Home/नीतिशास्त्र/शासन में ईमानदारी/Page 3
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता की विवेचना कीजिये।
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता: विवेचना परिचय भ्रष्टाचार एक जटिल और बहुपरकारी समस्या है, जिसकी पारिभाषिक जटिलता विभिन्न संदर्भों और प्रकारों के आधार पर उत्पन्न होती है। इस जटिलता को समझना आवश्यक है ताकि प्रभावी रूप से भ्रष्टाचार का निवारण किया जा सके। 1. परिभाषाओं की विविधता संदर्भानुसार भिन्नता: भ्Read more
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता: विवेचना
परिचय
भ्रष्टाचार एक जटिल और बहुपरकारी समस्या है, जिसकी पारिभाषिक जटिलता विभिन्न संदर्भों और प्रकारों के आधार पर उत्पन्न होती है। इस जटिलता को समझना आवश्यक है ताकि प्रभावी रूप से भ्रष्टाचार का निवारण किया जा सके।
1. परिभाषाओं की विविधता
2. भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप
3. कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण
4. वैश्वीकरण का प्रभाव
5. समय के साथ परिवर्तन
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता विभिन्न सांस्कृतिक और कानूनी संदर्भों, विभिन्न रूपों, कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण, वैश्वीकरण के प्रभाव और समय के साथ परिभाषाओं के विकास से उत्पन्न होती है। हाल के उदाहरण इन जटिलताओं को स्पष्ट करते हैं और भ्रष्टाचार के प्रभावी निवारण के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के कोई पाँच प्रकार बताइये।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार परिचय केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायोंRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार
परिचय
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायों की योजना बनाई जा सकती है।
1. रिश्वतखोरी (Bribery)
2. धन की हेराफेरी (Embezzlement)
3. रिश्तेदारी और पक्षपात (Nepotism and Favoritism)
4. बलात्कारी गतिविधियाँ (Extortion)
5. धोखाधड़ी (Fraud)
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित भ्रष्टाचार के इन पाँच प्रकार—रिश्वतखोरी, धन की हेराफेरी, रिश्तेदारी और पक्षपात, बलात्कारी गतिविधियाँ, और धोखाधड़ी—को समझना और उनका मुकाबला करना महत्वपूर्ण है। हाल के उदाहरण इन प्रकारों की गंभीरता को दर्शाते हैं और भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति, राष्ट्रपति किनकी अनुशंसा पर करते हैं?
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति की नियुक्ति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह और चयन के आधार पर की जाए। नियुक्ति की प्रक्रिया चRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति
प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति की नियुक्ति
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह और चयन के आधार पर की जाए।
नियुक्ति की प्रक्रिया
हालिया उदाहरण
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें प्रधानमंत्री की भूमिका केंद्रीय होती है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर नियुक्ति करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि एक सक्षम व्यक्ति इस महत्वपूर्ण पद के लिए चुना जाए।
See lessभ्रष्टाचार के विरूद्ध, संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को किस वर्ष अंगीकार किया गया था?
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अवलोकन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption - UNCAC) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकना और उसकी जांच करना है। यह सम्मेलन सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने कRead more
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अवलोकन
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption – UNCAC) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकना और उसकी जांच करना है। यह सम्मेलन सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने के लिए सदस्य देशों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
अंगीकरण का वर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अंगीकार किया गया था। यह सम्मेलन 15 दिसंबर 2003 को मैक्सिको सिटी में आयोजित एक विशेष सत्र के दौरान अपनाया गया। इसके अंगीकरण से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचा स्थापित हुआ, जिसने वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के प्रयासों को सशक्त बनाया।
सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अंगीकार किया गया था, और यह सम्मेलन वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार की रोकथाम और उसकी जांच के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इसके अंगीकरण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को सशक्त किया है और सदस्य देशों को भ्रष्टाचार से निपटने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश प्रदान किए हैं। हाल के वर्षों में, UNCAC ने भ्रष्टाचार विरोधी वैश्विक पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कई देशों ने इसके दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रभावी कार्यवाही की है।
See lessलोकपाल की स्थापना का सुझाव सर्वप्रथम किसने दिया था?
