प्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार क्या है? आलोचनात्मक विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
नैतिक शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार लोकतंत्र की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये मूल्य न केवल राजनीतिक संस्थाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं, बल्कि नागरिकों के विश्वास को भी बनाए रखते हैं। आइए विभिन्न दार्शनिक दृष्टिकोणों के माध्यम से इसे समझते हैं और कुछ उदाहरणों पर ध्यान देतRead more
नैतिक शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार लोकतंत्र की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये मूल्य न केवल राजनीतिक संस्थाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं, बल्कि नागरिकों के विश्वास को भी बनाए रखते हैं। आइए विभिन्न दार्शनिक दृष्टिकोणों के माध्यम से इसे समझते हैं और कुछ उदाहरणों पर ध्यान देते हैं।
1. सामाजिक अनुबंध सिद्धांत (Social Contract Theory)
- दार्शनिक आधार: इस सिद्धांत के अनुसार, सरकार और नागरिकों के बीच एक अनुबंध होता है, जिसमें सरकार का कर्तव्य होता है कि वह नागरिकों की भलाई के लिए कार्य करे। ईमानदारी और नैतिकता इस अनुबंध का अनिवार्य हिस्सा हैं।
- उदाहरण: स्वीडन में, सरकार की उच्च स्तर की पारदर्शिता और जवाबदेही के कारण नागरिकों का विश्वास मजबूत है। यहाँ की राजनीतिक संस्कृति नैतिक शासन पर आधारित है, जिससे लोकतंत्र में स्थिरता बनी रहती है।
2. कर्तव्यनिष्ठ नैतिकता (Deontological Ethics)
- दार्शनिक आधार: इमैनुएल कांट का यह दृष्टिकोण कहता है कि नैतिकता का पालन करना एक कर्तव्य है। ईमानदारी एक अनिवार्य मूल्य है, जो राजनीतिक निर्णयों को नैतिकता की ओर ले जाता है।
- उदाहरण: जर्मनी में, सरकारें पारदर्शी नीतियों का पालन करती हैं। यहां की मजबूत प्रशासनिक संरचना और ईमानदारी ने जर्मन लोकतंत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया है।
3. सुविधावादी नैतिकता (Utilitarianism)
- दार्शनिक आधार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, किसी कार्रवाई की नैतिकता का मापदंड यह होता है कि वह अधिकतम लोगों के लिए अधिकतम लाभ पहुँचाती है। ईमानदारी और पारदर्शिता जनता के भले के लिए आवश्यक हैं।
- उदाहरण: न्यूजीलैंड में सरकार की पारदर्शिता और नागरिकों की भागीदारी ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत किया है। कोविड-19 के दौरान ईमानदार संचार ने जनता का विश्वास बनाए रखा।
4. सद्गुण नैतिकता (Virtue Ethics)
- दार्शनिक आधार: अरस्तू के अनुसार, नेतृत्व में नैतिक गुणों का होना आवश्यक है। जब नेता ईमानदार और नैतिक होते हैं, तो यह लोकतंत्र की मजबूती में सहायक होता है।
- उदाहरण: कनाडा में, नेताओं की नैतिकता और सार्वजनिक जिम्मेदारी ने वहाँ की लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया है। नागरिकों में सरकार के प्रति विश्वास का स्तर उच्च है।
5. न्याय का सिद्धांत (Theory of Justice)
- दार्शनिक आधार: जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत कहता है कि समाज में न्याय और समानता आवश्यक हैं। ईमानदारी और पारदर्शिता इन सिद्धांतों के पालन में मदद करती हैं।
- उदाहरण: डेनमार्क में, सरकार की नीतियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया है। यहाँ के नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलते हैं, जो लोकतंत्र की स्थिरता को बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष:
नैतिक शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार लोकतंत्र को मजबूत करता है। जब सरकारें नैतिक मूल्यों पर आधारित होती हैं, तो नागरिकों का विश्वास और सहभागिता बढ़ती है। स्वीडन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, कनाडा, और डेनमार्क जैसे देशों में ये सिद्धांत लागू होते हैं, जिससे उनके लोकतंत्र की स्थिरता और प्रभावशीलता में वृद्धि होती है। इस प्रकार, नैतिकता और ईमानदारी लोकतंत्र के लिए अनिवार्य हैं, और इनका पालन करने से शासन व्यवस्था मजबूत होती है।
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प्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार परिचय: सत्यनिष्ठा प्रशासन में उच्च नैतिक मानकों, पारदर्शिता, और ईमानदारी को दर्शाती है। इसका दार्शनिक आधार जनता के कल्याण की सेवा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा में निहित है। **1. नैतिक आधार: सत्यनिष्ठा नैतिक दार्शनिकता पर आधारित होती है, जिसमें ईमानदारी,Read more
प्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार
परिचय: सत्यनिष्ठा प्रशासन में उच्च नैतिक मानकों, पारदर्शिता, और ईमानदारी को दर्शाती है। इसका दार्शनिक आधार जनता के कल्याण की सेवा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा में निहित है।
**1. नैतिक आधार: सत्यनिष्ठा नैतिक दार्शनिकता पर आधारित होती है, जिसमें ईमानदारी, न्याय, और जवाबदेही पर जोर दिया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक अधिकारी उच्च नैतिक मानकों का पालन करें। RTI अधिनियम (2005) इसका एक उदाहरण है, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
**2. लोकतांत्रिक मूल्य: सत्यनिष्ठा लोकतांत्रिक सिद्धांतों जैसे समानता और न्याय को बनाए रखती है, जिससे सभी नागरिकों को समान रूप से देखा जाए और सत्ता का उपयोग जिम्मेदारी से किया जाए। नीरव मोदी-PNB घोटाला ने सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की समस्याओं को उजागर किया।
आलोचनात्मक विवेचना: हालांकि सत्यनिष्ठा प्रशासन के लिए आवश्यक है, लेकिन संविधानिक भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता जैसी समस्याएँ सामने आती हैं। प्रभावी प्रवर्तन तंत्र और संस्थागत सुधार आवश्यक हैं ताकि सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित किया जा सके।
निष्कर्ष: प्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार नैतिक सिद्धांतों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है, जो सार्वजनिक प्रशासन की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
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