“सूचना का अधिकार अधिनियम केवल नागरिकों के सशक्तिकरण के बारे में ही नहीं है, अपितु यह आवश्यक रूप से जवाबदेही की संकल्पना को पुनःपरिभाषित करता है।” विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम सहमति का आधार: **1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति a. उद्देश्य और सीमाएँ: गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनRead more
गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम
सहमति का आधार:
**1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति
a. उद्देश्य और सीमाएँ:
गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनाओं को सार्वजनिक रूप से साझा करने पर रोक लगाता है।
b. सूचना के अधिकार पर प्रभाव:
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) 2005 के तहत नागरिकों को सरकारी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। गुप्त बात अधिनियम की रोकथामें RTI के उद्देश्यों के विपरीत हो सकती हैं, क्योंकि यह सार्वजनिक प्रवाह और पारदर्शिता को बाधित करती है।
**2. विवेचना
a. आवश्यक संतुलन:
हालांकि गुप्त बात अधिनियम सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, सूचना के अधिकार अधिनियम के लक्ष्यों के साथ एक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। हाल ही में, 2022 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि RTI के तहत मांगी गई जानकारी को गुप्त बात अधिनियम के तहत छुपाया नहीं जा सकता जब तक यह वास्तव में सुरक्षा से संबंधित न हो।
b. उदाहरण:
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में RTI आवेदन के तहत कुछ गुप्त दस्तावेज़ों की सूचना को लेकर विवाद हुआ था, जहाँ गुप्त बात अधिनियम ने पारदर्शिता की प्रक्रिया को प्रभावित किया।
निष्कर्ष:
हाँ, गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा हो सकता है, क्योंकि यह पारदर्शिता और सार्वजनिक नियंत्रण को सीमित करता है। आवश्यक है कि एक संतुलन बनाए रखा जाए, जहाँ सुरक्षा और सार्वजनिक जानकारी दोनों की रक्षा हो सके।
सूचना का अधिकार अधिनियम और जवाबदेही नागरिकों का सशक्तिकरण: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम नागरिकों को सरकारी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है, जो उनकी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जवाबदेही की पुनर्परिभाषा: हालांकि, RTI अधिनियम का प्रभाव केवल सशक्तिकरण तक सीमितRead more
सूचना का अधिकार अधिनियम और जवाबदेही
नागरिकों का सशक्तिकरण: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम नागरिकों को सरकारी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है, जो उनकी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जवाबदेही की पुनर्परिभाषा: हालांकि, RTI अधिनियम का प्रभाव केवल सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है। यह जवाबदेही की संकल्पना को भी पुनर्परिभाषित करता है।
पारदर्शिता में वृद्धि: RTI अधिनियम सरकारी निर्णयों और कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, जिससे अधिकारियों को अपने कार्यों के प्रति अधिक उत्तरदायी बनना पड़ता है। उदाहरण: RTI से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ उजागर हुई हैं, जैसे कि राशन वितरण प्रणाली में गड़बड़ी।
निगरानी और उत्तरदायित्व: यह अधिनियम नागरिकों को सरकारी निकायों की निगरानी करने का साधन प्रदान करता है, जिससे अधिकारियों को अपनी गतिविधियों का स्पष्टीकरण देना पड़ता है।
निष्कर्ष: RTI अधिनियम न केवल नागरिकों को सशक्त बनाता है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है।
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