‘शक्ति की इच्छा विद्यमान है, लेकिन विवेकशीलता और नैतिक कर्त्तव्य के सिद्धांतों से उसे साधित और निर्देशित किया जा सकता है।’ अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिए । (150 words) [UPSC 2020]
आज की प्रासंगिक बुद्ध की शिक्षाएँ **1. सतर्कता (Mindfulness) a. वर्तमान प्रासंगिकता: बुद्ध की सतर्कता (सति) की शिक्षा वर्तमान समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विचारशीलता और पूर्ण वर्तमान क्षण में होने की स्थिति को दर्शाता है। आजकल, माइंडफुलनेस आधारित तनाव प्रबंधन (MBSR) कार्यक्रमों में इसका उपयोग होRead more
आज की प्रासंगिक बुद्ध की शिक्षाएँ
**1. सतर्कता (Mindfulness)
a. वर्तमान प्रासंगिकता:
बुद्ध की सतर्कता (सति) की शिक्षा वर्तमान समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विचारशीलता और पूर्ण वर्तमान क्षण में होने की स्थिति को दर्शाता है। आजकल, माइंडफुलनेस आधारित तनाव प्रबंधन (MBSR) कार्यक्रमों में इसका उपयोग होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन में सहायक हैं।
**2. मध्यमार्ग (The Middle Way)
a. संतुलन और संयम:
मध्यमार्ग की शिक्षा अत्यधिक प्रासंगिक है, जो अत्यधिक भोग और कठोर संयम दोनों से बचने की बात करती है। आजकल के कॉर्पोरेट वेलनेस प्रोग्राम और स्वास्थ्य पहल संतुलित जीवन की अवधारणा को बढ़ावा देती हैं, जिससे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन बना रहे।
**3. करुणा और अहिंसा (Compassion and Non-Violence)
a. नैतिक जीवन:
करुणा और अहिंसा की शिक्षाएँ सामाजिक समरसता और संघर्ष समाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं। हाल के उदाहरण में, महात्मा गांधी की अहिंसा की नीतियाँ वैश्विक नागरिक अधिकार आंदोलनों में प्रेरणास्त्रोत बनी हैं, जैसे ब्लैक लाइव्स मैटर।
**4. अनित्यत्व (Impermanence)
a. परिवर्तन की स्वीकृति:
अनित्यत्व की अवधारणा वर्तमान में तेजी से बदलते विश्व में अनुकूलन में मदद करती है। इस शिक्षा से परिवर्तन और अनिश्चितता को स्वीकारना आसान होता है, जैसे कोविड-19 महामारी के दौरान जीवनशैली में बदलाव।
निष्कर्ष:
बुद्ध की शिक्षाएँ—सतर्कता, मध्यमार्ग, करुणा, और अनित्यत्व—आज की दुनिया में मानसिक शांति, संतुलित जीवन, सामाजिक सद्भाव, और परिवर्तन के साथ सामंजस्य के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
शक्ति की इच्छा और विवेकशीलता तथा नैतिक कर्तव्य के सिद्धांत **1. शक्ति की इच्छा a. परिभाषा: शक्ति की इच्छा, जैसा कि फ्रेडरिक नीत्शे ने कहा, वह स्वाभाविक प्रवृत्ति है जिसके तहत राष्ट्र और नेता प्रभुत्व और नियंत्रण की दिशा में प्रयासरत रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यह विशेष रूप से रणनीतिक लाभ औरRead more
शक्ति की इच्छा और विवेकशीलता तथा नैतिक कर्तव्य के सिद्धांत
**1. शक्ति की इच्छा
a. परिभाषा:
शक्ति की इच्छा, जैसा कि फ्रेडरिक नीत्शे ने कहा, वह स्वाभाविक प्रवृत्ति है जिसके तहत राष्ट्र और नेता प्रभुत्व और नियंत्रण की दिशा में प्रयासरत रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यह विशेष रूप से रणनीतिक लाभ और प्रभाव की खोज में दिखाई देती है।
b. हाल का उदाहरण:
चीन और अमेरिका के बीच की भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा इस इच्छाशक्ति को दर्शाती है, जहां दोनों देश आर्थिक और सैन्य सत्तासीनता के लिए संघर्षरत हैं।
**2. विवेकशीलता और नैतिक कर्तव्य द्वारा निर्देशन
a. विवेकशीलता:
राजनैतिक निर्णय विवेकशीलता के आधार पर लिए जा सकते हैं, जो दीर्घकालिक स्थिरता और सहयोग को प्राथमिकता देती है। पेरिस जलवायु समझौता इसका एक उदाहरण है, जिसमें देशों ने आपसी लाभ की बजाय वैश्विक भलाई को महत्व दिया।
b. नैतिक कर्तव्य:
अंतर्राष्ट्रीय मानक और नैतिक सिद्धांत, जैसे संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत, राज्य की कार्रवाइयों को नैतिक दिशा प्रदान करते हैं। भारत के शांति सैनिक अभियानों में नैतिक कर्तव्य की भावना से अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिला है।
निष्कर्ष:
See lessहालांकि शक्ति की इच्छा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रमुख भूमिका निभाती है, इसे विवेकशीलता और नैतिक कर्तव्य के सिद्धांतों द्वारा साधित और निर्देशित किया जा सकता है, जैसा कि सहयोगात्मक समझौतों और नैतिक प्रथाओं के माध्यम से देखा जाता है।