नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय एक लोक अधिकारी को कार्यक्षेत्र के ज्ञान के अलावा नव- परिवर्तनशीलता और उच्च क्रम की रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है। उपयुक्त उदाहरण सहित विवेचन कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
एक प्रभावी लोक सेवक बनने के लिए निम्न दस आधारभूत मूल्य महत्वपूर्ण हैं: ईमानदारी – सत्यता और नैतिकता से कार्य करना। उत्तरदायित्व – कार्यों और निर्णयों के लिए जिम्मेदारी लेना। सच्चाई – सूचना और विवरणों में पारदर्शिता बनाए रखना। न्याय – सभी के साथ समान और निष्पक्ष व्यवहार करना। सहनशीलता – विविधता और भिRead more
एक प्रभावी लोक सेवक बनने के लिए निम्न दस आधारभूत मूल्य महत्वपूर्ण हैं:
- ईमानदारी – सत्यता और नैतिकता से कार्य करना।
- उत्तरदायित्व – कार्यों और निर्णयों के लिए जिम्मेदारी लेना।
- सच्चाई – सूचना और विवरणों में पारदर्शिता बनाए रखना।
- न्याय – सभी के साथ समान और निष्पक्ष व्यवहार करना।
- सहनशीलता – विविधता और भिन्न रायों को स्वीकार करना।
- प्रभावशीलता – कार्यों को कुशलता से अंजाम देना।
- नैतिकता – उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखना।
- समर्पण – अपने कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध रहना।
- संगठनात्मक क्षमता – योजनाओं और परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करना।
- सामाजिक जिम्मेदारी – समाज के प्रति अपनी भूमिका को समझना और निभाना।
गैर-नैतिक व्यवहार के निवारण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- सख्त नियम और नीति – स्पष्ट आचार संहिता और नियमों का निर्धारण।
- स्वतंत्र निगरानी – आंतरिक और बाहरी निगरानी समितियों का गठन।
- पारदर्शिता – निर्णय प्रक्रियाओं और कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखना।
- शिक्षा और प्रशिक्षण – नैतिकता और पेशेवर जिम्मेदारियों पर नियमित प्रशिक्षण।
- कड़ी सजा – गैर-नैतिक व्यवहार के मामलों में कठोर दंड का प्रावधान।
इन उपायों से लोक सेवकों में नैतिकता को बढ़ावा दिया जा सकता है और सार्वजनिक सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
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नैतिक दुविधाओं का समाधान: नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भूमिका कार्यक्षेत्र का ज्ञान महत्वपूर्ण है, लेकिन नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है। उदाहरण 1: COVID-19 वैक्सीन वितरण COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हRead more
नैतिक दुविधाओं का समाधान: नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भूमिका
कार्यक्षेत्र का ज्ञान महत्वपूर्ण है, लेकिन नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है।
उदाहरण 1: COVID-19 वैक्सीन वितरण
COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हुईं। पारंपरिक वितरण प्रणालियाँ समय ले सकती थीं। नव-परिवर्तनशीलता का उदाहरण है भारत का “CoWIN” प्लेटफार्म, जिसने डेटा विश्लेषण और डिजिटल साधनों का उपयोग कर प्राथमिकता आधारित वितरण को संभव बनाया, जिससे तेजी से और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित हुआ।
उदाहरण 2: स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छता अभियान के तहत, कचरे को ऊर्जा में बदलने जैसे रचनात्मक समाधान अपनाए गए। पारंपरिक कचरा प्रबंधन के बजाय, “स्वच्छ भारत मिशन” ने कचरे का पुनः उपयोग कर ऊर्जा उत्पादन किया, जो न केवल स्वच्छता को बेहतर बनाता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान करता है।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि नैतिक दुविधाओं का समाधान करने में नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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