प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] मध्य प्रदेश में काली मिट्टी के क्षेत्र बताते हुए उसकी विशेषतायें बताइये।
मध्य प्रदेश के प्रमुख कोयला क्षेत्र मध्य प्रदेश, भारत का एक महत्वपूर्ण कोयला उत्पादक राज्य है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य में कई प्रमुख कोयला क्षेत्रों की उपस्थिति है, जिनका विवरण निम्नलिखित है: 1. सिंगरौली कोयला क्षेत्र: स्थान: यह कोयला क्षेत्र मधRead more
मध्य प्रदेश के प्रमुख कोयला क्षेत्र
मध्य प्रदेश, भारत का एक महत्वपूर्ण कोयला उत्पादक राज्य है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य में कई प्रमुख कोयला क्षेत्रों की उपस्थिति है, जिनका विवरण निम्नलिखित है:
1. सिंगरौली कोयला क्षेत्र:
स्थान: यह कोयला क्षेत्र मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी फैलता है।
विवरण:
- मुख्य जमा: सिंगरौली कोयला क्षेत्र भारत के सबसे बड़े कोयला क्षेत्रों में से एक है और यहाँ पर उच्च गुणवत्ता वाले थर्मल कोयले के विशाल भंडार हैं। यह क्षेत्र सिंगरौली सुपर थर्मल पावर स्टेशन और नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) द्वारा संचालित है।
- हाल की गतिविधियाँ: सिंगरौली क्षेत्र में उझानी विस्तार परियोजना जैसे कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ चल रही हैं, जिनका उद्देश्य कोयला उत्पादन बढ़ाना और अवसंरचना में सुधार करना है।
2. कोरबा कोयला क्षेत्र:
स्थान: यह क्षेत्र मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है और छत्तीसगढ़ में भी फैला हुआ है।
विवरण:
- मुख्य जमा: कोरबा कोयला क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले थर्मल कोयले के महत्वपूर्ण भंडार हैं। यह क्षेत्र साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) द्वारा संचालित है।
- हाल की गतिविधियाँ: कोरबा पश्चिम विस्तार परियोजना जैसे प्रमुख परियोजनाएँ कोयला उत्पादन और खनन दक्षता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम और आधुनिक कोयला धोने की तकनीकें अपनाई जा रही हैं।
3. पेंच-कन्हान कोयला क्षेत्र:
स्थान: यह क्षेत्र मध्य प्रदेश के मध्य भाग में, सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में स्थित है।
विवरण:
- मुख्य जमा: पेंच-कन्हान कोयला क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले थर्मल कोयले के भंडार हैं। इसे वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (WCL) द्वारा संचालित किया जाता है।
- हाल की गतिविधियाँ: पेंच विस्तार परियोजना में उत्पादन क्षमता बढ़ाने और आधुनिक खनन प्रौद्योगिकियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके साथ ही पर्यावरणीय चिंताओं जैसे कोयला धूल नियंत्रण और स्थानीय अवसंरचना सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।
4. वैधन कोयला क्षेत्र:
स्थान: यह क्षेत्र मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित है और सिंगरौली कोयला बेसिन का हिस्सा है।
विवरण:
- मुख्य जमा: वैधन कोयला क्षेत्र में थर्मल कोयले के बड़े भंडार हैं और इसे नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) द्वारा संचालित किया जाता है।
- हाल की गतिविधियाँ: वैधन खदान विस्तार परियोजना का उद्देश्य कोयला उत्पादन बढ़ाना और खनन प्रक्रिया को अनुकूलित करना है। इसके साथ ही स्थानीय सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में सुधार के लिए विभिन्न सामुदायिक विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
5. मंड-रायगढ़ कोयला क्षेत्र:
स्थान: यह क्षेत्र मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है और छत्तीसगढ़ में भी फैला हुआ है।
विवरण:
- मुख्य जमा: मंड-रायगढ़ कोयला क्षेत्र थर्मल कोयले के भंडार के लिए जाना जाता है और इसे साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) द्वारा संचालित किया जाता है।
- हाल की गतिविधियाँ: मंड-रायगढ़ विस्तार परियोजना के तहत कोयला उत्पादन बढ़ाने और पर्यावरण प्रबंधन प्रथाओं में सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है। इसमें बेहतर कोयला हैंडलिंग सिस्टम और पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश के प्रमुख कोयला क्षेत्र—सिंगरौली, कोरबा, पेंच-कन्हान, वैधन, और मंड-रायगढ़—देश के ऊर्जा बुनियादी ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये क्षेत्र उच्च गुणवत्ता वाले थर्मल कोयले के भंडार के लिए प्रसिद्ध हैं और भारत की औद्योगिक और ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल के वर्षों में, इन क्षेत्रों में उत्पादन वृद्धि, आधुनिक खनन तकनीकें, और पर्यावरणीय प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
See less
मध्य प्रदेश में काली मिट्टी के क्षेत्र और उसकी विशेषताएँ काली मिट्टी, जिसे रगुर मिट्टी भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मिट्टी अपने गुणात्मक विशेषताओं के कारण कृषि उत्पादन के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। यहाँ मध्य प्रदेश में काली मिट्टी के प्रमुख क्Read more
मध्य प्रदेश में काली मिट्टी के क्षेत्र और उसकी विशेषताएँ
काली मिट्टी, जिसे रगुर मिट्टी भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मिट्टी अपने गुणात्मक विशेषताओं के कारण कृषि उत्पादन के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। यहाँ मध्य प्रदेश में काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्रों और उनकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है:
1. काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र:
a. मालवा पठार:
b. नर्मदा बेसिन:
c. चंबल बेसिन:
d. बघेलखंड क्षेत्र:
2. काली मिट्टी की विशेषताएँ:
a. उच्च उर्वरता:
b. नमी संधारण क्षमता:
c. मिट्टी की चिपचिपाहट और फैलाव:
d. उच्च पीएच स्तर:
e. विशेष फसलों के लिए उपयुक्तता:
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र—मालवा पठार, नर्मदा बेसिन, चंबल बेसिन, और बघेलखंड क्षेत्र—कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों की काली मिट्टी की विशेषताएँ, जैसे उच्च उर्वरता, नमी संधारण क्षमता, और विशेष फसलों के लिए उपयुक्तता, इसे राज्य की कृषि के लिए महत्वपूर्ण बनाती हैं। हाल के वर्षों में मिट्टी प्रबंधन और फसल तकनीकों में सुधार ने कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
See less