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आचार-सिद्धांत के किन पाँच सिद्धांतों को आप प्राथमिकता प्रदान करेंगे और क्यों? विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता 1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाRead more
आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता
1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ने ईमानदारी की आवश्यकता को प्रमुखता दी है।
2. नैतिकता: नैतिकता का तात्पर्य है कि सभी निर्णय सही और उचित आधार पर किए जाएं। नैतिकता सुनिश्चित करती है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों को नैतिक नियमों के अनुसार निभाएं। मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ई-गवर्नेंस के तहत नैतिकता को प्रोत्साहित किया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी।
3. उचितता: उचितता का सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि सभी निर्णय समानता और निष्पक्षता के आधार पर लिए जाएं। स्वच्छ भारत मिशन में, अधिकारियों ने सभी वर्गों के लोगों को स्वच्छता सुविधाओं का समान लाभ देने के लिए उचितता को प्राथमिकता दी।
4. प्रोफेशनलिज़्म: प्रोफेशनलिज़्म का मतलब है कि कार्यों को उच्च मानकों और प्रोफेशनल व्यवहार के अनुसार किया जाए। कोविड-19 टीकाकरण अभियान में, अधिकारियों ने पेशेवर तरीके से टीकाकरण प्रक्रिया को संचालित किया, जिससे कि मिशन की सफलता सुनिश्चित हो सकी।
5. जवाबदेही: जवाबदेही का तात्पर्य है कि अधिकारी अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी हों और जनता के सामने जवाब दें। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत, स्वास्थ्य विभाग ने सभी टीकाकरण गतिविधियों की जवाबदेही सुनिश्चित की।
निष्कर्ष: इन पाँच सिद्धांतों – ईमानदारी, नैतिकता, उचितता, प्रोफेशनलिज़्म, और जवाबदेही – को प्राथमिकता देने से लोक सेवा में सच्ची सेवा और जनता के विश्वास को बढ़ाया जा सकता है। इन सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करता है कि सरकारी कार्य समाज के हित में और उच्च मानकों के अनुसार किए जाएं।
See lessईमानदारी क्या है? शासन में ईमानदारी के दार्शनिक आधार की स्पष्ट व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
ईमानदारी एक नैतिक मूल्य है जो सत्यता, पारदर्शिता, और वचनबद्धता को दर्शाता है। यह व्यक्ति के आचरण में सत्य, अखंडता, और नैतिकता का प्रतीक है, जिसमें वे अपने कार्यों और निर्णयों में सच्चाई और अच्छे इरादों का पालन करते हैं। 1. शासन में ईमानदारी के दार्शनिक आधार: सामाजिक अनुबंध सिद्धांत: इस सिद्धांत के अRead more
ईमानदारी एक नैतिक मूल्य है जो सत्यता, पारदर्शिता, और वचनबद्धता को दर्शाता है। यह व्यक्ति के आचरण में सत्य, अखंडता, और नैतिकता का प्रतीक है, जिसमें वे अपने कार्यों और निर्णयों में सच्चाई और अच्छे इरादों का पालन करते हैं।
1. शासन में ईमानदारी के दार्शनिक आधार:
2. निष्कर्ष: शासन में ईमानदारी का दार्शनिक आधार सामाजिक अनुबंध, नैतिक सिद्धांत, और लोकप्रिय विश्वास पर आधारित है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी अधिकारी सत्यता और नैतिकता के साथ कार्य करें, जिससे शासन की वैधता और प्रभावशीलता बनी रहे।
See less"सूचना का अधिकार अधिनियम केवल नागरिकों के सशक्तिकरण के बारे में ही नहीं है, अपितु यह आवश्यक रूप से जवाबदेही की संकल्पना को पुनःपरिभाषित करता है।" विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
सूचना का अधिकार अधिनियम और जवाबदेही नागरिकों का सशक्तिकरण: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम नागरिकों को सरकारी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है, जो उनकी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जवाबदेही की पुनर्परिभाषा: हालांकि, RTI अधिनियम का प्रभाव केवल सशक्तिकरण तक सीमितRead more
सूचना का अधिकार अधिनियम और जवाबदेही
नागरिकों का सशक्तिकरण: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम नागरिकों को सरकारी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है, जो उनकी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जवाबदेही की पुनर्परिभाषा: हालांकि, RTI अधिनियम का प्रभाव केवल सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है। यह जवाबदेही की संकल्पना को भी पुनर्परिभाषित करता है।
