Home/लोक प्रशासन में नैतिकता/नैतिक चिंताएँ और दुविधाएँ
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एक सामान्य धारणा हैं कि नैतिक आचरण का पालन करने से स्वंय को भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता हैं और परिवार के लिये भी समस्या पैदा हो सकती है, जबकि अनुचित आचरण जीविका लक्ष्यों तक पहुँचने में सहायक हो सकता हैं।
यह एक आम धारणा है कि दयालु आचरण हमेशा व्यक्तिगत और समाजिक लाभ के लिए हानिकारक होता है. यह धारणा इसलिए कहती है, कि ईमानदारी, सच्चाई, का पालन करने से मनुष्य को नुकसान हो सकता है। जिस प्रकार हर तरह की गलत गतिविधियों का प्रभावी उपयोग करते हुए मनुष्य अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता हैं। यह परिकRead more
यह एक आम धारणा है कि दयालु आचरण हमेशा व्यक्तिगत और समाजिक लाभ के लिए हानिकारक होता है. यह धारणा इसलिए कहती है, कि ईमानदारी, सच्चाई, का पालन करने से मनुष्य को नुकसान हो सकता है। जिस प्रकार हर तरह की गलत गतिविधियों का प्रभावी उपयोग करते हुए मनुष्य अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता हैं।
यह परिकल्पना कई कारणों से गलत है। सबसे पहले, नैतिक आचरण व्यक्ति को आंतरिक शांति और संतुष्टि प्रदान करता है। एक ईमानदार व्यक्ति अपने आप पर गर्व करता है और समाज में सम्मानित होता है। दूसरा, दीर्घकालिक रूप में, नैतिक आचरण व्यक्ति को सफलता दिलाता है। एक ईमानदार व्यक्ति पर लोगों का विश्वास होता है और वे उसके साथ काम करने को तैयार रहते हैं। तीसरा, नैतिक आचरण समाज के लिए भी फायदेमंद होता है। एक नैतिक समाज में अपराध कम होता है और लोग एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं।
दूसरी ओर, अनुचित आचरण से व्यक्ति को अल्पकालिक लाभ तो मिल सकता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप में यह उसे नुकसान पहुंचाता है। एक धोखेबाज व्यक्ति पर लोगों का विश्वास खो जाता है और उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। इसके अलावा, अनुचित आचरण से व्यक्ति को कानूनी समस्याएं भी हो सकती हैं।
अंत में, यह कहना कि नैतिक आचरण परिवार के लिए समस्या पैदा करता है, यह पूरी तरह से गलत है। नैतिक आचरण परिवार के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करता है। एक ईमानदार और नैतिक व्यक्ति अपने परिवार के लिए एक अच्छा उदाहरण होता है और अपने बच्चों को अच्छे मूल्य सिखाता है।
इसलिए, यह कहना कि नैतिक आचरण व्यक्तिगत और सामाजिक लाभ के लिए हानिकारक होता है, यह एक गलत धारणा है। नैतिक आचरण व्यक्ति को दीर्घकालिक सफलता और संतुष्टि प्रदान करता है और समाज के लिए भी फायदेमंद होता है।
See lessआप ईमानदार तथा उत्तरदायी सिविल सेवक हैं। आप प्रायः निम्नलिखित को प्रक्षित करते हैं: a.एक सामान्य धारणा हैं कि नैतिक आचरण का पालन करने से स्वंय को भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता हैं और परिवार के लिये भी समस्या पैदा हो सकती है, जबकि अनुचित आचरण जीविका लक्ष्यों तक पहुँचने में सहायक हो सकता हैं। b. जब अनुचित साधनों को अपनाने वालों की संख्या बढ़ी होती हैं, तो नैतिक साधन अपनाने वाले अल्पसंख्यक लोगों से कोई फर्क नहीं पड़ता। (125 Words) [UPPSC 2019]
ईमानदारी और नैतिक आचरण की चुनौतियाँ परिचय: ईमानदार सिविल सेवक के रूप में नैतिक आचरण के पालन से स्वंय और परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अनुचित आचरण करियर में लाभकारी प्रतीत हो सकता है। मुख्य बिंदु: नैतिक आचरण की चुनौतियाँ: नैतिक आचरण का पालन करने से व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएँRead more
ईमानदारी और नैतिक आचरण की चुनौतियाँ
परिचय: ईमानदार सिविल सेवक के रूप में नैतिक आचरण के पालन से स्वंय और परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अनुचित आचरण करियर में लाभकारी प्रतीत हो सकता है।
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष: ईमानदारी और नैतिकता का पालन करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसे बनाए रखना आवश्यक है। सार्वजनिक समर्थन और संस्थागत सुधार इसे सशक्त बना सकते हैं।