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लोकपाल की अवधारणा लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापितRead more
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लोकपाल की अवधारणा
लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है।
प्रारंभिक सुझाव
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। 1960 के दशक में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र की आवश्यकता को महसूस किया। उन्होंने इस तंत्र के रूप में एक ऐसा संस्था स्थापित करने की सिफारिश की, जो सरकारी अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार की जांच कर सके।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। उनके सुझाव ने भारतीय सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। आज, लोकपाल एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है जो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान कार्यप्रणाली तक, इसका योगदान पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में है।
See lessविभेद कीजिए: (125 Words) [UPPSC 2022] a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता में b. सहिष्णुता और करुणा में।
a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता सदाचार-संहिता (Code of Ethics) परिभाषा: सदाचार-संहिता व्यक्तिगत या पेशेवर नैतिक मानदंडों का समूह है, जो सही और गलत के बीच अंतर बताता है। उदाहरण: सिविल सेवकों के लिए नैतिक संहिता में भ्रष्टाचार, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ दिशानिर्देश होते हैं। आचार संहिता (Code of ConduRead more
a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता
b. सहिष्णुता और करुणा
निष्कर्ष
सदाचार-संहिता और आचार संहिता में नैतिक मानदंडों और व्यवहारिक नियमों का अंतर है, जबकि सहिष्णुता और करुणा में सामाजिक समरसता और मानवता के प्रति दृष्टिकोण का अंतर है।
See lessभ्रष्टाचार की चुनौतियाँ क्या हैं? समाज में उन्हें रोकने के लिये आपके अनुसार क्या कदम उठाने चाहिये? व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ 1. विश्वास का क्षय: भ्रष्टाचार सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली शराब नीति घोटाला (2022) ने सरकार और सार्वजनिक संस्थाओं के प्रति विश्वास को चोट पहुँचाई। 2. अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था: भ्रष्टाचार अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था का कारण बनता है, जRead more
भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ
1. विश्वास का क्षय: भ्रष्टाचार सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली शराब नीति घोटाला (2022) ने सरकार और सार्वजनिक संस्थाओं के प्रति विश्वास को चोट पहुँचाई।
2. अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था: भ्रष्टाचार अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था का कारण बनता है, जिससे आवश्यक सेवाओं के लिए फंड्स का दुरुपयोग होता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) में भ्रष्टाचार ने फंड्स के दुरुपयोग और कम प्रभावी कार्यान्वयन की समस्या उत्पन्न की है।
3. आर्थिक प्रभाव: भ्रष्टाचार आर्थिक विकास को बाधित करता है और निवेश को हतोत्साहित करता है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला ने भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र को नुकसान पहुँचाया और निवेश जलवायु को प्रभावित किया।
4. सामाजिक असमानता: भ्रष्टाचार सामाजिक असमानता को बढ़ाता है, क्योंकि यह अमीरों और ताकतवर लोगों को फायदेमंद बनाता है। राशन कार्ड घोटाले ने गरीबों को आवश्यक वस्त्रों से वंचित किया है।
भ्रष्टाचार को रोकने के कदम
1. कानूनी ढांचे को सुदृढ़ करें: कानूनी ढांचे को मजबूत करें और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करें। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम को नवीनतम रूप में अपडेट किया जाना चाहिए ताकि नए भ्रष्टाचार के स्वरूपों को भी शामिल किया जा सके।
2. पारदर्शिता को बढ़ावा दें: पारदर्शिता के उपाय अपनाएँ, जैसे कि सार्वजनिक सेवाओं और खरीददारी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म। डिजिटल इंडिया पहल इस दिशा में एक कदम है, जिससे सरकारी प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनती हैं।
3. सूचना प्रदाता संरक्षण को बढ़ाएँ: सूचना प्रदाता संरक्षण प्रणाली को सशक्त करें ताकि भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग करने वालों को प्रतिशोध का डर न हो। सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम की प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
4. नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करें: जनभागीदारी को बढ़ावा दें और फीडबैक और निगरानी के लिए प्लेटफॉर्म्स प्रदान करें। RTI (सूचना का अधिकार) और सिटीजन फीडबैक सिस्टम्स नागरिकों को अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने में मदद करते हैं।
5. प्रशासन और जवाबदेही में सुधार करें: अच्छे शासन प्रथाओं और आंतरिक ऑडिट्स को प्रोत्साहित करें। नियमित ऑडिट्स और अनुपालन जांचें सुनिश्चित करती हैं कि संसाधन प्रभावी रूप से उपयोग किए जाएँ और भ्रष्टाचार को जल्दी पहचाना जाए।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कानूनी, तकनीकी, और नागरिक उपायों को अपनाकर समाज में भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