पारदर्शिता में वृद्धि: RTI अधिनियम सरकारी निर्णयों और कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, जिससे अधिकारियों को अपने कार्यों के प्रति अधिक उत्तरदायी बनना पड़ता है। उदाहरण: RTI से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ उजागर हुई हैं, जैसे कि राशन वितरण प्रणाली में गड़बड़ी।
निगरानी और उत्तरदायित्व: यह अधिनियम नागरिकों को सरकारी निकायों की निगरानी करने का साधन प्रदान करता है, जिससे अधिकारियों को अपनी गतिविधियों का स्पष्टीकरण देना पड़ता है।
निष्कर्ष: RTI अधिनियम न केवल नागरिकों को सशक्त बनाता है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है।
See lessउपयुक्त उदाहरणों सहित "सदाचार-संहिता" और "आचार संहिता" के बीच विभेदन कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
"सदाचार-संहिता" और "आचार संहिता" के बीच विभेदन 1. सदाचार-संहिता (Code of Ethics) परिभाषा: सदाचार-संहिता एक व्यापक सिद्धांतों का सेट होता है जो पेशेवर नैतिकता और मानवीय मूल्यों पर आधारित होता है। यह पेशेवर व्यवहार के नैतिक मानकों को परिभाषित करता है। उदाहरण: भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की सदाचार-संहिRead more
“सदाचार-संहिता” और “आचार संहिता” के बीच विभेदन
1. सदाचार-संहिता (Code of Ethics)
परिभाषा: सदाचार-संहिता एक व्यापक सिद्धांतों का सेट होता है जो पेशेवर नैतिकता और मानवीय मूल्यों पर आधारित होता है। यह पेशेवर व्यवहार के नैतिक मानकों को परिभाषित करता है।
उदाहरण: भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की सदाचार-संहिता में चिकित्सा पेशेवरों को मरीजों के प्रति सम्मान, ईमानदारी, और पेशेवर जिम्मेदारी निभाने के मूल्यों का पालन करने के लिए निर्देशित किया गया है।
2. आचार संहिता (Code of Conduct)
परिभाषा: आचार संहिता विशिष्ट नियम और दिशानिर्देश प्रदान करती है जो संगठन में व्यक्तियों की अपेक्षित व्यवहार और कार्यशैली को निर्दिष्ट करती है। यह संगठनात्मक नीतियों और कानूनी आवश्यकताओं का पालन करती है।
उदाहरण: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की आचार संहिता में अधिकारियों की जिम्मेदारियों और आचरण की विशिष्ट नीतियों को परिभाषित किया गया है, जैसे कि गोपनीयता बनाए रखना और हितों के संघर्ष से बचना।
निष्कर्ष: सदाचार-संहिता व्यापक नैतिक सिद्धांतों को निर्देशित करती है, जबकि आचार संहिता विशिष्ट व्यवहारिक नियम और प्रक्रियाओं को परिभाषित करती है।
See lessशासन में सत्यनिष्ठा से आप क्या समझते हैं ? इस शब्द की आपकी अपनी समझ के आधार पर, सरकार में सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने के उपाय सुझाइए । (150 words) [UPSC 2019]
शासन में सत्यनिष्ठा का अभिप्राय सत्यनिष्ठा का तात्पर्य है ईमानदारी, पारदर्शिता, और नैतिकता के साथ शासन करना। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी निर्णय और कार्य प्रणाली सही और निष्पक्ष हों, जिससे जनता का विश्वास और विश्वास कायम रहे। सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने के उपाय पारदर्शिता और खुलापन: निर्णय प्रक्रRead more
शासन में सत्यनिष्ठा का अभिप्राय
सत्यनिष्ठा का तात्पर्य है ईमानदारी, पारदर्शिता, और नैतिकता के साथ शासन करना। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी निर्णय और कार्य प्रणाली सही और निष्पक्ष हों, जिससे जनता का विश्वास और विश्वास कायम रहे।
सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने के उपाय
निष्कर्ष
शासन में सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिए पारदर्शिता, नैतिक शिक्षा, निगरानी, और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र जैसे उपाय महत्वपूर्ण हैं। ये उपाय सरकारी कार्यों को ईमानदारी और नैतिकता के साथ संचालित करने में मदद करते हैं।
See lessनागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के मूलभूत सिद्धांतों को स्पष्ट कीजिए और उसके महत्त्व को उजागर कीजिए । (150 words) [UPSC 2019]
नागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के सिद्धांत नागरिकों के अधिकारपत्र (Citizens' Charter) आंदोलन का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ाना है। इसके मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं: पारदर्शिता: सेवाओं की प्रक्रिया, अधिकार, और समयसीमा स्पष्ट रूप से बताई जाती है। उदाहरण के लिएRead more
नागरिकों के अधिकारपत्र (चार्टर) आंदोलन के सिद्धांत
नागरिकों के अधिकारपत्र (Citizens’ Charter) आंदोलन का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ाना है। इसके मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