See lessलोक सेवकों के समक्ष 'हित संघर्ष (कन्फ्लिक्ट ऑफ इन्टरेस्ट) के मुद्दों का आ जाना संभव होता है। आप 'हित संघर्ष' पद से क्या समझते हैं और यह लोक सेवकों के द्वारा निर्णयन में किस प्रकार अभिव्यक्त होता है? यदि आपके सामने हित संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाय, तो आप उसका हल किस प्रकार निकालेंगे? उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2015]
हित संघर्ष (Conflict of Interest) और उसका समाधान हित संघर्ष की परिभाषा: हित संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब लोक सेवक के व्यक्तिगत हित—जैसे वित्तीय लाभ या व्यक्तिगत संबंध—उनके सार्वजनिक कर्तव्यों से टकराते हैं। इससे निर्णय लेने की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है और जनता के विश्वास को नुकसान पहुँच सकता हैRead more
हित संघर्ष (Conflict of Interest) और उसका समाधान
हित संघर्ष की परिभाषा:
हित संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब लोक सेवक के व्यक्तिगत हित—जैसे वित्तीय लाभ या व्यक्तिगत संबंध—उनके सार्वजनिक कर्तव्यों से टकराते हैं। इससे निर्णय लेने की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है और जनता के विश्वास को नुकसान पहुँच सकता है।
आम उदाहरण:
समाधान:
इन उपायों से लोक सेवकों की ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।
See less"धार्मिक कट्टरता किसी भी लोकतांत्रिक देश की उन्नति में बाधक रही हैं।" विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]"धार्मिक कट्टरता किसी भी लोकतांत्रिक देश की उन्नति में बाधक रही हैं।" विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
धार्मिक कट्टरता और लोकतांत्रिक उन्नति परिभाषा और प्रभाव: धार्मिक कट्टरता का तात्पर्य ऐसे असहिष्णुता और पूर्वाग्रह से है जो धार्मिक मान्यताओं के आधार पर व्यक्तियों या समुदायों के प्रति होता है। यह कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में प्रमुख बाधक बनती है। ऐतिहासिक उदाहरण: भारत काRead more
धार्मिक कट्टरता और लोकतांत्रिक उन्नति
परिभाषा और प्रभाव: धार्मिक कट्टरता का तात्पर्य ऐसे असहिष्णुता और पूर्वाग्रह से है जो धार्मिक मान्यताओं के आधार पर व्यक्तियों या समुदायों के प्रति होता है। यह कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में प्रमुख बाधक बनती है।
ऐतिहासिक उदाहरण:
उन्नति पर प्रभाव:
निष्कर्ष: धार्मिक कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की उन्नति में बाधक है, क्योंकि यह सामाजिक विघटन, आर्थिक विकास में रुकावट, और मानवाधिकार उल्लंघन को जन्म देती है। असहिष्णुता को समाप्त करना और समावेशिता को बढ़ावा देना लोकतांत्रिक समाजों की स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है।
See lessजनता के विरोध के संबंध में अनुनय के गुणों और अवगुणों की व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
जनता के विरोध के संबंध में अनुनय के गुण और अवगुण गुण: अहिंसात्मक दृष्टिकोण: अनुनय एक अहिंसात्मक तरीका है जो संवाद और समझ के माध्यम से परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है। उदाहरण के लिए, अन्ना हज़ारे का जन लोकपाल आंदोलन ने जनसमर्थन के लिए अनुनय का उपयोग किया और महत्वपूर्ण बदलावों की ओर ध्यान आकर्षित कियाRead more
जनता के विरोध के संबंध में अनुनय के गुण और अवगुण
गुण:
अवगुण:
निष्कर्ष: अनुनय अहिंसात्मक, सहमति निर्माण करने वाला और दीर्घकालिक प्रभावी होता है, लेकिन तत्काल प्रभाव की कमी और संदेश की कमजोरी जैसे अवगुण भी हो सकते हैं।
See lessसार्वजनिक क्षेत्र में हित-संघर्ष तब उत्पन्न होता है, जब निम्नलिखित की एक-दूसरे के ऊपर प्राथमिकता रखते हैं : (a) पदीय कर्तव्य (b) सार्वजनिक हित (c) व्यक्तिगत हित प्रशासन में इस संघर्ष को कैसे सुलझाया जा सकता है ? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। (150 words) [UPSC 2017]
सार्वजनिक क्षेत्र में हित-संघर्ष का समाधान हित-संघर्ष: सार्वजनिक क्षेत्र में हित-संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्तिगत हित, पदीय कर्तव्य और सार्वजनिक हित के बीच टकराव होता है, जिससे प्रशासनिक निर्णयों की निष्पक्षता और सार्वजनिक विश्वास प्रभावित हो सकता है। समाधान के उपाय: पारदर्शिता और खुलासा: उदाहRead more
सार्वजनिक क्षेत्र में हित-संघर्ष का समाधान
