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हमें देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टान्त दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरूद्ध विद्यमान विधिक उपबंधों के होते हुये भी ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही हैं। इस संकट से निपटने के लिये कुछ नवाचारी उपाय सुझाइये। (125 Words) [UPPSC 2019]
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं का समाधान परिचय: यद्यपि भारत में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून मौजूद हैं, फिर भी घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इस संकट से निपटने के लिए नवाचारी उपाय आवश्यक हैं। नवाचारी उपाय: स्मार्टफोन ऐप्स: "सुकन्या" और "माईसिक्योर" जैसे ऐप्स के माध्यम सेRead more
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं का समाधान
परिचय: यद्यपि भारत में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून मौजूद हैं, फिर भी घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इस संकट से निपटने के लिए नवाचारी उपाय आवश्यक हैं।
नवाचारी उपाय:
निष्कर्ष: इन नवाचारी उपायों को लागू करके, समाज में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की घटनाओं को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।
See lessहमें देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टांत दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरुद्ध विद्यमान विधिक उपबन्धों के होते हुए भी, ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस संकट से निपटने के लिए कुछ नवाचारी उपाय सुझाइए।(150 words) [UPSC 2014]
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न से निपटने के नवाचारी उपाय देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते दृष्टांतों को रोकने के लिए नवाचारी उपाय अपनाए जा सकते हैं: सर्विलांस और टेक्नोलॉजी का उपयोग: रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। “निर्भया फंड” के तहत विकसिRead more
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न से निपटने के नवाचारी उपाय
देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते दृष्टांतों को रोकने के लिए नवाचारी उपाय अपनाए जा सकते हैं:
इन उपायों को अपनाकर हम महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की घटनाओं को कम कर सकते हैं और उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।
See lessविधि और नियम के बीच विभेदन कीजिए। इनके सूत्रीकरण में नीति-शास्त्र की भूमिका का विवेचन कीजिए । (150 words) [UPSC 2020]
विधि और नियम के बीच विभेदन विधि (Laws): विधियाँ विधायिका द्वारा बनायी जाती हैं और इनका लागू होना न्यायपालिका द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। ये सामान्य और व्यापक होती हैं, और समाज के सभी सदस्य उनके अधीन होते हैं। उदाहरण के लिए, संविधान और भारत का दंड संहिता (IPC) विधियाँ हैं जो व्यापक कानूनी ढांचा प्Read more
विधि और नियम के बीच विभेदन
विधि (Laws): विधियाँ विधायिका द्वारा बनायी जाती हैं और इनका लागू होना न्यायपालिका द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। ये सामान्य और व्यापक होती हैं, और समाज के सभी सदस्य उनके अधीन होते हैं। उदाहरण के लिए, संविधान और भारत का दंड संहिता (IPC) विधियाँ हैं जो व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करती हैं।
नियम (Rules): नियम प्रशासनिक एजेंसियों द्वारा बनाये जाते हैं और विशिष्ट विधियों को लागू करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। ये विधियों की व्याख्या करते हैं और कार्यान्वयन में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए, धातु अधिनियम 1957 के तहत बनाये गये धातु नियम विशेष उद्योगों के लिए नियम निर्दिष्ट करते हैं।
नीति-शास्त्र की भूमिका
नीति-शास्त्र (Ethics) विधि और नियमों के सूत्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
निष्कर्ष
विधि और नियम में विभेदन यह है कि विधियाँ व्यापक कानूनी ढांचे को प्रदान करती हैं जबकि नियम विशिष्ट दिशा-निर्देश और कार्यान्वयन प्रदान करते हैं। नीति-शास्त्र इन दोनों के सूत्रीकरण में न्याय, समानता, और जनहित की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessनैतिक निर्णय लेने के सन्दर्भ में जब कानून, नियमों और अधिनियमों की तुलना की जाती है तो क्या अंतरात्मा की आवाज़ अधिक विश्वसनीय मार्गदर्शक है? चर्चा कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
नैतिक निर्णय लेने में अंतरात्मा बनाम कानून अंतरात्मा की विश्वसनीयता: अंतरात्मा एक व्यक्ति की आंतरिक नैतिक समझ होती है, जो व्यक्तिगत मूल्यों और नैतिकता पर आधारित होती है। यह जटिल या अनिश्चित परिस्थितियों में व्यक्तिगत नैतिकता की सूक्ष्मता को उजागर कर सकती है। उदाहरण के लिए, स्नोडन का मामला, जिसमें एदRead more
नैतिक निर्णय लेने में अंतरात्मा बनाम कानून
अंतरात्मा की विश्वसनीयता: अंतरात्मा एक व्यक्ति की आंतरिक नैतिक समझ होती है, जो व्यक्तिगत मूल्यों और नैतिकता पर आधारित होती है। यह जटिल या अनिश्चित परिस्थितियों में व्यक्तिगत नैतिकता की सूक्ष्मता को उजागर कर सकती है। उदाहरण के लिए, स्नोडन का मामला, जिसमें एदवर्ड स्नोडन ने अपनी अंतरात्मा के आधार पर निगरानी प्रथाओं का खुलासा किया, कानूनों का उल्लंघन किया लेकिन व्यापक नैतिकता और जनहित की रक्षा की।
कानून, नियम और अधिनियम: कानून और नियम समाज के लिए एक मानकीकृत नैतिक ढांचा प्रदान करते हैं। ये सार्वभौमिक रूप से लागू होते हैं और व्यापक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण के लिए, पेरिस जलवायु समझौता जैसे पर्यावरणीय कानून, वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए आवश्यक संरचना और प्रतिबद्धताएं प्रदान करते हैं।
तुलना: हालांकि अंतरात्मा व्यक्तिगत नैतिक स्पष्टता प्रदान करती है, कानून और नियम एक स्थिर और व्यापक ढांचा सुनिश्चित करते हैं। नैतिक निर्णय लेने में, अंतरात्मा और कानूनी ढांचे के बीच संतुलन आवश्यक होता है ताकि व्यक्तिगत और सामाजिक नैतिकता को समन्वित किया जा सके।
इस प्रकार, जबकि अंतरात्मा व्यक्तिगत नैतिक मार्गदर्शन देती है, कानून और नियम व्यापक अनुपालन और संरचना सुनिश्चित करते हैं।
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