See lessप्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार क्या है? आलोचनात्मक विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
प्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार परिचय: सत्यनिष्ठा प्रशासन में उच्च नैतिक मानकों, पारदर्शिता, और ईमानदारी को दर्शाती है। इसका दार्शनिक आधार जनता के कल्याण की सेवा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा में निहित है। **1. नैतिक आधार: सत्यनिष्ठा नैतिक दार्शनिकता पर आधारित होती है, जिसमें ईमानदारी,Read more
प्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार
परिचय: सत्यनिष्ठा प्रशासन में उच्च नैतिक मानकों, पारदर्शिता, और ईमानदारी को दर्शाती है। इसका दार्शनिक आधार जनता के कल्याण की सेवा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा में निहित है।
**1. नैतिक आधार: सत्यनिष्ठा नैतिक दार्शनिकता पर आधारित होती है, जिसमें ईमानदारी, न्याय, और जवाबदेही पर जोर दिया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक अधिकारी उच्च नैतिक मानकों का पालन करें। RTI अधिनियम (2005) इसका एक उदाहरण है, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
**2. लोकतांत्रिक मूल्य: सत्यनिष्ठा लोकतांत्रिक सिद्धांतों जैसे समानता और न्याय को बनाए रखती है, जिससे सभी नागरिकों को समान रूप से देखा जाए और सत्ता का उपयोग जिम्मेदारी से किया जाए। नीरव मोदी-PNB घोटाला ने सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की समस्याओं को उजागर किया।
आलोचनात्मक विवेचना: हालांकि सत्यनिष्ठा प्रशासन के लिए आवश्यक है, लेकिन संविधानिक भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता जैसी समस्याएँ सामने आती हैं। प्रभावी प्रवर्तन तंत्र और संस्थागत सुधार आवश्यक हैं ताकि सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित किया जा सके।
निष्कर्ष: प्रशासन में सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार नैतिक सिद्धांतों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है, जो सार्वजनिक प्रशासन की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
See lessचर्चा कीजिए कि वे इस उद्देश्य की किस प्रकार पूर्ति करते हैं।
Infosys की रणनीति: स्थानीय विकास और सामुदायिक सहभागिता उद्देश्य की पूर्ति: स्थानीय अवसंरचना में निवेश: Infosys ने मysore में अपने परिसर के आसपास शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान कीं, जिससे स्थानीय जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। समुदाय के साथ सहयोग: स्थानीय निवासियों को रोज़गार के अवसर और व्यावसाRead more
Infosys की रणनीति: स्थानीय विकास और सामुदायिक सहभागिता
उद्देश्य की पूर्ति:
हालिया उदाहरण: Infosys के नए कैंपस ने स्थानीय सड़कें और आवासीय सुविधाएँ विकसित कीं, जिससे न केवल कंपनी का विकास हुआ बल्कि स्थानीय समुदाय को भी लाभ हुआ।
**2. Vedanta Resources की रणनीति: CSR और सामाजिक जिम्मेदारी
उद्देश्य की पूर्ति:
हालिया उदाहरण: Vedanta का CSR प्रयास प्रदूषण नियंत्रण और स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम के लिए प्रसिद्ध है, हालांकि, भूमि अधिग्रहण और स्थानीय सलाह की कमी के कारण कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए हैं।
निष्कर्ष: Infosys ने स्थानीय अवसंरचना और रोजगार अवसरों पर ध्यान केंद्रित करके अपने उद्देश्य की पूर्ति की, जबकि Vedanta ने CSR पहल और फिलांथ्रोपिक प्रयास से स्थानीय समुदाय की सहायता की, लेकिन स्थानीय सहभागिता की कमी के कारण विवाद भी हुए। इन दृष्टिकोणों में स्थानीय सहभागिता और समाजिक प्रभाव की भूमिका महत्वपूर्ण है।
See lessक्या सार्वजनिक सेवाओं में समानुभूति की कोई भूमिका हैं? उपयुक्त उदाहरण के साथ अपनी बात समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
क्या सार्वजनिक सेवाओं में समानुभूति की कोई भूमिका हैं? परिचय: सार्वजनिक सेवाओं का मुख्य उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को सेवा प्रदान करना है। समानुभूति (Empathy) इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समानुभूति का महत्व: समानुभूति का मतलब है दूसरों की भावनाओं और परिस्थितियों को समझना औरRead more
क्या सार्वजनिक सेवाओं में समानुभूति की कोई भूमिका हैं?
परिचय: सार्वजनिक सेवाओं का मुख्य उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को सेवा प्रदान करना है। समानुभूति (Empathy) इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
समानुभूति का महत्व: समानुभूति का मतलब है दूसरों की भावनाओं और परिस्थितियों को समझना और उनके प्रति संवेदनशील रहना। जब सार्वजनिक सेवक समानुभूति प्रदर्शित करते हैं, तो वे अधिक प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान कर सकते हैं और समस्याओं को बेहतर तरीके से हल कर सकते हैं।
उदाहरण:
निष्कर्ष: सार्वजनिक सेवाओं में समानुभूति न केवल सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाती है, बल्कि यह समाज में विश्वास और सहयोग को भी मजबूत करती है। समानुभूति के बिना, प्रशासनिक और सार्वजनिक सेवाओं की प्रभावशीलता में कमी आ सकती है।
See less