वर्तमान संदर्भ में निम्नलिखित में से प्रत्येक उद्धरण का आपके विचार से क्या अभिप्राय है ? (150 words) [UPSC 2018] a. “किसी भी बात को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्धारण करने में सही नियम यह नहीं है कि उसमें ...
महत्त्वाकांक्षा और इसके प्रभाव नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन दर्शाता है कि बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कौन से सिद्धांत निर्देशित करते हैं। समाज और देश का अहित करने वाले शासक: अधोल्फ हिटलर की महत्त्वाकांक्षा ने नाजRead more
महत्त्वाकांक्षा और इसके प्रभाव
नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन दर्शाता है कि बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कौन से सिद्धांत निर्देशित करते हैं।
समाज और देश का अहित करने वाले शासक:
अधोल्फ हिटलर की महत्त्वाकांक्षा ने नाजी जर्मनी को अत्यधिक विस्तारवादी और जातिवादी नीतियों की ओर प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध और होलोकॉस्ट हुए, जिससे करोड़ों लोगों की जानें गईं और पूरी दुनिया में विनाशकारी प्रभाव पड़ा।
किम जोंग उन, उत्तर कोरिया के वर्तमान शासक, की महत्त्वाकांक्षा ने देश को अत्यधिक दमनकारी शासन के तहत रखा है। उनकी नीतियों ने लाखों लोगों को भुखमरी और मानवाधिकार उल्लंघन का सामना कराया।
समाज और देश के विकास के लिए कार्य करने वाले शासक:
महींद्रा गांधी की महत्त्वाकांक्षा ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के आधार पर भारतीय समाज में सामाजिक न्याय और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
नैस्लोन मंडेला की महत्त्वाकांक्षा ने दक्षिण अफ्रीका को अपार्थेड के बाद एक नई दिशा दी। उनकी समावेशिता और सुलह की नीतियों ने देश को लोकतंत्र और सामाजिक समानता की ओर अग्रसर किया।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि महत्त्वाकांक्षा का प्रभाव तब सकारात्मक या नकारात्मक होता है जब इसे किसी विशिष्ट नैतिक या सिद्धांतिक ढांचे से निर्देशित किया जाता है।
See less
a. अब्राहम लिंकन का उद्धरण “किसी भी बात को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्धारण करने में सही नियम यह नहीं है कि उसमें कोई बुराई है या नहीं; बल्कि यह है कि उसमें अच्छाई से अधिक बुराई है। ऐसे बहुत कम विषय होते हैं जो पूरी तरह बुरे या अच्छे होते हैं। लगभग सभी विषय, विशेषकर सरकारी नीति से संबंधित,Read more
a. अब्राहम लिंकन का उद्धरण
“किसी भी बात को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्धारण करने में सही नियम यह नहीं है कि उसमें कोई बुराई है या नहीं; बल्कि यह है कि उसमें अच्छाई से अधिक बुराई है। ऐसे बहुत कम विषय होते हैं जो पूरी तरह बुरे या अच्छे होते हैं। लगभग सभी विषय, विशेषकर सरकारी नीति से संबंधित, अच्छाई और बुराई दोनों के अविच्छेदनीय योग होते हैं; ताकि इन दोनों के बीच प्रधानता के बारे में हमारे सर्वोत्तम निर्णय की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है।”
वर्तमान संदर्भ में, लिंकन का उद्धरण यह दर्शाता है कि अधिकांश सरकारी नीतियों में अच्छाई और बुराई का मिश्रण होता है। उदाहरण के लिए, नोटबंदी ने काले धन को रोकने में सहायता की लेकिन कई लोगों को आर्थिक संकट में डाल दिया। इस प्रकार के निर्णयों में, हमें कुल मिलाकर लाभ और हानि का मूल्यांकन करना होता है।
b. महात्मा गाँधी का उद्धरण
“क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के शत्रु हैं।”
गांधी का उद्धरण यह बताता है कि संवाद और समझ के लिए धैर्य और सहिष्णुता आवश्यक हैं। वर्तमान में, राजनीतिक विवाद और सामाजिक मुद्दों पर बहसें अक्सर क्रोधित और असहिष्णु हो जाती हैं, जो सही समाधान तक पहुंचने में बाधक बनती हैं। उदाहरण के लिए, सीएए (सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट) के विरोध में कई बार गुस्से और असहिष्णुता ने संवाद के बजाय हिंसा को जन्म दिया।
c. तिरुक्कुरल का उद्धरण
“असत्य भी सत्य का स्थान ले लेता है यदि उसका परिणाम निष्कलंक सार्वजनिक कल्याण हो।”
तिरुक्कुरल का उद्धरण यह सुझाव देता है कि कभी-कभी समाज के भले के लिए सत्य को थोड़े से बदलने की अनुमति दी जा सकती है। वर्तमान में, संकट प्रबंधन जैसे परिदृश्यों में, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए कुछ जानकारी को सीमित या नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 के दौरान, जानकारी को नियंत्रित किया गया ताकि अफवाहें न फैलें और सामाजिक व्यवस्था बनी रहे, यह समाज के व्यापक हित में किया गया।
See less