प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2023] लोकपाल की स्थापना का सुझाव सर्वप्रथम किसने दिया था?
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार परिचय केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायोंRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार
परिचय
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायों की योजना बनाई जा सकती है।
1. रिश्वतखोरी (Bribery)
- परिभाषा: रिश्वतखोरी में किसी सरकारी अधिकारी या अन्य व्यक्ति की कार्रवाई को प्रभावित करने के लिए मूल्यवान वस्तु या पैसे की पेशकश करना, देना, प्राप्त करना या मांगना शामिल है।
- हाल का उदाहरण: 2024 में, दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा रिश्वतखोरी का मामला उजागर किया, जिसमें ठेकेदारों से ठेके देने के लिए रिश्वत ली गई थी। यह मामला रिश्वतखोरी के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाता है।
2. धन की हेराफेरी (Embezzlement)
- परिभाषा: धन की हेराफेरी में किसी व्यक्ति द्वारा अपने नियंत्रण में दिए गए धन का चोरी या दुरुपयोग शामिल है।
- हाल का उदाहरण: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत उत्तर प्रदेश में धन की हेराफेरी का मामला सामने आया, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निर्धारित धन को अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया था।
3. रिश्तेदारी और पक्षपात (Nepotism and Favoritism)
- परिभाषा: रिश्तेदारी में किसी अधिकारी के रिश्तेदारों या मित्रों को विशेष लाभ प्रदान करना, जबकि पक्षपात में व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर विशेष उपचार करना शामिल है।
- हाल का उदाहरण: 2023 में बिहार सरकार पर आरोप लगे कि सरकारी भर्तियों में रिश्तेदारी का आधार बनाया गया, जिससे चयन की प्रक्रिया पर सवाल उठे और सुधार की मांग की गई।
4. बलात्कारी गतिविधियाँ (Extortion)
- परिभाषा: बलात्कारी गतिविधियों में धमकी या बल का प्रयोग करके पैसे या अन्य लाभ प्राप्त करना शामिल है।
- हाल का उदाहरण: 2024 में कोलकाता नगर निगम में एक बलात्कारी गतिविधि का मामला सामने आया, जिसमें अधिकारियों पर ठेकेदारों को धमकाकर रिश्वत मांगने का आरोप लगा।
5. धोखाधड़ी (Fraud)
- परिभाषा: धोखाधड़ी में किसी को गुमराह करके या झूठ बोलकर लाभ प्राप्त करना शामिल है।
- हाल का उदाहरण: 2023 में राजीव गांधी फाउंडेशन के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप लगे, जब दान के पैसे के उपयोग में अनियमितताएँ पाई गईं, जो कि सार्वजनिक विश्वास को प्रभावित करती हैं।
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित भ्रष्टाचार के इन पाँच प्रकार—रिश्वतखोरी, धन की हेराफेरी, रिश्तेदारी और पक्षपात, बलात्कारी गतिविधियाँ, और धोखाधड़ी—को समझना और उनका मुकाबला करना महत्वपूर्ण है। हाल के उदाहरण इन प्रकारों की गंभीरता को दर्शाते हैं और भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
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लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लोकपाल की अवधारणा लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापितRead more
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लोकपाल की अवधारणा
लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है।
प्रारंभिक सुझाव
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। 1960 के दशक में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र की आवश्यकता को महसूस किया। उन्होंने इस तंत्र के रूप में एक ऐसा संस्था स्थापित करने की सिफारिश की, जो सरकारी अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार की जांच कर सके।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। उनके सुझाव ने भारतीय सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। आज, लोकपाल एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है जो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान कार्यप्रणाली तक, इसका योगदान पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में है।
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