“लोक सेवक द्वारा अपने कर्तव्य का अनिष्पादन भ्रष्टाचार का एक रूप है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं ? अपने उत्तर की तर्कसंगत व्याख्या करें। (150 words) [UPSC 2019]
विधि और नियम के बीच विभेदन विधि (Laws): विधियाँ विधायिका द्वारा बनायी जाती हैं और इनका लागू होना न्यायपालिका द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। ये सामान्य और व्यापक होती हैं, और समाज के सभी सदस्य उनके अधीन होते हैं। उदाहरण के लिए, संविधान और भारत का दंड संहिता (IPC) विधियाँ हैं जो व्यापक कानूनी ढांचा प्Read more
विधि और नियम के बीच विभेदन
विधि (Laws): विधियाँ विधायिका द्वारा बनायी जाती हैं और इनका लागू होना न्यायपालिका द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। ये सामान्य और व्यापक होती हैं, और समाज के सभी सदस्य उनके अधीन होते हैं। उदाहरण के लिए, संविधान और भारत का दंड संहिता (IPC) विधियाँ हैं जो व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करती हैं।
नियम (Rules): नियम प्रशासनिक एजेंसियों द्वारा बनाये जाते हैं और विशिष्ट विधियों को लागू करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। ये विधियों की व्याख्या करते हैं और कार्यान्वयन में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए, धातु अधिनियम 1957 के तहत बनाये गये धातु नियम विशेष उद्योगों के लिए नियम निर्दिष्ट करते हैं।
नीति-शास्त्र की भूमिका
नीति-शास्त्र (Ethics) विधि और नियमों के सूत्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
- न्याय और समानता: नीति-शास्त्र सुनिश्चित करता है कि विधियाँ और नियम न्याय और समानता के सिद्धांतों को लागू करें। समान वेतन कानून जैसे नियम न्याय सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।
- जनहित: नीति-शास्त्र विधियों और नियमों को इस प्रकार तैयार करने में मदद करता है कि वे जनहित को प्राथमिकता दें। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) की नीति-शास्त्र की दिशा इस बात को सुनिश्चित करती है कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो और समाज के कमजोर वर्गों को लाभ मिले।
निष्कर्ष
विधि और नियम में विभेदन यह है कि विधियाँ व्यापक कानूनी ढांचे को प्रदान करती हैं जबकि नियम विशिष्ट दिशा-निर्देश और कार्यान्वयन प्रदान करते हैं। नीति-शास्त्र इन दोनों के सूत्रीकरण में न्याय, समानता, और जनहित की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का अनिष्पादन और भ्रष्टाचार सहमति का आधार: **1. भ्रष्टाचार की परिभाषा और प्रभाव a. भ्रष्टाचार की परिभाषा: भ्रष्टाचार को सामान्यतः शक्ति का दुरुपयोग माना जाता है। यदि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का अनिष्पादन करता है, तो यह भ्रष्टाचार का एक रूप हो सकता है, यदि यह व्यक्तिगत या राजनीतRead more
लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का अनिष्पादन और भ्रष्टाचार
सहमति का आधार:
**1. भ्रष्टाचार की परिभाषा और प्रभाव
a. भ्रष्टाचार की परिभाषा:
भ्रष्टाचार को सामान्यतः शक्ति का दुरुपयोग माना जाता है। यदि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का अनिष्पादन करता है, तो यह भ्रष्टाचार का एक रूप हो सकता है, यदि यह व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए किया जाता है या जनता की जरूरतों की अनदेखी करता है।
b. शासन पर प्रभाव:
लोक सेवक का कर्तव्य का अनिष्पादन शासन और जनता के विश्वास को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, Bihar में 2019 के बाढ़ राहत कार्य में अधिकारियों की विफलता ने प्रभावित लोगों के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न की, जिससे यह कर्तव्य की अनदेखी का उदाहरण बन गया।
**2. जवाबदेही और परिणाम
a. जवाबदेही की कमी:
कर्तव्य का अनिष्पादन जवाबदेही की कमी को दर्शाता है, जो भ्रष्टाचार के समान है। COVID-19 टीकाकरण अभियान में कुछ राज्यों में प्रबंधन की कमी ने टीकाकरण की प्रभावशीलता को प्रभावित किया।
b. सार्वजनिक कल्याण पर प्रभाव:
इससे सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति प्रभावित होती है और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन होता है, जिसे भ्रष्टाचार के रूप में देखा जा सकता है। यह सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी और सेवा प्रणाली की अखंडता को नुकसान पहुंचाता है।
निष्कर्ष:
See lessहां, लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का अनिष्पादन भ्रष्टाचार के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि यह सौंपी गई शक्ति का दुरुपयोग करता है और जनता के कल्याण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।