महत्त्व
निष्कर्ष
नागरिकों के अधिकारपत्र आंदोलन, पारदर्शिता, जवाबदेही, नागरिक सहभागिता, और शिकायत निवारण के सिद्धांतों के माध्यम से, सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और सरकारी संस्थानों पर जनता के विश्वास को बढ़ाता है।
See lessएक विचार यह है कि शासकीय गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2019]
गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम सहमति का आधार: **1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति a. उद्देश्य और सीमाएँ: गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनRead more
गुप्त बात अधिनियम और सूचना के अधिकार अधिनियम
सहमति का आधार:
**1. गुप्त बात अधिनियम की प्रकृति
a. उद्देश्य और सीमाएँ:
गुप्त बात अधिनियम (Official Secrets Act) 1923 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखना है। यह अधिनियम सरकारी दस्तावेज़ों और सूचनाओं को सार्वजनिक रूप से साझा करने पर रोक लगाता है।
b. सूचना के अधिकार पर प्रभाव:
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) 2005 के तहत नागरिकों को सरकारी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। गुप्त बात अधिनियम की रोकथामें RTI के उद्देश्यों के विपरीत हो सकती हैं, क्योंकि यह सार्वजनिक प्रवाह और पारदर्शिता को बाधित करती है।
**2. विवेचना
a. आवश्यक संतुलन:
हालांकि गुप्त बात अधिनियम सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, सूचना के अधिकार अधिनियम के लक्ष्यों के साथ एक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। हाल ही में, 2022 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि RTI के तहत मांगी गई जानकारी को गुप्त बात अधिनियम के तहत छुपाया नहीं जा सकता जब तक यह वास्तव में सुरक्षा से संबंधित न हो।
b. उदाहरण:
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में RTI आवेदन के तहत कुछ गुप्त दस्तावेज़ों की सूचना को लेकर विवाद हुआ था, जहाँ गुप्त बात अधिनियम ने पारदर्शिता की प्रक्रिया को प्रभावित किया।
निष्कर्ष:
See lessहाँ, गुप्त बात अधिनियम सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में एक बाधा हो सकता है, क्योंकि यह पारदर्शिता और सार्वजनिक नियंत्रण को सीमित करता है। आवश्यक है कि एक संतुलन बनाए रखा जाए, जहाँ सुरक्षा और सार्वजनिक जानकारी दोनों की रक्षा हो सके।
लोक निधियों का प्रभावी उपयोग विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु निर्णायक है। लोक निधियों के अल्प उपयोग एवं दुरुपयोग के कारणों का समालोचनात्मक परीक्षण करते हुए उनके निहितार्थों की समीक्षा कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]लोक निधियों का प्रभावी उपयोग विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु निर्णायक है। लोक निधियों के अल्प उपयोग एवं दुरुपयोग के कारणों का समालोचनात्मक परीक्षण करते हुए उनके निहितार्थों की समीक्षा कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
लोक निधियों के अल्प उपयोग एवं दुरुपयोग के कारण और निहितार्थ **1. अल्प उपयोग और दुरुपयोग के कारण a. प्रशासनिक अक्षमता: जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाएँ और लालफीताशाही अक्सर निधियों के वितरण और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में विलंब का कारण बनती हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGS)Read more
लोक निधियों के अल्प उपयोग एवं दुरुपयोग के कारण और निहितार्थ
**1. अल्प उपयोग और दुरुपयोग के कारण
a. प्रशासनिक अक्षमता:
जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाएँ और लालफीताशाही अक्सर निधियों के वितरण और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में विलंब का कारण बनती हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGS) के तहत परियोजनाओं में अक्सर देरी होती है।
b. भ्रष्टाचार और गलत प्रबंधन:
भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी से निधियाँ गबन या गलत तरीके से इस्तेमाल हो सकती हैं। PM CARES फंड के संदर्भ में, निधियों के प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी के आरोप लगे हैं।
c. अपर्याप्त योजना और निगरानी:
अपर्याप्त योजना और निगरानी की कमी से संसाधनों का असमर्थन हो सकता है। स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ भी समय पर न पूरी होने और लागत में वृद्धि की आलोचना का सामना कर चुकी हैं।
