उत्तर प्रदेश के प्रमुख उद्योगों के विकास की चर्चा कीजिये तथा इसकी विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डालिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के 2021-22 बजट में शुरू की गई नई योजनाओं के सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर प्रभाव: विकासात्मक बुनियादी ढाँचा: बजट में सड़क निर्माण और ग्रामीण कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन परियोजनाओं से आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, निवेश आकर्षित होगा, और किसानों को बेहतर बाजारRead more
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के 2021-22 बजट में शुरू की गई नई योजनाओं के सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर प्रभाव:
विकासात्मक बुनियादी ढाँचा: बजट में सड़क निर्माण और ग्रामीण कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन परियोजनाओं से आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, निवेश आकर्षित होगा, और किसानों को बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी, जिससे समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
स्वास्थ्य सुधार: स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार और नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर जोर दिया गया। यह बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, मृत्यु दर को कम करेगा, और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगा।
शिक्षा और कौशल विकास: शिक्षा और कौशल विकास के लिए बढ़ाए गए फंड से शिक्षा स्तर में सुधार होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह बेरोज़गारी को कम करने में मदद करेगा और एक सक्षम कार्यबल तैयार करेगा।
सामाजिक कल्याण योजनाएँ: सामाजिक कल्याण योजनाओं, जैसे कि सब्सिडी और वित्तीय सहायता, से गरीब वर्गों की मदद होगी, जिससे गरीबी में कमी आएगी और सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
कृषि समर्थन: सिंचाई और फसल बीमा जैसी योजनाओं के तहत कृषि क्षेत्र में निवेश से फसलों की उत्पादकता में सुधार होगा और किसानों की आय स्थिर होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
इन योजनाओं का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक विकास को समग्र रूप से सुधारना है, जिससे उत्तर प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आएगा।
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उत्तर प्रदेश के प्रमुख उद्योगों का विकास: सुपारी और चीनी उद्योग: उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से पश्चिमी क्षेत्र, देश का प्रमुख चीनी उत्पादन केंद्र है। यहाँ के चीनी मिलें और सुपारी उद्योग क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। कपड़ा और वस्त्र उद्योग: कानपुर और वाराणसी जैसे शहर पारंपरिक वसRead more
उत्तर प्रदेश के प्रमुख उद्योगों का विकास:
सुपारी और चीनी उद्योग: उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से पश्चिमी क्षेत्र, देश का प्रमुख चीनी उत्पादन केंद्र है। यहाँ के चीनी मिलें और सुपारी उद्योग क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
कपड़ा और वस्त्र उद्योग: कानपुर और वाराणसी जैसे शहर पारंपरिक वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर वस्त्र निर्माण, बुनाई, और एम्ब्रॉयडरी का बड़ा बाजार है।
हस्तशिल्प और पारंपरिक उद्योग: लकनऊ और आगरा जैसे क्षेत्रों में ब्रासवेयर, कुम्हार कला, और कढ़ाई के उद्योग प्रमुख हैं, जो वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना चुके हैं।
आईटी और सॉफ़्टवेयर: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में IT और सॉफ़्टवेयर उद्योग ने महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है, जो रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं।
चुनौतियाँ:
आवश्यक अवसंरचना की कमी: अपर्याप्त परिवहन, लॉजिस्टिक्स, और अन्य आधारभूत ढांचे की कमी से उद्योगों की वृद्धि में बाधा आती है।
ऊर्जा संकट: विद्युत आपूर्ति में अस्थिरता और बिजली की कमी उद्योगों के संचालन और उत्पादकता को प्रभावित करती है।
भूमि अधिग्रहण की समस्याएँ: भूमि अधिग्रहण से संबंधित जटिल प्रक्रियाएँ और विवाद परियोजनाओं की गति को धीमा कर देती हैं।
कौशल की कमी: श्रमिकों की कुशलता और आधुनिक उद्योगों की आवश्यकताओं के बीच असंगति होती है, जिससे उत्पादकता पर असर पड़ता है।
नौकरशाही में अड़चनें: जटिल नियामक प्रक्रियाएँ और नौकरशाही की बाधाएँ औद्योगिक परियोजनाओं के अनुमोदन और कार्यान्वयन को प्रभावित करती हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर अवसंरचना, ऊर्जा प्रबंधन, कौशल विकास, और नियामक सुधार आवश्यक हैं।
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