Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
सामाजिक प्रभाव और समझाना-बुझाना स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के लिए किस प्रकार योगदान कर सकते हैं ? (150 words) [UPSC 2016]
सामाजिक प्रभाव और समझाना-बुझाना स्वच्छ भारत अभियान की सफलता में योगदान 1. प्रभावशाली व्यक्तियों का योगदान: व्याख्या: सामाजिक प्रभावशाली व्यक्तियों और सेलिब्रिटी की भागीदारी स्वच्छता अभियानों की लोकप्रियता बढ़ा सकती है और सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकती है। उदाहरण: शाहरुख़़़़़़़़़़़ खान औरRead more
सामाजिक प्रभाव और समझाना-बुझाना स्वच्छ भारत अभियान की सफलता में योगदान
1. प्रभावशाली व्यक्तियों का योगदान:
2. स्थानीय नेताओं और आदर्श व्यक्तियों का प्रेरणादायक उदाहरण:
3. व्यवहारिक बदलाव की दिशा में प्रेरणात्मक पहल:
4. सामाजिक मानदंड और समूह दबाव:
निष्कर्ष: सामाजिक प्रभाव और समझाना-बुझाना स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने और उन्हें सक्रिय रूप से भागीदारी करने के लिए प्रेरित करते हैं।
See lessयह माना जाता है कि मानवीय कार्यों में नैतिकता का पालन किसी संगठन/व्यवस्था के सुचारु कामकाज को सुनिश्चित करेगा। यदि हाँ, तो नैतिकता मानव जीवन में किसे बढ़ावा देना चाहती है? दिन-प्रतिदिन के कामकाज में उसके सामने आने वाले संघर्षों के समाधान में नैतिक मूल्य किस प्रकार सहायता करते हैं? (150 words) [UPSC 2022]
मानवीय कार्यों में नैतिकता और संगठन की सुचारु कार्यप्रणाली नैतिकता का उद्देश्य नैतिकता मानव जीवन में ईमानदारी, न्याय, और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देती है। यह व्यक्तियों को सच्चाई, सदाचार, और अच्छे चरित्र का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। उदाहरण के लिए, अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री, ने भ्रRead more
मानवीय कार्यों में नैतिकता और संगठन की सुचारु कार्यप्रणाली
नैतिकता का उद्देश्य
नैतिकता मानव जीवन में ईमानदारी, न्याय, और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देती है। यह व्यक्तियों को सच्चाई, सदाचार, और अच्छे चरित्र का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। उदाहरण के लिए, अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री, ने भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों के माध्यम से पारदर्शिता और नैतिकता को बढ़ावा दिया, जिससे प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार हुआ।
संघर्षों के समाधान में नैतिक मूल्य
निष्कर्ष
नैतिकता मानव जीवन में ईमानदारी और न्याय को बढ़ावा देती है और दिन-प्रतिदिन के संघर्षों के समाधान में न्यायपूर्ण और सच्चे निर्णय लेने में मदद करती है, जिससे संगठन और व्यवस्था की कार्यप्रणाली में सुधार होता है।
See lessनीतिशास्त्र में मानवकर्म से क्या तात्पर्य है? मानवकर्म में नैतिकता के निर्धारक और परिणाम की विवेचना कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
नीतिशास्त्र में मानवकर्म का तात्पर्य 1. मानवकर्म की परिभाषा मानवकर्म: नीतिशास्त्र में मानवकर्म से तात्पर्य है स्वतंत्र रूप से किए गए कार्य और विचार जो नैतिकता, मूल्य, और जिम्मेदारी से जुड़े होते हैं। ये कर्म व्यक्ति की नैतिकता और संगतता पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए, सिविल सेवक द्वारा जनता के कलRead more
नीतिशास्त्र में मानवकर्म का तात्पर्य
1. मानवकर्म की परिभाषा
2. नैतिकता के निर्धारक
3. मानवकर्म के परिणाम
निष्कर्ष: नीतिशास्त्र में मानवकर्म का तात्पर्य व्यक्ति के द्वारा किए गए नैतिक और जिम्मेदार कार्यों से है, जिनके निर्धारक सच्चाई, न्याय, और स्वायत्तता होते हैं। इन कर्मों के सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
See lessभारत में वैवाहिक बलात्कार की धारणा और इसके प्रति अनुक्रिया को आकार देने में नैतिक अभिवृत्ति की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। देश में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने में विद्यमान नैतिक मुद्दों की व्याख्या कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में वैवाहिक बलात्कार की धारणा और इसके प्रति अनुक्रिया को आकार देने में नैतिक अभिवृत्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पारंपरिक सामाजिक मान्यताएं, जैसे विवाह के भीतर यौन संबंधों की स्वीकृति और पत्नी की जिम्मेदारी की अवधारणाएँ, वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने में बाधा डालती हैं। इसके परिणामस्वरूप,Read more