हित-संघर्ष: सार्वजनिक क्षेत्र में हित-संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्तिगत हित, पदीय कर्तव्य और सार्वजनिक हित के बीच टकराव होता है, जिससे प्रशासनिक निर्णयों की निष्पक्षता और सार्वजनिक विश्वास प्रभावित हो सकता है।
समाधान के उपाय:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष: हित-संघर्ष को सुलझाने के लिए पारदर्शिता, नैतिकता का पालन, और उचित प्रक्रिया का पालन आवश्यक है, जिससे पदीय कर्तव्यों और सार्वजनिक हित की प्राथमिकता सुनिश्चित की जा सके।
See lessलोक प्रशासन में नैतिक दुविधाओं का समाधान करने के प्रक्रम को स्पष्ट कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
लोक प्रशासन में नैतिक दुविधाओं का समाधान 1. दुविधा की पहचान पहले कदम में नैतिक दुविधा की स्पष्ट पहचान करनी होती है। यह वह स्थिति होती है जहाँ पर विभिन्न नैतिक मूल्यों या सिद्धांतों के बीच संघर्ष होता है। उदाहरण के लिए, एक सार्वजनिक अधिकारी को यह निर्णय लेना होता है कि क्या उसे एक ऐसे परियोजना को मंजRead more
लोक प्रशासन में नैतिक दुविधाओं का समाधान
1. दुविधा की पहचान
पहले कदम में नैतिक दुविधा की स्पष्ट पहचान करनी होती है। यह वह स्थिति होती है जहाँ पर विभिन्न नैतिक मूल्यों या सिद्धांतों के बीच संघर्ष होता है। उदाहरण के लिए, एक सार्वजनिक अधिकारी को यह निर्णय लेना होता है कि क्या उसे एक ऐसे परियोजना को मंजूरी देना चाहिए जो जनता के लाभ में है लेकिन भ्रष्टाचार से प्रभावित है।
2. विकल्पों का मूल्यांकन
इसके बाद, उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन करें, नैतिक सिद्धांतों जैसे कि निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को ध्यान में रखते हुए। उदाहरण के लिए, भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग करना पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों के साथ मेल खाता है।
3. परामर्श और कानूनी ढाँचा
सहकर्मियों या नैतिक समितियों से परामर्श करें और स्थापित कानूनी ढाँचों और दिशानिर्देशों का पालन करें। जैसे कि सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम जो पारदर्शिता को बढ़ावा देता है और नैतिक दुविधाओं का समाधान करने में मदद करता है।
4. निर्णय और कार्यान्वयन
अंत में, नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए निर्णय लें और उसे कार्यान्वित करें। निर्णय लेने की प्रक्रिया को दस्तावेजित करना आवश्यक है ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। उदाहरण के लिए, भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में सख्त कार्रवाई और उचित दस्तावेजीकरण से सार्वजनिक विश्वास बनाए रखा जा सकता है।
इन चरणों का पालन करके, सार्वजनिक प्रशासक नैतिक दुविधाओं का समाधान कर सकते हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रख सकते हैं।
See lessहित-विरोधिता से क्या तात्पर्य है ? वास्तविक और संभावित हित-विरोधिताओं के बीच के अंतर को उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
हित-विरोधिता (Conflict of Interest) परिभाषा: हित-विरोधिता तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वार्थ या संबंध उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों पर प्रभाव डालते हैं, जिससे निष्पक्षता और निर्णय-प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। वास्तविक हित-विरोधिता परिभाषा: वास्तविक हित-विरोधिता तब होती है जब किसी वRead more
हित-विरोधिता (Conflict of Interest)
परिभाषा: हित-विरोधिता तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वार्थ या संबंध उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों पर प्रभाव डालते हैं, जिससे निष्पक्षता और निर्णय-प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।
वास्तविक हित-विरोधिता
परिभाषा: वास्तविक हित-विरोधिता तब होती है जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वार्थ सीधे तौर पर उनके पेशेवर निर्णय या कार्यों को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण: एक सरकारी अधिकारी जो ठेके आवंटन का कार्य करता है, वह उस कंपनी का भी हिस्सा है जो ठेके के लिए बोली लगाती है। यहाँ पर उसका व्यक्तिगत स्वार्थ और पेशेवर जिम्मेदारी एक दूसरे के साथ टकराते हैं, जो एक वास्तविक हित-विरोधिता है।
