भारतवर्ष दुनिया का कोविड-19 महामारी से सबसे अधिक प्रभावित दूसरा राष्ट्र है। इस जानलेवा वाइरस के उन्मूलन के लिए केवल सामाजिक दूरी एवं मास्क के प्रयोग के साथ-साथ एक तेज टीकाकरण प्रक्रिया आवश्यक है। प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिपादित मेक इन इंडिया ...
संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास समाधान नेटवर्क (UNSDSN) के अनुसार, 2019 की रिपोर्ट "Beyond Income, Beyond Averages, Beyond Today" ने विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है आय, औसत और वर्तमान स्थिति के परे जाकर टिकाऊ विकास के नए दृष्टिकोणों की आवश्यकता। इस रिपोर्ट का उद्देश्य यह था कि यह कRead more
संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास समाधान नेटवर्क (UNSDSN) के अनुसार, 2019 की रिपोर्ट “Beyond Income, Beyond Averages, Beyond Today” ने विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है आय, औसत और वर्तमान स्थिति के परे जाकर टिकाऊ विकास के नए दृष्टिकोणों की आवश्यकता। इस रिपोर्ट का उद्देश्य यह था कि यह केवल आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि पर्यावरणीय, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का भी समाधान प्रदान करने की दिशा में काम करे।
प्रमुख सूचकों की आलोचनात्मक समीक्षा
रिपोर्ट में जिन प्रमुख सूचकों का उल्लेख किया गया, उनमें “आय”, “औसत”, और “वर्तमान स्थिति” की सीमाओं को पहचानने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उदाहरण के तौर पर, यदि केवल आय को मापा जाता है तो यह सामाजिक असमानताओं और अन्य गैर-आर्थिक पहलुओं को नजरअंदाज कर सकता है। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि दुनिया में 10% लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं, और महामारी के कारण कुछ क्षेत्रों में प्रगति रुक गई है।
आय सूचकांक की सीमाएँ
आय सूचकांक केवल आर्थिक स्वास्थ्य का संकेतक हो सकता है, लेकिन यह शोषण, असमानता और पर्यावरणीय संकटों को नजरअंदाज करता है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि आय का वृद्धि सामाजिक विकास के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता जैसे तत्वों पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
औसत और समानता
औसत पर आधारित सूचकांक से कभी-कभी यह छिप जाता है कि असमानताएँ गहरी होती हैं, जैसे कि कुछ देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा, और संसाधनों की असमान उपलब्धता। रिपोर्ट के अनुसार, कई देशों में संसाधनों की कमी के कारण टिकाऊ विकास की प्रक्रिया बाधित हो रही है।
रिपोर्ट की आलोचना
इस रिपोर्ट का सबसे बड़ा दोष यह है कि यह रिपोर्ट अधिकतर केवल आंकड़ों और सिद्धांतों पर आधारित है, और इसे व्यवहारिक रूप में लागू करने में चुनौतियाँ हैं। उदाहरण के लिए, सस्टेनेबल विकास के लिए पूंजी निवेश की बात की गई है, लेकिन गरीब देशों के पास इसका वित्तीय संसाधन नहीं होता। यही कारण है कि सुधार और कार्यान्वयन के बीच एक बड़ा अंतर बना रहता है।
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास समाधान नेटवर्क की रिपोर्ट ने कई आवश्यक पहलुओं की पहचान की है, लेकिन इन बदलावों को लागू करने के लिए अधिक सटीक, व्यवहारिक और स्थानीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। आर्थिक असमानता, पर्यावरणीय संकट और सामाजिक समस्याओं का समाधान एक समग्र और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से ही संभव होगा।
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भारत में कोविड-19 महामारी का उन्मूलन और मेक इन इंडिया का योगदान भारत, कोविड-19 महामारी से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। इस जानलेवा वायरस के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए सामाजिक दूरी, मास्क के साथ-साथ एक व्यापक और तेज टीकाकरण प्रक्रिया अत्यावश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडियाRead more
भारत में कोविड-19 महामारी का उन्मूलन और मेक इन इंडिया का योगदान
भारत, कोविड-19 महामारी से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। इस जानलेवा वायरस के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए सामाजिक दूरी, मास्क के साथ-साथ एक व्यापक और तेज टीकाकरण प्रक्रिया अत्यावश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया पहल ने महामारी के समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए और महामारी से निपटने में सक्षम हुआ।
मेक इन इंडिया और कोविड-19 टीकाकरण अभियान
1. टीकों का उत्पादन और विकास
मेक इन इंडिया के तहत भारत में कई टीकों का उत्पादन हुआ, जिसमें दो प्रमुख टीके शामिल हैं:
इन दोनों टीकों ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ विकासशील देशों में टीकों की आपूर्ति में भी सहायता की।
2. बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान
स्वास्थ्य सेवाओं का विकास और सुधार
1. चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन
महामारी के दौरान वेंटिलेटर, PPE किट, मास्क और सैनिटाइज़र जैसे आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन बड़े पैमाने पर देश में किया गया। मेक इन इंडिया की वजह से इन वस्तुओं के लिए आयात पर निर्भरता कम हुई, और आत्मनिर्भरता में वृद्धि हुई।
2. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन सुविधाओं का विस्तार
महामारी के चरम समय पर ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई थी। ऐसे में सरकार ने ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ शुरू की और मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन को बढ़ावा दिया। कई अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए, ताकि चिकित्सा सुविधाओं में सुधार हो सके।
अनुसंधान और नवाचार का प्रोत्साहन
वैश्विक स्तर पर योगदान
भारत ने न केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा किया बल्कि मेक इन इंडिया के तहत उत्पादन कर कई देशों को कोविड-19 के टीके उपलब्ध कराए। इसके जरिए भारत ने वैश्विक स्वास्थ्य में योगदान दिया और वैक्सीन मैत्री पहल के तहत कई विकासशील देशों को टीके दिए।
निष्कर्ष
मेक इन इंडिया ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण में आत्मनिर्भरता के कारण भारत न केवल अपने देशवासियों को सुरक्षा प्रदान कर सका, बल्कि अन्य देशों की भी सहायता कर सका। प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिपादित मेक इन इंडिया अवधारणा ने भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
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