गीता का ‘अनासक्त योग’ क्या है? सिविल सेवकों के लिये यह क्या संदेश देता है? व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
निष्पक्षता और गैर-पक्षपाती होने की आवश्यकता 1. निष्पक्षता का महत्व निष्पक्षता से निर्णय लेने में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित होती है, जो सार्वजनिक विश्वास बनाए रखती है। उदाहरण के लिए, IAS अधिकारी श्रीमती K. नंदिनी, जिन्होंने अपनी निष्पक्षता से भ्रष्टाचार के मामलों को निष्पक्षता से संभाला, इस गुणRead more
निष्पक्षता और गैर-पक्षपाती होने की आवश्यकता
1. निष्पक्षता का महत्व
निष्पक्षता से निर्णय लेने में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित होती है, जो सार्वजनिक विश्वास बनाए रखती है। उदाहरण के लिए, IAS अधिकारी श्रीमती K. नंदिनी, जिन्होंने अपनी निष्पक्षता से भ्रष्टाचार के मामलों को निष्पक्षता से संभाला, इस गुण की महत्ता को उजागर करती हैं।
2. गैर-पक्षपाती होने की अनिवार्यता
गैर-पक्षपाती होना सुनिश्चित करता है कि प्रशासनिक निर्णय राजनीतिक प्रभाव से मुक्त हों। आईएएस अधिकारी एस.के. शर्मा ने अपने कार्यकाल में किसी भी पार्टी के प्रति पक्षपाती हुए बिना विकास कार्यों को निष्पादित किया, जो उनके गैर-पक्षपाती दृष्टिकोण का प्रमाण है।
3. प्रभावी शासन में योगदान
इन गुणों के साथ, लोक सेवक प्रभावी शासन सुनिश्चित कर सकते हैं क्योंकि निर्णय merit-based होते हैं न कि राजनीतिक प्रेरित। मध्य प्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति में निष्पक्षता और गैर-पक्षपाती दृष्टिकोण ने इसे सफलतापूर्वक लागू किया।
निष्कर्ष
सफल लोक सेवक बनने के लिए निष्पक्षता और गैर-पक्षपाती होना अनिवार्य गुण हैं, जो न्याय, पारदर्शिता और प्रभावी शासन सुनिश्चित करते हैं।
अनासक्त योग' भगवद गीता के चतुर्थ अध्याय में वर्णित एक महत्वपूर्ण योग है, जो कर्मों को बिना किसी व्यक्तिगत आशक्ति के करने की कला को दर्शाता है। इसमें क्रियाशीलता को केवल अपने कर्तव्यों के निर्वहन के रूप में देखा जाता है, बिना किसी परिणाम की चिंता किए। यह सिद्धांत असफलता और सफलता दोनों पर समान दृष्टिकRead more
अनासक्त योग’ भगवद गीता के चतुर्थ अध्याय में वर्णित एक महत्वपूर्ण योग है, जो कर्मों को बिना किसी व्यक्तिगत आशक्ति के करने की कला को दर्शाता है। इसमें क्रियाशीलता को केवल अपने कर्तव्यों के निर्वहन के रूप में देखा जाता है, बिना किसी परिणाम की चिंता किए। यह सिद्धांत असफलता और सफलता दोनों पर समान दृष्टिकोण बनाए रखने की सलाह देता है।
सिविल सेवकों के लिए संदेश:
निष्कर्ष: ‘अनासक्त योग’ सिविल सेवकों को अपनी कर्तव्यों का निर्वहन निष्ठा और समर्पण से करने की सलाह देता है, बिना परिणाम की चिंता किए। यह सिद्धांत धैर्य, संतुलन, और प्रोफेशनलिज़्म बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है, जो सरकारी कार्यों में सच्ची सेवा और प्रभावी परिणाम सुनिश्चित करता है।
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