भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य क्या हैं? आधुनिक मूल्यों से इसकी क्या भिन्नता है? व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मूल बिन्दु विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही (Accountability) और पारदर्शिता (Transparency) के रूप में बताए गए हैं। ये बिन्दु सुशासन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सरकार के कार्यों की प्रभावशीलता और निष्पक्षता को बढ़Read more
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मूल बिन्दु
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही (Accountability) और पारदर्शिता (Transparency) के रूप में बताए गए हैं। ये बिन्दु सुशासन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सरकार के कार्यों की प्रभावशीलता और निष्पक्षता को बढ़ावा देते हैं।
1. जवाबदेही (Accountability)
जवाबदेही का तात्पर्य है कि सरकार के अधिकारियों, संगठनों और संस्थाओं को अपनी क्रियाओं और निर्णयों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक संसाधनों और वित्त का उपयोग उचित तरीके से और जनता की भलाई के लिए किया जाए।
- सार्वजनिक क्षेत्र की जवाबदेही: यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी क्रियाएँ और निर्णय सार्वजनिक अपेक्षाओं और कानूनी मानकों के अनुरूप हों। इसमें वित्तीय जवाबदेही, जहां सार्वजनिक धन का उचित और निर्धारित तरीके से उपयोग किया जाए, शामिल है।
- जवाबदेही के तंत्र: इसमें नियमित ऑडिट, प्रदर्शन समीक्षा और स्वतंत्र निगरानी संस्थाओं जैसे कि भ्रष्टाचार विरोधी आयोग और लोकपाल की भूमिका शामिल है।
- हाल का उदाहरण: लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित लोकपाल ने उच्च सार्वजनिक पदों पर भ्रष्टाचार की निगरानी और निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र प्रदान किया है। हाल के वर्षों में, लोकपाल की जांचों ने कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया है और सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं।
2. पारदर्शिता (Transparency)
पारदर्शिता का तात्पर्य है कि सरकार की कार्रवाइयाँ और निर्णय सार्वजनिक जांच के लिए खुले और सुलभ हों। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी प्रक्रियाओं की जानकारी जनता के लिए उपलब्ध हो, जिससे वे सरकारी कार्यों की समीक्षा कर सकें और विश्वास बढ़े।
- सूचना का खुलासा: सरकारी प्रक्रियाओं, निर्णय लेने की पद्धतियों और वित्तीय लेन-देन को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना ताकि नागरिक जान सकें कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार कैसे कार्य कर रही है।
- सार्वजनिक भागीदारी: नागरिकों को सरकारी निर्णयों और प्रक्रियाओं में शामिल करना, जिससे पारदर्शिता बढ़े और सरकार की कार्रवाइयाँ जनता के हितों को दर्शा सकें।
- हाल का उदाहरण: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005 ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अधिनियम के तहत, नागरिक सरकारी विभागों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है।
निष्कर्ष
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही और पारदर्शिता हैं। जवाबदेही यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी अपनी कार्रवाइयों के लिए उत्तरदायी हों, जबकि पारदर्शिता यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी प्रक्रियाएँ और निर्णय जनता के लिए खुले और सुलभ हों। हाल के उदाहरण, जैसे लोकपाल की कार्यप्रणाली और RTI अधिनियम, इन बिन्दुओं की महत्वपूर्णता और प्रभावशीलता को दर्शाते हैं, जो सुशासन की गुणवत्ता और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
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भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य 1. परिवार की केंद्रीयता: भारतीय परंपरागत समाज में परिवार को सामाजिक जीवन का केंद्र माना जाता है। विस्तारित परिवार, जिसमें कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, पारंपरिक सामाजिक संरचना का हिस्सा है। यह आधुनिक समय के न्यूक्लियर परिवार से भिन्न है। 2. बुजुर्गों का सम्मान: परंपरागतRead more
भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य
1. परिवार की केंद्रीयता: भारतीय परंपरागत समाज में परिवार को सामाजिक जीवन का केंद्र माना जाता है। विस्तारित परिवार, जिसमें कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, पारंपरिक सामाजिक संरचना का हिस्सा है। यह आधुनिक समय के न्यूक्लियर परिवार से भिन्न है।
2. बुजुर्गों का सम्मान: परंपरागत मूल्यों में बुजुर्गों के प्रति आदर और उनके अनुभव का सम्मान महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के तौर पर, दिवाली जैसे त्योहारों पर बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना इस मूल्य को दर्शाता है।
3. जाति व्यवस्था: ऐतिहासिक रूप से, जाति व्यवस्था भारतीय समाज की सामाजिक संरचना में गहरी पैठ बनाये हुए थी। हालांकि, आधुनिक भारत में जातिवाद को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, फिर भी कुछ स्थानों पर इसके प्रभाव देखे जाते हैं।
आधुनिक मूल्य
1. व्यक्तिवाद: आधुनिक मूल्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों पर जोर देते हैं। न्यूक्लियर परिवार और कैरियर-उन्मुख जीवनशैली इसका उदाहरण हैं।
2. लिंग समानता: लिंग समानता पर बढ़ते फोकस के साथ महिलाओं के अधिकार और अवसरों में सुधार हो रहा है। समान वेतन और कार्यस्थल पर प्रतिनिधित्व का बढ़ावा इस बदलाव को दर्शाता है।
3. धर्मनिरपेक्षता: आधुनिक भारत में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे धर्म आधारित भेदभाव कम हो रहा है। उदाहरणस्वरूप, ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 इस मूल्य की ओर एक कदम है।
भिन्नताएँ: परंपरागत मूल्य सामूहिक जीवन और पदानुक्रम का सम्मान करते हैं, जबकि आधुनिक मूल्य व्यक्तिवादी स्वातंत्र्य और समान अधिकारों पर जोर देते हैं। यह बदलाव पारिवारिक संरचनाओं, कार्यस्थल की संस्कृति और सामाजिक नीतियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
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