लोक सेवकों की अपने कार्य के प्रति प्रदर्शित दो अलग-अलग प्रकारों की अभिवृत्तियों की पहचान अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति और लोकतांत्रिक अभिवृत्ति के रूप में की गई है। a. इन दो पदों के बीच विभेदन कीजिए और उनके गुणो-अवगुणों को बताइए। b. अपने देश ...
अहिंसा, जिसका अर्थ है 'हिंसा से बचना', मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप माना जाता है। यह विचार बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्मों में केंद्रीय स्थान रखता है और इसे एक आदर्श जीवन जीने के लिए आवश्यक मान्यता प्राप्त है। अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से परे है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक हिंसा को भी रोकनेRead more
अहिंसा, जिसका अर्थ है ‘हिंसा से बचना’, मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप माना जाता है। यह विचार बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्मों में केंद्रीय स्थान रखता है और इसे एक आदर्श जीवन जीने के लिए आवश्यक मान्यता प्राप्त है। अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से परे है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक हिंसा को भी रोकने का प्रयास करती है।
महात्मा गांधी ने अहिंसा को समाज के हर पहलू में अपनाने की बात की, इसे सत्य और न्याय के साथ जोड़ते हुए। उनका मानना था कि अहिंसा न केवल दूसरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान दर्शाती है, बल्कि यह आत्म-परिष्कार और समाज में स्थिरता और शांति को भी बढ़ावा देती है।
इस प्रकार, अहिंसा का पालन करने से व्यक्तियों और समाज में गहरी नैतिकता और मानवता का विकास होता है, जो कि आदर्श नैतिकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
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अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन a. अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन: अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति: गुण: प्रणालीगत निर्णय क्षमता और नियमों का कठोर पालन। उदाहरण: सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णय प्रशासनिक प्रक्रियाओं की मजबूती के लिए अधिकारीतंत्रीय दृष्टिकोण को दर्शातेRead more
अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन
a. अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन:
b. संतुलन स्थापित करना:
तेजी से विकास की दृष्टि से:
इस प्रकार, दोनों दृष्टिकोणों के बीच संतुलन से प्रशासनिक कार्यक्षमता और विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
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