लोक सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाओं की व्याख्या कीजिये। क्या अंतरात्मा उनके समाधान में सहायक होगी? विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
सिविल सेवा के संदर्भ में पारदर्शकता, जवाबदेही और दृढ़ विश्वास का साहस की प्रासंगिकता a. पारदर्शकता: पारदर्शकता से सरकारी कार्यों में विश्वास और जिम्मेदारी बढ़ती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने शासन में पारदर्शी नीतियों को अपनाया है, जैसे कि "ऑल इंडिया सर्विसेज ट्रांसपेरेंसी पोर्टल"Read more
सिविल सेवा के संदर्भ में पारदर्शकता, जवाबदेही और दृढ़ विश्वास का साहस की प्रासंगिकता
a. पारदर्शकता: पारदर्शकता से सरकारी कार्यों में विश्वास और जिम्मेदारी बढ़ती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने शासन में पारदर्शी नीतियों को अपनाया है, जैसे कि “ऑल इंडिया सर्विसेज ट्रांसपेरेंसी पोर्टल” जिससे नागरिक सीधे प्रशासनिक फैसलों की निगरानी कर सकते हैं।
b. जवाबदेही: जवाबदेही सरकारी कर्मियों को उनकी कार्यप्रणाली के प्रति उत्तरदायी बनाती है। IAS अधिकारी अनूप सक्सेना, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए, ने पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत किया, जिससे व्यवस्था में सुधार हुआ।
c. दृढ़ विश्वास का साहस: दृढ़ विश्वास का साहस असामान्य परिस्थितियों में नैतिकता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। IAS अधिकारी डॉ. शाह फैसल ने सरकारी प्रणाली में सुधार के लिए त्याग किया और सामाजिक न्याय के लिए अपनी आवाज उठाई, जिससे स्पष्ट होता है कि दृढ़ विश्वास और साहस से अस्थिर परिस्थितियों में भी नैतिकता को बनाए रखा जा सकता है।
निष्कर्ष: पारदर्शकता, जवाबदेही, और दृढ़ विश्वास का साहस सिविल सेवाओं में सुधार और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। इन सिद्धांतों को अपनाने से शासन प्रणाली में विश्वसनीयता और प्रभावशीलता बढ़ती है।
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लोक सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाएँ 1. स्वार्थ और पेशेवर दायित्व: लोक सेवक अक्सर स्वार्थ और पेशेवर दायित्व के बीच संतुलन बनाते हैं। उदाहरण के लिए, एक सरकारी अधिकारी को अपने करीबी रिश्तेदार को ठेका दिलाने का दबाव हो सकता है, जिससे उसे व्यक्तिगत निष्ठा और पेशेवर ईमानदारी के बीच चुनाव कRead more
लोक सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाएँ
1. स्वार्थ और पेशेवर दायित्व: लोक सेवक अक्सर स्वार्थ और पेशेवर दायित्व के बीच संतुलन बनाते हैं। उदाहरण के लिए, एक सरकारी अधिकारी को अपने करीबी रिश्तेदार को ठेका दिलाने का दबाव हो सकता है, जिससे उसे व्यक्तिगत निष्ठा और पेशेवर ईमानदारी के बीच चुनाव करना पड़ता है।
2. भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार की誘惑 एक प्रमुख नैतिक दुविधा है। लोक सेवक को रिश्वत या अन्य प्रलोभनों का सामना करना पड़ सकता है। अमृतसर में कोरोना के दौरान सरकारी राशन वितरण में भ्रष्टाचार का मामला इसका एक उदाहरण है, जहाँ अधिकारियों ने गलत तरीके से लाभ उठाया।
3. सूचना का खुलासा: अधिकारियों को विसलब्लोइंग (सूचना का खुलासा) करने के लिए दवाब महसूस हो सकता है, जो उनके करियर और सुरक्षा को जोखिम में डाल सकता है। सत्येंद्र दुबे का मामला एक ज्वलंत उदाहरण है, जिन्होंने सड़क निर्माण परियोजनाओं में भ्रष्टाचार को उजागर किया और उनकी हत्या कर दी गई।
4. सार्वजनिक हित और नीतिगत प्रतिबंध: लोक सेवक को सार्वजनिक हित और नीतिगत प्रतिबंधों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, अधिकारियों ने लॉकडाउन के कड़े नियमों और आर्थिक प्रभावों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की।
अंतरात्मा की भूमिका
1. नैतिक दिशा: अंतरात्मा एक आंतरिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है, जो लोक सेवकों को नैतिक निर्णय लेने में मदद करती है। एक अधिकारी जो ईमानदारी और कर्तव्य की भावना से प्रेरित होता है, वह भ्रष्टाचार और स्वार्थ के दबाव को अस्वीकार कर सकता है।
2. नैतिक साहस: अंतरात्मा नैतिक साहस प्रदान करती है, जिससे लोक सेवक कठिन निर्णय ले सकते हैं और अनैतिक प्रथाओं के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। फ्रांसिस हॉगन के फेसबुक का खुलासा इसका उदाहरण है, जहाँ उन्होंने सार्वजनिक भलाई के लिए व्यक्तिगत जोखिम उठाया।
3. जिम्मेदारी और पारदर्शिता: अंतरात्मा जिम्मेदारी और पारदर्शिता को सुदृढ़ करती है, जिससे लोक सेवक अपने कार्यों में नैतिक मानकों को बनाए रख सकते हैं। आईएएस अधिकारियों के लिए आचार संहिता की तरह, यह आंतरिक नैतिक कम्पास सरकारी नैतिकता की रक्षा में मदद करता है।
इस प्रकार, लोक सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाएँ जटिल हो सकती हैं, लेकिन अंतरात्मा इस समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, नैतिकता, साहस, और जिम्मेदारी को बढ़ावा देती है।
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