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"सूचना का अधिकार अधिनियम केवल नागरिकों के सशक्तिकरण के बारे में ही नहीं है, अपितु यह आवश्यक रूप से जवाबदेही की संकल्पना को पुनःपरिभाषित करता है।" विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
सूचना का अधिकार अधिनियम और जवाबदेही नागरिकों का सशक्तिकरण: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम नागरिकों को सरकारी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है, जो उनकी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जवाबदेही की पुनर्परिभाषा: हालांकि, RTI अधिनियम का प्रभाव केवल सशक्तिकरण तक सीमितRead more
सूचना का अधिकार अधिनियम और जवाबदेही
नागरिकों का सशक्तिकरण: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम नागरिकों को सरकारी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है, जो उनकी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जवाबदेही की पुनर्परिभाषा: हालांकि, RTI अधिनियम का प्रभाव केवल सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है। यह जवाबदेही की संकल्पना को भी पुनर्परिभाषित करता है।
पारदर्शिता में वृद्धि: RTI अधिनियम सरकारी निर्णयों और कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, जिससे अधिकारियों को अपने कार्यों के प्रति अधिक उत्तरदायी बनना पड़ता है। उदाहरण: RTI से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ उजागर हुई हैं, जैसे कि राशन वितरण प्रणाली में गड़बड़ी।
निगरानी और उत्तरदायित्व: यह अधिनियम नागरिकों को सरकारी निकायों की निगरानी करने का साधन प्रदान करता है, जिससे अधिकारियों को अपनी गतिविधियों का स्पष्टीकरण देना पड़ता है।
निष्कर्ष: RTI अधिनियम न केवल नागरिकों को सशक्त बनाता है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है।
See lessनागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के मूलभूत सिद्धांतों को स्पष्ट कीजिए और उसके महत्त्व को उजागर कीजिए । (150 words) [UPSC 2019]
नागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के सिद्धांत नागरिकों के अधिकारपत्र (Citizens' Charter) आंदोलन का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ाना है। इसके मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं: पारदर्शिता: सेवाओं की प्रक्रिया, अधिकार, और समयसीमा स्पष्ट रूप से बताई जाती है। उदाहरण के लिएRead more
नागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के सिद्धांत
नागरिकों के अधिकारपत्र (Citizens’ Charter) आंदोलन का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ाना है। इसके मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
महत्त्व
निष्कर्ष
नागरिकों के अधिकारपत्र आंदोलन, पारदर्शिता, जवाबदेही, नागरिक सहभागिता, और शिकायत निवारण के सिद्धांतों के माध्यम से, सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और सरकारी संस्थानों पर जनता के विश्वास को बढ़ाता है।
See lessएक विचार यह है कि शासकीय गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2019]
गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम सहमति का आधार: **1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति a. उद्देश्य और सीमाएँ: गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनRead more
गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम
सहमति का आधार:
**1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति
a. उद्देश्य और सीमाएँ:
गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनाओं को सार्वजनिक रूप से साझा करने पर रोक लगाता है।
b. सूचना के अधिकार पर प्रभाव:
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) 2005 के तहत नागरिकों को सरकारी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। गुप्त बात अधिनियम की रोकथामें RTI के उद्देश्यों के विपरीत हो सकती हैं, क्योंकि यह सार्वजनिक प्रवाह और पारदर्शिता को बाधित करती है।
**2. विवेचना
a. आवश्यक संतुलन:
हालांकि गुप्त बात अधिनियम सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, सूचना के अधिकार अधिनियम के लक्ष्यों के साथ एक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। हाल ही में, 2022 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि RTI के तहत मांगी गई जानकारी को गुप्त बात अधिनियम के तहत छुपाया नहीं जा सकता जब तक यह वास्तव में सुरक्षा से संबंधित न हो।
b. उदाहरण:
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में RTI आवेदन के तहत कुछ गुप्त दस्तावेज़ों की सूचना को लेकर विवाद हुआ था, जहाँ गुप्त बात अधिनियम ने पारदर्शिता की प्रक्रिया को प्रभावित किया।
निष्कर्ष:
See lessहाँ, गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा हो सकता है, क्योंकि यह पारदर्शिता और सार्वजनिक नियंत्रण को सीमित करता है। आवश्यक है कि एक संतुलन बनाए रखा जाए, जहाँ सुरक्षा और सार्वजनिक जानकारी दोनों की रक्षा हो सके।
शासन में पारदर्शिता के लिये 'सूचना के अधिकार' की भूमिका की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
