नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय एक लोक अधिकारी को कार्यक्षेत्र के ज्ञान के अलावा नव- परिवर्तनशीलता और उच्च क्रम की रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है। उपयुक्त उदाहरण सहित विवेचन कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
हित संघर्ष (Conflict of Interest) और उसका समाधान हित संघर्ष की परिभाषा: हित संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब लोक सेवक के व्यक्तिगत हित—जैसे वित्तीय लाभ या व्यक्तिगत संबंध—उनके सार्वजनिक कर्तव्यों से टकराते हैं। इससे निर्णय लेने की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है और जनता के विश्वास को नुकसान पहुँच सकता हैRead more
हित संघर्ष (Conflict of Interest) और उसका समाधान
हित संघर्ष की परिभाषा:
हित संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब लोक सेवक के व्यक्तिगत हित—जैसे वित्तीय लाभ या व्यक्तिगत संबंध—उनके सार्वजनिक कर्तव्यों से टकराते हैं। इससे निर्णय लेने की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है और जनता के विश्वास को नुकसान पहुँच सकता है।
आम उदाहरण:
- प्रकटीकरण में चूक: यदि एक लोक सेवक जो सरकारी भूमि की खरीदारी का कार्य संभालता है, उसी भूमि का निजी मालिक है, तो वह निजी लाभ के लिए निर्णय ले सकता है।
- अनुबंध और ठेके: यदि किसी लोक सेवक का व्यक्तिगत संपर्क किसी कंपनी के साथ है जो सरकारी ठेके के लिए बोली लगाती है, तो वे उस कंपनी को अनुचित लाभ दे सकते हैं।
समाधान:
- पूरा प्रकटीकरण: सभी व्यक्तिगत हितों को पूरी तरह से घोषित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक सरकारी अधिकारी जो जमीन पर निर्णय लेता है, उसे अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए।
- अलगाव (Recusal): जब हित संघर्ष उत्पन्न हो, तो संबंधित अधिकारी को उस निर्णय प्रक्रिया से अलग हो जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, ठेके के मामलों में निजी संबंध वाले अधिकारी को मूल्यांकन प्रक्रिया से हटा दिया जाना चाहिए।
- नैतिक समितियाँ: पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नैतिक समितियों का गठन किया जाना चाहिए जो हित संघर्ष की स्थिति में मार्गदर्शन और निगरानी कर सकें।
इन उपायों से लोक सेवकों की ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।
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नैतिक दुविधाओं का समाधान: नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भूमिका कार्यक्षेत्र का ज्ञान महत्वपूर्ण है, लेकिन नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है। उदाहरण 1: COVID-19 वैक्सीन वितरण COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हRead more
नैतिक दुविधाओं का समाधान: नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भूमिका
कार्यक्षेत्र का ज्ञान महत्वपूर्ण है, लेकिन नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है।
उदाहरण 1: COVID-19 वैक्सीन वितरण
COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हुईं। पारंपरिक वितरण प्रणालियाँ समय ले सकती थीं। नव-परिवर्तनशीलता का उदाहरण है भारत का “CoWIN” प्लेटफार्म, जिसने डेटा विश्लेषण और डिजिटल साधनों का उपयोग कर प्राथमिकता आधारित वितरण को संभव बनाया, जिससे तेजी से और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित हुआ।
उदाहरण 2: स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छता अभियान के तहत, कचरे को ऊर्जा में बदलने जैसे रचनात्मक समाधान अपनाए गए। पारंपरिक कचरा प्रबंधन के बजाय, “स्वच्छ भारत मिशन” ने कचरे का पुनः उपयोग कर ऊर्जा उत्पादन किया, जो न केवल स्वच्छता को बेहतर बनाता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान करता है।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि नैतिक दुविधाओं का समाधान करने में नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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