प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2023] अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण क्या है?
संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरितRead more
संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन
संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरित होते हैं।
1. संतुलन सिद्धांत का निर्माण
- निर्माता: यह सिद्धांत फ्रिट्ज हाइडर द्वारा विकसित किया गया था, जो एक ऑस्ट्रियन मनोवैज्ञानिक थे।
- प्रकाशन: हाइडर ने इसे अपनी पुस्तक “The Psychology of Interpersonal Relations” में प्रस्तुत किया।
संतुलन सिद्धांत यह समझाता है कि व्यक्ति अपनी सामाजिक और व्यक्तिगत धाराओं में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित होते हैं।
- हाल का उदाहरण: सोशल मीडिया पर अपनी छवि को बनाए रखने के लिए लोग संतुलित और संगत कंटेंट साझा करते हैं, जो व्यक्तिगत ब्रांडिंग और पहचान के साथ मेल खाता है।
2. संतुलन सिद्धांत की मुख्य अवधारणाएँ
संतुलन सिद्धांत तीन तत्वों के बीच संबंधों का अध्ययन करता है:
- व्यक्ति (P): वह व्यक्ति जिसके विचार और दृष्टिकोण पर विचार किया जा रहा है।
- अन्य व्यक्ति (O): वह दूसरा व्यक्ति या समूह जिससे व्यक्ति का संबंध होता है।
- विषय वस्तु (X): वह वस्तु, विचार, या मुद्दा जिस पर दृष्टिकोण या संबंध केंद्रित है।
यह सिद्धांत निम्नलिखित सुझाव देता है:
- संतुलित त्रैतीयक (Balanced Triads): व्यक्ति संतुलित स्थितियों को पसंद करते हैं जहां उनके दृष्टिकोण और संबंध समन्वित होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि व्यक्ति P व्यक्ति O को पसंद करता है और व्यक्ति O वस्तु X को पसंद करता है, तो व्यक्ति P भी वस्तु X को पसंद करेगा।
- असंतुलित त्रैतीयक (Imbalanced Triads): असंतुलन या काग्निटिव डिसोनेंस उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि व्यक्ति P वस्तु X को नापसंद करता है लेकिन व्यक्ति O इसे पसंद करता है, तो यह असंतुलन और तनाव उत्पन्न करता है।
- हाल का उदाहरण: उपभोक्ता व्यवहार में काग्निटिव डिसोनेंस का उदाहरण, जब ग्राहक एक ब्रांड के साथ असंगति पाते हैं जो उनकी प्राथमिकताओं के विपरीत है, जैसे कि एक पर्यावरणीय उत्पाद की ब्रांडिंग का दावे और वास्तविकता में अंतर।
3. संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग
संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होते हैं:
- आपसी रिश्ते: यह समझने में मदद करता है कि लोग अपने रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रबंधन करते हैं।
- विपणन और विज्ञापन: विज्ञापन और ब्रांडिंग में संदेशों को इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि वे दर्शकों के मूल्यों और मान्यताओं के साथ संतुलित रहें।
- विवाद समाधान: रिश्तों में असंतुलन को पहचानना और उसे हल करना।
- हाल का उदाहरण: आयुष्मान भारत योजना के विज्ञापन में सरकार की योजनाओं को सही ढंग से प्रस्तुत करने के लिए संतुलन सिद्धांत का उपयोग किया गया, जिससे जनता का विश्वास और समर्थन प्राप्त हुआ।
4. आधुनिक संदर्भ और प्रासंगिकता
संतुलन सिद्धांत आधुनिक मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में इस प्रकार उपयोगी है:
- सोशल मीडिया व्यवहार: व्यक्ति अपनी ऑनलाइन उपस्थिति को संतुलित और सुसंगत बनाए रखने के लिए संतुलन सिद्धांत का उपयोग करते हैं।
- राजनीतिक ध्रुवीकरण: लोगों के दृष्टिकोण और रिश्तों को उनके राजनीतिक विचारों के अनुरूप बनाने के लिए संतुलन सिद्धांत को लागू किया जाता है।
- हाल का उदाहरण: राजनीतिक अभियान अक्सर संतुलन सिद्धांत का उपयोग करते हैं ताकि उनके संदेश और विचार जनसाधारण की मौजूदा धारणाओं और विश्वासों के साथ मेल खाते रहें।
निष्कर्ष
संतुलन सिद्धांत, जिसे फ्रिट्ज हाइडर ने प्रस्तुत किया, व्यक्तियों के विचारों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा और प्रक्रिया का अध्ययन करता है। यह सिद्धांत संतुलित और असंतुलित स्थितियों के बीच के रिश्तों को समझने में मदद करता है और इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि विपणन, विवाद समाधान, और राजनीतिक रणनीतियाँ। हाल के उदाहरण और आधुनिक संदर्भ इस सिद्धांत की प्रभावशीलता और प्रासंगिकता को दर्शाते हैं।
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अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication) स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्Read more
अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication)
स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्रक्रिया संदेशों की प्रभावशीलता को समझने और प्रतिक्रिया देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
1. स्वतः शोध प्रक्रमण की परिभाषा
स्वतः शोध प्रक्रमण और गहन विश्लेषण (systematic processing) के बीच अंतर है, जहां गहन विश्लेषण में सूचनाओं की विस्तार से जांच की जाती है।
2. स्वतः शोध प्रक्रमण की तंत्रिकाएँ
स्वतः शोध प्रक्रमण में निम्नलिखित तंत्रिकाएँ शामिल होती हैं:
3. विज्ञापन और विपणन में स्वतः शोध प्रक्रमण
विज्ञापन और विपणन में, स्वतः शोध प्रक्रमण का उपयोग इस प्रकार किया जाता है:
4. जनमत और व्यवहार पर प्रभाव
स्वतः शोध प्रक्रमण जनमत और व्यवहार को इस प्रकार प्रभावित करता है:
निष्कर्ष
स्वतः शोध प्रक्रमण अनुनयात्मक संचार में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो त्वरित निर्णय लेने और संज्ञानात्मक शॉर्टकट्स का उपयोग करती है। यह विज्ञापन, विपणन, और जनस्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग होता है। हाल के उदाहरण जैसे कि राजनीतिक अभियान, विज्ञापन रणनीतियाँ, और स्वास्थ्य संचार इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता और महत्व को दर्शाते हैं। स्वतः शोध प्रक्रमण के माध्यम से, व्यक्तियों और संगठनों को त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है।
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