'सूचना के अधिकार' (RTI) की भूमिका शासन में पारदर्शिता में 1. पारदर्शिता का संवर्धन: सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 ने सरकारी कार्यों को खुला और स्पष्ट बनाया है। यह नागरिकों को सरकारी दस्तावेज और प्रणालियों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। हाल ही में, RTI आवेदन ने COVID-19 राहत पैकेज कीRead more
‘सूचना के अधिकार’ (RTI) की भूमिका शासन में पारदर्शिता में
1. पारदर्शिता का संवर्धन: सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 ने सरकारी कार्यों को खुला और स्पष्ट बनाया है। यह नागरिकों को सरकारी दस्तावेज और प्रणालियों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। हाल ही में, RTI आवेदन ने COVID-19 राहत पैकेज की वितरण प्रक्रियाओं में गड़बड़ी को उजागर किया।
2. जवाबदेही: RTI के माध्यम से, सरकारी अधिकारियों को अपनी निर्णय प्रक्रिया और कार्यप्रणाली के प्रति जवाबदेह बनाता है। उदाहरण के लिए, मध्यप्रदेश में RTI के तहत शिक्षा विभाग की फंड आवंटन की जानकारी ने सुधार की दिशा में योगदान किया।
3. सार्वजनिक भागीदारी: RTI नागरिकों को सरकारी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की सुविधा देता है, जिससे सार्वजनिक निगरानी बढ़ती है।
निष्कर्ष: RTI शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है, जिससे कुशल और ईमानदार सरकारी प्रशासन को सुनिश्चित किया जा सकता है।
See less"सूचना का छिपाव सार्वजनिक पहुंच और भागीदारी को बाधित करता है।", इस कथन के आलोक में सरकार में सूचना साझा करने और पारदर्शिता के महत्व पर चर्चा करें। (125 Words) [UPPSC 2023]
सूचना साझा करने और पारदर्शिता का महत्व 1. सूचना साझा करने की आवश्यकता सार्वजनिक पहुंच: सूचना का छिपाव जनता की जानकारी तक पहुंच को बाधित करता है, जिससे सरकार की नीतियों और कार्यों के प्रति विश्वास कम होता है। उदाहरण के लिए, RTI (Right to Information) Act ने सरकारी निर्णयों और प्रक्रियाओं में पारदर्शिRead more
सूचना साझा करने और पारदर्शिता का महत्व
1. सूचना साझा करने की आवश्यकता
2. प्रभावी सार्वजनिक भागीदारी
निष्कर्ष: सूचना का छिपाव सार्वजनिक पहुंच और भागीदारी को बाधित करता है, जबकि सूचना साझा करने और पारदर्शिता से जनता की जानकारी, भरोसा, और भागीदारी बढ़ती है।
See lessजवाबदेही के लिए पारदर्शिता एक अनिवार्य शर्त है, लेकिन यह स्वतः जवाबदेही की गारंटी नहीं देती है। चर्चा कीजिए। किन परिस्थितियों में पारदर्शिता जवाबदेही की ओर ले जाती है? (150 शब्दों में उत्तर दें)
पारदर्शिता जवाबदेही की अनिवार्य शर्त है, लेकिन यह स्वतः जवाबदेही की गारंटी नहीं देती। पारदर्शिता से संबंधित जानकारी और निर्णय खुले और सुलभ होते हैं, जिससे किसी कार्यवाही या निर्णय की निगरानी और समीक्षा संभव होती है। लेकिन, पारदर्शिता की प्रभावशीलता कई परिस्थितियों पर निर्भर करती है: सक्रिय निगरानी औRead more
पारदर्शिता जवाबदेही की अनिवार्य शर्त है, लेकिन यह स्वतः जवाबदेही की गारंटी नहीं देती। पारदर्शिता से संबंधित जानकारी और निर्णय खुले और सुलभ होते हैं, जिससे किसी कार्यवाही या निर्णय की निगरानी और समीक्षा संभव होती है।
लेकिन, पारदर्शिता की प्रभावशीलता कई परिस्थितियों पर निर्भर करती है:
इस प्रकार, पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन वास्तविक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इसे उचित निगरानी, नियम और प्रबंधन तंत्र के साथ जोड़ना आवश्यक है।
See lessडेटा संचालित प्रौद्योगिकियों पर अत्यधिक निर्भरता के परिणामस्वरूप डेटा उपनिवेशीकरण और डिजिटल तानाशाही की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस संदर्भ में उत्पन्न होने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कीजिए और उपचारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
डेटा संचालित प्रौद्योगिकियों की अत्यधिक निर्भरता डेटा उपनिवेशीकरण और डिजिटल तानाशाही की स्थिति को जन्म दे सकती है। डेटा उपनिवेशीकरण में कंपनियाँ और सरकारें व्यक्तिगत डेटा को अत्यधिक संचित और नियंत्रित करती हैं, जिससे निजता का उल्लंघन होता है। डिजिटल तानाशाही में सत्ता संरचनाएं डेटा का उपयोग समाज परRead more
डेटा संचालित प्रौद्योगिकियों की अत्यधिक निर्भरता डेटा उपनिवेशीकरण और डिजिटल तानाशाही की स्थिति को जन्म दे सकती है। डेटा उपनिवेशीकरण में कंपनियाँ और सरकारें व्यक्तिगत डेटा को अत्यधिक संचित और नियंत्रित करती हैं, जिससे निजता का उल्लंघन होता है। डिजिटल तानाशाही में सत्ता संरचनाएं डेटा का उपयोग समाज पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए करती हैं, जैसे कि निगरानी और सेंसरशिप।
इन समस्याओं से निपटने के लिए, निजता और डेटा सुरक्षा के मजबूत कानूनों की आवश्यकता है, जैसे कि GDPR (जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) का भारतीय संस्करण। इसके अतिरिक्त, डेटा ट्रांसपेरेंसी और उपयोगकर्ता की सहमति को प्रोत्साहित करने वाले उपायों को लागू करना महत्वपूर्ण है। डेटा गोपनीयता और सुरक्षा पर शिक्षा को बढ़ावा देने से लोगों को अपनी जानकारी की सुरक्षा में सहायता मिल सकती है। इससे संतुलित और न्यायसंगत डेटा प्रबंधन संभव हो सकता है।
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