उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के वन्यजीव अभयारण्यों के पारिस्थितिक महत्व की व्याख्या करें । (200 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश सरकार का विज़न प्लान 2030: स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र उत्तर प्रदेश सरकार का विज़न प्लान 2030 राज्य के स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और सुधारने के लिए निम्नलिखित पहलों पर ध्यान केंद्रित करता है: वन आवरण और हरित क्षेत्र का विस्तार: 2030 तक राज्य के वन आवरण को 15% तक बढ़ाने का लक्ष्Read more
उत्तर प्रदेश सरकार का विज़न प्लान 2030: स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र
उत्तर प्रदेश सरकार का विज़न प्लान 2030 राज्य के स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और सुधारने के लिए निम्नलिखित पहलों पर ध्यान केंद्रित करता है:
- वन आवरण और हरित क्षेत्र का विस्तार: 2030 तक राज्य के वन आवरण को 15% तक बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके तहत “हर घर हरियाली” अभियान शुरू किया गया है, जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण पर केंद्रित है।
- वन्यजीव संरक्षण: दुधवा टाइगर रिजर्व और सारंग वन्यजीव अभयारण्य का विस्तार और सुरक्षा पर जोर दिया जा रहा है।
- सतत कृषि: सतत कृषि प्रथाओं को अपनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं ताकि मिट्टी का क्षय कम हो और जैव विविधता बढ़े।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को संरक्षण गतिविधियों में शामिल करने और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में सहयोग देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
हालिया उदाहरण: 2024 में, उत्तर प्रदेश ने प्रमुख शहरों के चारों ओर “ग्रीन बेल्ट” परियोजना लागू की है, जो शहरी गर्मी के द्वीपों को कम करने और वायु गुणवत्ता सुधारने में मदद कर रही है।
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उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के वन्यजीव अभयारण्यों के पारिस्थितिक महत्व की व्याख्या 1. पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण: उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित वन्यजीव अभयारण्यों का पारिस्थितिक तंत्र अत्यधिक संवेदनशील और विविध है। इन अभयारण्यों में शेरशाह, डॉली, और किशनपुर जैसे महत्वपूर्ण अभयारण्य शामिलRead more
उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के वन्यजीव अभयारण्यों के पारिस्थितिक महत्व की व्याख्या
1. पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण: उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित वन्यजीव अभयारण्यों का पारिस्थितिक तंत्र अत्यधिक संवेदनशील और विविध है। इन अभयारण्यों में शेरशाह, डॉली, और किशनपुर जैसे महत्वपूर्ण अभयारण्य शामिल हैं। इन क्षेत्रों की वनस्पतियों और जीवों का संयोजन स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को स्थिर और संतुलित बनाए रखने में मदद करता है।
2. जैव विविधता का संरक्षण: तराई क्षेत्र की वन्यजीव अभयारण्यों में गैंडे, बाघ, और एशियाई हाथी जैसी विशिष्ट प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 2019 में, किशनपुर अभयारण्य में बाघों की संख्या में 10% की वृद्धि देखी गई, जो पारिस्थितिक तंत्र की सफलता को दर्शाता है। ये अभयारण्य दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों की सुरक्षा करते हैं और जैव विविधता को बनाए रखते हैं।
3. जलवायु नियंत्रण और बाढ़ नियंत्रण: तराई क्षेत्र की वनस्पति, विशेषकर मंगल वन और जलवायु नियंत्रक पेड़, जलवायु नियंत्रण और बाढ़ प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2021 में, तराई क्षेत्र में अधिक वर्षा के बावजूद बाढ़ की स्थिति पर काबू पाया गया, जिससे यह साबित होता है कि इन अभयारण्यों की वनस्पति जलवायु और बाढ़ प्रबंधन में कितनी महत्वपूर्ण है।
4. स्थानीय समुदायों की भलाई: ये अभयारण्यों न केवल पारिस्थितिकीय महत्व के हैं बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी लाभकारी हैं। फॉरेस्ट काउंसिल्स और वन्यजीव प्रबंधन योजनाओं के माध्यम से स्थानीय निवासियों को रोजगार और विकास के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
निष्कर्ष: तराई क्षेत्र के वन्यजीव अभयारण्यों का पारिस्थितिक महत्व अत्यधिक है, जो जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण, जलवायु और बाढ़ नियंत्रण, और स्थानीय समुदायों के लाभ को सुनिश्चित करता है। इन अभयारण्यों का संरक्षण और प्रबंधन न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र के लिए आवश्यक है।
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