‘घृणा व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण के लिए संहारक है जो राष्ट्र के चित् को विषाक्त कर सकती है।’ क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर की तर्कसंगत व्याख्या करें। (150 words) [UPSC 2020]
सकारात्मक अभिवृत्ति में योगदान देने वाले तत्व 1. आत्म-जागरूकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता: स्वयं की क्षमताओं और कमजोरियों की समझ और भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है। उदाहरण के लिए, आईएएस अधिकारी आयुक्त अनुपम सिन्हा ने अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए कोविRead more
सकारात्मक अभिवृत्ति में योगदान देने वाले तत्व
1. आत्म-जागरूकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता: स्वयं की क्षमताओं और कमजोरियों की समझ और भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है। उदाहरण के लिए, आईएएस अधिकारी आयुक्त अनुपम सिन्हा ने अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए कोविड-19 संकट के दौरान राहत कार्यों में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा।
2. लचीलापन और अनुकूलनशीलता: असफलताओं से उबरने और नई परिस्थितियों के अनुसार ढलने की क्षमता सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखती है। आईपीएस अधिकारी विजय कुमार, जिन्होंने कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में कठिन परिस्थितियों का सामना किया, ने अपने लचीलेपन के माध्यम से सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा।
3. सतत सीखना और सुधार: स्वयं को निरंतर अपडेट और नया सीखना सकारात्मक मानसिकता को प्रोत्साहित करता है। डिजिटल इंडिया के तहत, कर्मचारी और अधिकारियों ने नई तकनीकों के प्रशिक्षण में सक्रिय भाग लिया, जिससे उनके दृष्टिकोण में सकारात्मकता बनी रही।
4. सहायक वातावरण और रिश्ते: एक समर्थन प्रणाली, जिसमें मेंटर्स और सहकर्मी शामिल हैं, सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखने में सहायक होती है। कोविड-19 महामारी के दौरान, सिविल सेवकों का सहयोग और आपसी समर्थन ने उनकी सकारात्मकता और काम करने की क्षमता को बनाए रखा।
निष्कर्ष
एक व्यक्ति की सकारात्मक अभिवृत्ति में आत्म-जागरूकता, लचीलापन, सतत सीखना, और सहायक वातावरण जैसे तत्व महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जो नितान्त दबाव में भी एक संतुलित और प्रभावी दृष्टिकोण बनाए रखने में सहायक होते हैं।
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घृणा और इसके प्रभाव **1. घृणा का प्रभाव a. बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण पर प्रभाव: घृणा व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह तर्कशीलता को धुंधला करती है और पूर्वाग्रहों को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के तौर पर, नफरत आधारित हिंसा और भेदभाव समाज में विभाजन औरRead more
घृणा और इसके प्रभाव
**1. घृणा का प्रभाव
a. बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण पर प्रभाव:
घृणा व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह तर्कशीलता को धुंधला करती है और पूर्वाग्रहों को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के तौर पर, नफरत आधारित हिंसा और भेदभाव समाज में विभाजन और असंतोष को जन्म देते हैं।
b. राष्ट्र के चित्त पर विषाक्त प्रभाव:
घृणा राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा को विषाक्त कर सकती है। भारत में हालिया सांप्रदायिक दंगे, जैसे दिल्ली दंगे 2020, इस विचार को साबित करते हैं, जहां घृणा ने समाज में बड़े पैमाने पर हिंसा और अराजकता को जन्म दिया।
**2. प्रसार और समाधान
a. घृणा का प्रसार:
सामाजिक मीडिया और प्रचार माध्यम घृणा को फैलाने में सहायक हो सकते हैं, जिससे समाज में द्वेष और हिंसा को बढ़ावा मिलता है। फेसबुक और ट्विटर पर भ्रामक सूचनाओं और नफरत भरे भाषणों का प्रसार इसका उदाहरण है।
b. समाधान:
घृणा के खिलाफ नीतिगत उपाय और शैक्षिक कार्यक्रम प्रभावी हो सकते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए चलाए गए सरकारी और गैर-सरकारी अभियानों ने समाज में समझ और सहनशीलता को प्रोत्साहित किया है।
निष्कर्ष:
See lessघृणा न केवल व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण को संहारक रूप में प्रभावित करती है, बल्कि यह राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को भी विषाक्त कर सकती है। इससे निपटने के लिए शिक्षा और संवेदनशीलता महत्वपूर्ण हैं।