प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2023] लोकपाल की स्थापना का सुझाव सर्वप्रथम किसने दिया था?
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मूल बिन्दु विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही (Accountability) और पारदर्शिता (Transparency) के रूप में बताए गए हैं। ये बिन्दु सुशासन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सरकार के कार्यों की प्रभावशीलता और निष्पक्षता को बढ़Read more
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मूल बिन्दु
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही (Accountability) और पारदर्शिता (Transparency) के रूप में बताए गए हैं। ये बिन्दु सुशासन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सरकार के कार्यों की प्रभावशीलता और निष्पक्षता को बढ़ावा देते हैं।
1. जवाबदेही (Accountability)
जवाबदेही का तात्पर्य है कि सरकार के अधिकारियों, संगठनों और संस्थाओं को अपनी क्रियाओं और निर्णयों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक संसाधनों और वित्त का उपयोग उचित तरीके से और जनता की भलाई के लिए किया जाए।
- सार्वजनिक क्षेत्र की जवाबदेही: यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी क्रियाएँ और निर्णय सार्वजनिक अपेक्षाओं और कानूनी मानकों के अनुरूप हों। इसमें वित्तीय जवाबदेही, जहां सार्वजनिक धन का उचित और निर्धारित तरीके से उपयोग किया जाए, शामिल है।
- जवाबदेही के तंत्र: इसमें नियमित ऑडिट, प्रदर्शन समीक्षा और स्वतंत्र निगरानी संस्थाओं जैसे कि भ्रष्टाचार विरोधी आयोग और लोकपाल की भूमिका शामिल है।
- हाल का उदाहरण: लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित लोकपाल ने उच्च सार्वजनिक पदों पर भ्रष्टाचार की निगरानी और निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र प्रदान किया है। हाल के वर्षों में, लोकपाल की जांचों ने कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया है और सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं।
2. पारदर्शिता (Transparency)
पारदर्शिता का तात्पर्य है कि सरकार की कार्रवाइयाँ और निर्णय सार्वजनिक जांच के लिए खुले और सुलभ हों। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी प्रक्रियाओं की जानकारी जनता के लिए उपलब्ध हो, जिससे वे सरकारी कार्यों की समीक्षा कर सकें और विश्वास बढ़े।
- सूचना का खुलासा: सरकारी प्रक्रियाओं, निर्णय लेने की पद्धतियों और वित्तीय लेन-देन को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना ताकि नागरिक जान सकें कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार कैसे कार्य कर रही है।
- सार्वजनिक भागीदारी: नागरिकों को सरकारी निर्णयों और प्रक्रियाओं में शामिल करना, जिससे पारदर्शिता बढ़े और सरकार की कार्रवाइयाँ जनता के हितों को दर्शा सकें।
- हाल का उदाहरण: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005 ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अधिनियम के तहत, नागरिक सरकारी विभागों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है।
निष्कर्ष
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही और पारदर्शिता हैं। जवाबदेही यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी अपनी कार्रवाइयों के लिए उत्तरदायी हों, जबकि पारदर्शिता यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी प्रक्रियाएँ और निर्णय जनता के लिए खुले और सुलभ हों। हाल के उदाहरण, जैसे लोकपाल की कार्यप्रणाली और RTI अधिनियम, इन बिन्दुओं की महत्वपूर्णता और प्रभावशीलता को दर्शाते हैं, जो सुशासन की गुणवत्ता और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
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लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लोकपाल की अवधारणा लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापितRead more
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लोकपाल की अवधारणा
लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है।
प्रारंभिक सुझाव
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। 1960 के दशक में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र की आवश्यकता को महसूस किया। उन्होंने इस तंत्र के रूप में एक ऐसा संस्था स्थापित करने की सिफारिश की, जो सरकारी अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार की जांच कर सके।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। उनके सुझाव ने भारतीय सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। आज, लोकपाल एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है जो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान कार्यप्रणाली तक, इसका योगदान पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में है।
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