ टकराव शुरू हुआ। ब्रिटिशों का उद्देश्य था कि वे रणनीतिक क्षेत्रों पर नियंत्रण प्राप्त करें, जिससे मराठा चieftains के साथ संघर्ष उत्पन्न हुआ।
- पलखेड की लड़ाई (1775): मल्हार राव होल्कर की प्रमुख संघर्षों में से एक पलखेड की लड़ाई थी, जो 1775 में हुई थी। यह लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा संघ के बीच संघर्ष का हिस्सा थी। इस संघर्ष में, मल्हार राव होल्कर की सेनाएँ ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ीं, जो भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रहे थे।
- पार्श्वभूमि और उत्तराधिकार: मल्हार राव होल्कर की मृत्यु 1766 में हो गई, और उनके उत्तराधिकारी अपने समय में ब्रिटिशों के साथ संबंधों में संघर्ष और सहयोग की स्थितियों का सामना करते रहे। ब्रिटिशों के साथ उनके रिश्ते भी बाद में अधिक संघर्षपूर्ण हो गए, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपनी शक्ति को और अधिक विस्तारित किया।
सारांश में, मल्हार राव होल्कर के अंग्रेजों के साथ संबंध समय के साथ बदलते रहे। प्रारंभ में सहयोगात्मक और समझौतों के रूप में शुरू हुए, लेकिन अंततः ब्रिटिश विस्तार और सामरिक लक्ष्यों के कारण ये संबंध संघर्षपूर्ण हो गए।
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राजा शंकर शाह मध्य प्रदेश के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और गोंड राजा थे। उनका जन्म 1730 के आसपास हुआ था, और वे गोंडवाना क्षेत्र के रानी दुर्गावती के वंशज थे। राजा शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। 1780 के दशक में, उन्होंने ब्रिटिश शासन कRead more
राजा शंकर शाह मध्य प्रदेश के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और गोंड राजा थे। उनका जन्म 1730 के आसपास हुआ था, और वे गोंडवाना क्षेत्र के रानी दुर्गावती के वंशज थे। राजा शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया।
1780 के दशक में, उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रमुख संघर्ष शुरू किया, जो गोंडवाना क्षेत्र में हुआ। यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जाता है। राजा शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन अंततः ब्रिटिशों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए। 1782 में, उन्हें सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई।
राजा शंकर शाह की बहादुरी और उनका संघर्ष भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी शहादत और उनके प्रयासों को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सम्मानपूर्वक याद किया जाता है।
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