संभावित हित-विरोधिता
परिभाषा: संभावित हित-विरोधिता तब होती है जब कोई स्थिति भविष्य में हित-विरोधिता उत्पन्न कर सकती है, भले ही वर्तमान में ऐसा कोई प्रभाव नहीं दिख रहा हो।
उदाहरण: एक नियामक अधिकारी जो कंपनियों द्वारा आयोजित सम्मेलनों में आमंत्रित होता है। हालांकि वर्तमान में कोई सीधा प्रभाव नहीं है, भविष्य में उसे नियम बनाने या निगरानी में पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ सकता है, जिससे संभावित हित-विरोधिता उत्पन्न हो सकती है।
निष्कर्ष: वास्तविक और संभावित हित-विरोधिता के बीच का अंतर समझना पेशेवर नैतिकता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
See less'अन्तःकरण का संकट' का क्या अभिप्राय है ? सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र में यह किस प्रकार अभिव्यक्त होता है ? (150 words) [UPSC 2019]
'अन्तःकरण का संकट' का अभिप्राय अन्तःकरण का संकट वह स्थिति है जहाँ किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्य और आचार-विचार उसके कार्यों या जिम्मेदारियों से टकराते हैं। यह आंतरिक संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब किसी की नैतिकता उसके द्वारा किए जा रहे कार्यों या बाहरी दबावों के साथ मेल नहीं खाती। सार्वजनिक अधिकार क्षेत्Read more
‘अन्तःकरण का संकट’ का अभिप्राय
अन्तःकरण का संकट वह स्थिति है जहाँ किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्य और आचार-विचार उसके कार्यों या जिम्मेदारियों से टकराते हैं। यह आंतरिक संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब किसी की नैतिकता उसके द्वारा किए जा रहे कार्यों या बाहरी दबावों के साथ मेल नहीं खाती।
सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र में अभिव्यक्ति
निष्कर्ष
अन्तःकरण का संकट तब उत्पन्न होता है जब नैतिक मान्यताएँ और बाहरी दबाव टकराते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में यह संकट निर्णय लेने, भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होने, और सार्वजनिक मुद्दों पर नैतिक दृष्टिकोण के माध्यम से स्पष्ट होता है।
See lessनैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय एक लोक अधिकारी को कार्यक्षेत्र के ज्ञान के अलावा नव- परिवर्तनशीलता और उच्च क्रम की रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है। उपयुक्त उदाहरण सहित विवेचन कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
नैतिक दुविधाओं का समाधान: नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भूमिका कार्यक्षेत्र का ज्ञान महत्वपूर्ण है, लेकिन नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है। उदाहरण 1: COVID-19 वैक्सीन वितरण COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हRead more
नैतिक दुविधाओं का समाधान: नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भूमिका
कार्यक्षेत्र का ज्ञान महत्वपूर्ण है, लेकिन नैतिक दुविधाओं का समाधान करते समय नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की भी आवश्यकता होती है।
उदाहरण 1: COVID-19 वैक्सीन वितरण
COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हुईं। पारंपरिक वितरण प्रणालियाँ समय ले सकती थीं। नव-परिवर्तनशीलता का उदाहरण है भारत का “CoWIN” प्लेटफार्म, जिसने डेटा विश्लेषण और डिजिटल साधनों का उपयोग कर प्राथमिकता आधारित वितरण को संभव बनाया, जिससे तेजी से और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित हुआ।
उदाहरण 2: स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छता अभियान के तहत, कचरे को ऊर्जा में बदलने जैसे रचनात्मक समाधान अपनाए गए। पारंपरिक कचरा प्रबंधन के बजाय, “स्वच्छ भारत मिशन” ने कचरे का पुनः उपयोग कर ऊर्जा उत्पादन किया, जो न केवल स्वच्छता को बेहतर बनाता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान करता है।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि नैतिक दुविधाओं का समाधान करने में नव-परिवर्तनशीलता और रचनात्मकता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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