भारत में वैवाहिक बलात्कार की धारणा और इसके प्रति अनुक्रिया को आकार देने में नैतिक अभिवृत्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पारंपरिक सामाजिक मान्यताएं, जैसे विवाह के भीतर यौन संबंधों की स्वीकृति और पत्नी की जिम्मेदारी की अवधारणाएँ, वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने में बाधा डालती हैं। इसके परिणामस्वरूप, समाज में इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता।
नैतिक मुद्दों में एक प्रमुख पहलू है कि विवाह को एक अनुबंध के रूप में देखा जाता है, जिसमें यौन संबंधों की स्वीकृति स्वाभाविक मान ली जाती है। इस सोच के तहत, वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने से पारंपरिक मूल्यों और परिवार की संकल्पनाओं पर प्रश्न उठते हैं। इसके अतिरिक्त, कानून बनाने में सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक बाधाएँ भी हैं जो इस मुद्दे को संवेदनशील बनाती हैं।
इन नैतिक मुद्दों के बावजूद, भारत में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की दिशा में सामाजिक जागरूकता और कानूनी सुधार की मांग बढ़ रही है।
See lessनैतिक निर्णय के लिए चेतना के अलावा विवेक का होना भी आवश्यक है। उपयुक्त उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
नैतिक निर्णय के लिए केवल चेतना होना पर्याप्त नहीं होता; विवेक का भी होना अनिवार्य है। चेतना से तात्पर्य है कि व्यक्ति को किसी स्थिति की जानकारी हो, जबकि विवेक यह तय करने में मदद करता है कि उस स्थिति में क्या उचित है। उदाहरण के लिए, यदि किसी को पता है कि उसके मित्र को कोई समस्या है (चेतना), लेकिन यRead more
नैतिक निर्णय के लिए केवल चेतना होना पर्याप्त नहीं होता; विवेक का भी होना अनिवार्य है। चेतना से तात्पर्य है कि व्यक्ति को किसी स्थिति की जानकारी हो, जबकि विवेक यह तय करने में मदद करता है कि उस स्थिति में क्या उचित है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी को पता है कि उसके मित्र को कोई समस्या है (चेतना), लेकिन यह समझना कि कैसे और कब मदद करनी है, विवेक का काम है। विवेक निर्णय लेता है कि मदद करने का तरीका और समय उचित है या नहीं।
एक और उदाहरण में, यदि एक कर्मचारी जानता है कि कंपनी के संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है (चेतना), तो विवेक उसे यह निर्णय लेने में मदद करेगा कि उसे इस बारे में रिपोर्ट करना चाहिए या चुप रहना चाहिए, और इस रिपोर्टिंग के संभावित प्रभावों को समझेगा।
इस प्रकार, विवेक नैतिक निर्णयों को सही दिशा देने के लिए चेतना का साथ प्रदान करता है।
See lessदोहरे प्रभाव का सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि यदि किसी व्यक्ति का व्यवहार या आचरण किसी ऐसे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए है जो नैतिक रूप से सही है, लेकिन उसके परिणामस्वरूप एक नैतिक दुष्प्रभाव भी पड़ता है, तब भी उस विशेष व्यवहार या आचरण को अपनाना स्वीकार्य होगा। यह सिद्धांत कठिन नैतिक स्थितियों को सुलझाने में कहां तक सहायता कर सकता है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
दोहरे प्रभाव का सिद्धांत नैतिक निर्णय लेने में तब सहायक हो सकता है जब किसी क्रिया का एक सकारात्मक और एक नकारात्मक परिणाम हो। यह सिद्धांत यह मानता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी नैतिक रूप से उचित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है, और उस कार्य का एक अनचाहा दुष्प्रभाव होता है, तो वह क्रिया स्वीकाRead more
दोहरे प्रभाव का सिद्धांत नैतिक निर्णय लेने में तब सहायक हो सकता है जब किसी क्रिया का एक सकारात्मक और एक नकारात्मक परिणाम हो। यह सिद्धांत यह मानता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी नैतिक रूप से उचित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है, और उस कार्य का एक अनचाहा दुष्प्रभाव होता है, तो वह क्रिया स्वीकार्य हो सकती है, बशर्ते दुष्प्रभाव अनिवार्य या प्राथमिक उद्देश्य न हो।
उदाहरण के लिए, एक चिकित्सक यदि एक गंभीर बीमार मरीज को दर्द से राहत देने के लिए उच्च मात्रा में दर्दनिवारक दवा देता है, जो अनजाने में उसकी मृत्यु का कारण बन सकता है, तो यह कार्रवाई दोहरे प्रभाव के सिद्धांत के तहत नैतिक मानी जा सकती है। इसका उद्देश्य दर्द से राहत देना है, न कि जान लेना।
यह सिद्धांत युद्ध स्थितियों में भी लागू हो सकता है, जैसे कि एक सैन्य हमला जिसका उद्देश्य आतंकवादियों को खत्म करना है, लेकिन उसमें नागरिकों की हानि भी होती है। यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि केवल सकारात्मक उद्देश्य ही प्राथमिक हो, और दुष्प्रभाव अनिच्छित हों।
इस प्रकार, यह सिद्धांत नैतिक दुविधाओं को हल करने में एक संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है।
See less