मूल्य सृजन में परिवार, समाज और शिक्षण संस्थाओं की भूमिका की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
अवसाद और आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को रोकने में गीता का निष्काम कर्मयोग की भूमिका 1. निष्काम कर्मयोग का सार गीता के निष्काम कर्मयोग का सिद्धांत व्यक्ति को अपने कार्यों को बिना परिणाम की चिंता के निष्पादित करने की सलाह देता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, नRead more
अवसाद और आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को रोकने में गीता का निष्काम कर्मयोग की भूमिका
1. निष्काम कर्मयोग का सार
गीता के निष्काम कर्मयोग का सिद्धांत व्यक्ति को अपने कार्यों को बिना परिणाम की चिंता के निष्पादित करने की सलाह देता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि उनके परिणामों पर।
2. तनाव और चिंता को कम करना
परिणाम की चिंता से मुक्ति: निष्काम कर्मयोग द्वारा व्यक्तियों को परिणामों के बारे में चिंता करने की बजाय वर्तमान कार्य पर ध्यान केंद्रित करने का प्रेरणा मिलता है। यह दृष्टिकोण उन लोगों के लिए उपयोगी है जो जीवन के प्रदर्शन दबाव से ग्रस्त होते हैं। जैसे कि विद्यार्थियों और पेशेवरों में प्रदर्शन चिंता को कम करने के लिए यह सिद्धांत सहायक हो सकता है।
3. भावनात्मक सहनशीलता में वृद्धि
कर्तव्य और उद्देश्य की भावना: यह सिद्धांत व्यक्ति को अपने कार्यों में उद्देश्य खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो अवसाद के लक्षणों जैसे निराशा और नकारात्मकता को कम कर सकता है। उदाहरण के लिए, ‘माइंडफुलनेस’ आधारित प्रथाएँ भी इसी तरह के उद्देश्य और फोकस को प्रोत्साहित करती हैं।
4. संतुलित जीवन की दिशा में योगदान
संतुलित दृष्टिकोण: निष्काम कर्मयोग जीवन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है। आधुनिक मानसिक स्वास्थ्य में भी समान दृष्टिकोण अपनाए जाते हैं, जैसे कि ‘कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT)’, जो नकारात्मक सोच को चुनौती देती है और सकारात्मक कार्यों को बढ़ावा देती है।
5. वर्तमान समस्याओं में उपयोगिता
आधुनिक संदर्भ में अनुप्रयोग: गीता के निष्काम कर्मयोग को आज के संदर्भ में माइंडफुलनेस और तनाव प्रबंधन तकनीकों के माध्यम से लागू किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर और संगठनों ने इस दृष्टिकोण को शामिल किया है, जिससे अवसाद और आत्महत्या की घटनाओं को प्रबंधित किया जा सके।
संक्षेप में, गीता का निष्काम कर्मयोग अवसाद और आत्महत्या की घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह व्यक्ति को कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करने, परिणामों से मुक्ति, और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
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परिवार, समाज और शिक्षा संस्थाएँ मूल्य सृजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं मूल्य एक व्यक्ति के जीवन को रूप देने के सिद्धान्त होते हैं। ये सिद्धांत किसी व्यक्ति को सही से गलत का अलग-अलग करने के लिए मदद करते हैं। परिवार, समाज और शिक्षा संस्थाएँ मूल्य सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परिवRead more
परिवार, समाज और शिक्षा संस्थाएँ मूल्य सृजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं
मूल्य एक व्यक्ति के जीवन को रूप देने के सिद्धान्त होते हैं। ये सिद्धांत किसी व्यक्ति को सही से गलत का अलग-अलग करने के लिए मदद करते हैं। परिवार, समाज और शिक्षा संस्थाएँ मूल्य सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
परिवार: परिवार व्यक्ति का पहला स्कूल होता है। परिवार में बच्चे प्यार करने, सम्मान करना, और दूसरों की मदद करने के तरीके सीखते हैं। बच्चे का व्यक्तित्व उसके माँ-बाप का व्यवहार और उनकी मूल्य से ही रूप बनाता है।
समाज: समाज में रहकर व्यक्ति विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलता है और उनके व्यवहार को देखता है। समाज के मूल्य, रीति-रिवाज और परंपराएं व्यक्ति के मूल्यों को आकार देती हैं।
शिक्षण संस्थाएं: स्कूल और कॉलेज व्यक्ति को ज्ञान और कौशल प्रदान करने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी सिखाते हैं। शिक्षक, छात्रों में सकारात्मक मूल्यों का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Conclusion:
मूल्य सृजन एक सतत प्रक्रिया है। परिवार, समाज और शिक्षण संस्थाएं मिलकर व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं और उसके मूल्यों को आकार देती हैं। इन सभी संस्थाओं को मिलकर काम करना चाहिए ताकि व्यक्ति एक अच्छे नागरिक बन सके।
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