**2. निहितार्थ
a. विकास की रुकावट:
अल्प उपयोग और दुरुपयोग से विकास परियोजनाओं की प्रगति में रुकावट आती है, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में धीमी प्रगति।
b. सार्वजनिक विश्वास का ह्रास:
लोक निधियों के दुरुपयोग से सरकारी संस्थाओं में विश्वास घटता है, जिससे कल्याणकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है।
c. आर्थिक अक्षमता:
संसाधनों के असमर्थन से आर्थिक अक्षमता और विकास लक्ष्यों की पूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
इन समस्याओं का समाधान उचित प्रशासनिक प्रक्रियाओं, भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और प्रभावी निगरानी तंत्र के माध्यम से किया जा सकता है।
See lessसार्वजनिक जीवन के आधारिक सिद्धांत क्या हैं? इन में से किन्हीं तीन सिद्धांतों को उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
सार्वजनिक जीवन के आधारिक सिद्धांत **1. ईमानदारी परिभाषा: ईमानदारी का तात्पर्य नैतिक सिद्धांतों और सत्यता का पालन करने से है, जिसमें पारदर्शिता और स्पष्टता शामिल है। उदाहरण: अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री, ने डिजिटल करप्शन के खिलाफ सख्त उपायों के तहत ‘ई-नाम’ जैसे प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दिया, जिससे सरकारRead more
सार्वजनिक जीवन के आधारिक सिद्धांत
**1. ईमानदारी
परिभाषा: ईमानदारी का तात्पर्य नैतिक सिद्धांतों और सत्यता का पालन करने से है, जिसमें पारदर्शिता और स्पष्टता शामिल है।
उदाहरण: अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री, ने डिजिटल करप्शन के खिलाफ सख्त उपायों के तहत ‘ई-नाम’ जैसे प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दिया, जिससे सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित की जा सके।
**2. जवाबदेही
परिभाषा: जवाबदेही का मतलब है अपने कार्यों और निर्णयों के प्रति जिम्मेदार होना और उन पर रिपोर्ट देना।
उदाहरण: सोनिया गांधी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष, ने लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी के वित्तीय विवरणों को सार्वजनिक किया, जिससे पार्टी के खर्च और योगदानों के प्रति जवाबदेही बढ़ी।
**3. समानता
परिभाषा: समानता का तात्पर्य सभी व्यक्तियों को समान अवसर और निष्पक्ष उपचार देने से है, भले ही वे किसी भी सामाजिक या आर्थिक स्थिति में हों।
उदाहरण: प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, ने ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से स्वच्छता सुविधाओं का विस्तार किया, जिससे सभी नागरिकों को स्वच्छता के लाभ मिले और समाज में समानता बढ़ी।
ये सिद्धांत सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessबुद्धिमानी में निहित है कि किसका ध्यान रखा जाए और क्या अनदेखा किया जाए। नौकरशाही में अपने सामने के मुख्य मुद्दों को अनदेखा करते हुए परिधि में लीन रहने वाले अधिकारी दुर्लभ नहीं हैं। क्या आप इस बात से सहमत हैं कि प्रशासक की इस तरह की व्यस्तता प्रभावी सेवा वितरण और सुशासन की लक्ष्य प्राप्ति की प्रक्रिया में न्याय की विडंबना है? विश्लेषणात्मक मूल्यांकन कीजिए। (150 words) [UPSC 2022]
मुख्य मुद्दों की अनदेखी और परिधि पर ध्यान केंद्रित करना परिचय बुद्धिमानी का तात्पर्य केवल प्रक्रियाओं को समझने से नहीं, बल्कि मुख्य मुद्दों की पहचान और उनके समाधान से भी है। जब नौकरशाही के अधिकारी परिधि में लीन रहते हैं और महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी करते हैं, तो इससे प्रभावी सेवा वितरण और सुशासन कRead more
मुख्य मुद्दों की अनदेखी और परिधि पर ध्यान केंद्रित करना
परिचय
बुद्धिमानी का तात्पर्य केवल प्रक्रियाओं को समझने से नहीं, बल्कि मुख्य मुद्दों की पहचान और उनके समाधान से भी है। जब नौकरशाही के अधिकारी परिधि में लीन रहते हैं और महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी करते हैं, तो इससे प्रभावी सेवा वितरण और सुशासन की प्रक्रिया में विडंबना उत्पन्न हो सकती है।
प्रभाव
निष्कर्ष
मुख्य मुद्दों की अनदेखी और परिधि पर ध्यान केंद्रित करने से प्रभावी सेवा वितरण और सुशासन में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। अधिकारियों को उचित संतुलन बनाए रखते हुए मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि न्याय और कार्यकुशलता सुनिश्चित की जा सके।
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