“The uneven development of Indian States has created many socio-economic and political problems.” Critically analyse the statement with special reference to Bihar. [67th BPSC Main Exam 2022]
भारतीय संघीय ढाँचा और केन्द्र सरकार का प्रभुत्व भारत का संघीय ढाँचा (Federal Structure) संविधान में निर्धारित किया गया है, जिसमें केन्द्र सरकार का प्राथमिक और मजबूत स्थान है। यह ढाँचा भारतीय संविधान में दोनों सरकारों—केंद्र और राज्य—के बीच शक्ति का बंटवारा करता है। हालांकि, भारतीय संघीय ढाँचा कानूनीRead more
भारतीय संघीय ढाँचा और केन्द्र सरकार का प्रभुत्व
भारत का संघीय ढाँचा (Federal Structure) संविधान में निर्धारित किया गया है, जिसमें केन्द्र सरकार का प्राथमिक और मजबूत स्थान है। यह ढाँचा भारतीय संविधान में दोनों सरकारों—केंद्र और राज्य—के बीच शक्ति का बंटवारा करता है। हालांकि, भारतीय संघीय ढाँचा कानूनी रूप से संघीय है, लेकिन इसकी संरचना और कार्यप्रणाली मुख्य रूप से केंद्र सरकार के पक्ष में है। इसे “केंद्र की ओर उन्मुख संघीयता” कहा जाता है।
केन्द्र सरकार की प्रमुख भूमिका
भारत का संघीय ढाँचा केंद्र सरकार की ओर उन्मुख होने के कई कारण हैं:
- संविधान का डिज़ाइन: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 (Article 1) भारत को एक संघीय गणराज्य (Federation) के रूप में परिभाषित करता है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि यह संघ “भारत” के नाम से जाना जाएगा, जो कि केन्द्र सरकार की प्रमुखता को दर्शाता है।
- संसदीय प्रणाली: भारत में संसदीय प्रणाली के कारण, केन्द्र सरकार का राजनीतिक दबदबा राज्य सरकारों पर अधिक रहता है। प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल का चुनाव लोकसभा द्वारा किया जाता है, जो केन्द्र सरकार की शक्तियों को मजबूत बनाता है।
- कानूनों और अधिकारों का वितरण: संविधान में संघ और राज्य के अधिकारों को स्पष्ट रूप से बांटा गया है, जिसमें केंद्र को अधिक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। उदाहरण के लिए, संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) में केंद्र को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नियंत्रण दिया गया है, जैसे कि रक्षा, विदेशी मामले, और परमाणु ऊर्जा।
- आपातकालीन शक्तियाँ: भारत के राष्ट्रपति को आपातकाल (Emergency) की स्थिति में संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत केंद्रीय सरकार के लिए विशेष शक्तियाँ दी जाती हैं, जो राज्य सरकारों के अधिकारों को अस्थायी रूप से स्थगित कर सकती हैं। यह संघीय ढाँचे में केंद्र के प्रभुत्व को और मजबूत करता है।
- केंद्र का वित्तीय नियंत्रण: भारत में केंद्र सरकार के पास वित्तीय नियंत्रण और राज्य सरकारों के मुकाबले अधिक कर संग्रहण की क्षमता है। वित्तीय नीति, कर प्रणाली और अन्य आर्थिक अधिकारों में केन्द्र सरकार का प्रभाव प्रमुख होता है। यह संघीय ढाँचे में केंद्र के प्रभुत्व को प्रमाणित करता है।
उदाहरण
- नोटबंदी: 2016 में केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय को लागू किया गया, जिसमें राज्य सरकारों की सलाह या सहमति नहीं ली गई। यह घटना केंद्र के अधिकारों के एक मजबूत उदाहरण के रूप में देखी जा सकती है, जो राज्य सरकारों के निर्णय पर हावी हो सकती है।
- राष्ट्रीय आपातकाल: 1975 में लागू किया गया आपातकाल भी केंद्र सरकार की शक्तियों का सबसे स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ राज्य सरकारों के अधिकार अस्थायी रूप से निलंबित कर दिए गए थे।
आलोचना
भारतीय संघीय ढाँचे में केन्द्र की ओर उन्मुखता के बावजूद, राज्य सरकारें अपनी स्थिति को चुनौती देती रही हैं। कई राज्य सरकारें यह मानती हैं कि उन्हें अधिक स्वायत्तता मिलनी चाहिए, खासकर राज्य की आंतरिक नीतियों में हस्तक्षेप को लेकर।
- राज्य सरकारों की शक्तियों में कमी: कई बार राज्य सरकारें अपनी स्वायत्तता को लेकर केंद्र से टकराती हैं, जैसे कि राज्य सूची में निर्णय लेने के अधिकारों में हस्तक्षेप।
- केंद्र-राज्य संबंध: केंद्र और राज्य के बीच शक्ति के असंतुलन के कारण कई बार राज्यों की इच्छाओं और नीतियों को लागू करना कठिन हो जाता है।
निष्कर्ष
भारतीय संघीय ढाँचा संविधान में केंद्र के प्रभुत्व को दर्शाता है, जो राजनीतिक, आर्थिक और संवैधानिक दृष्टिकोण से भी स्पष्ट है। केंद्र सरकार के पास राज्यों पर प्रभाव डालने के लिए कई शक्तियाँ हैं, जो इसे केंद्रीयकृत संघीय ढाँचा बनाती हैं। हालांकि, राज्यों को अपनी स्वायत्तता की आवश्यकता महसूस होती है, और समय-समय पर केंद्र-राज्य संबंधों में सुधार की आवश्यकता होती है।
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The uneven development among Indian states has resulted in multiple socio-economic and political issues, especially for states like Bihar. India’s economic growth and infrastructure development are highly concentrated in specific regions, leaving states such as Bihar, Odisha, and Jharkhand significaRead more
The uneven development among Indian states has resulted in multiple socio-economic and political issues, especially for states like Bihar. India’s economic growth and infrastructure development are highly concentrated in specific regions, leaving states such as Bihar, Odisha, and Jharkhand significantly behind. This disparity has far-reaching consequences for quality of life, migration, and regional stability.
Causes of Uneven Development
Socio-Economic Problems Stemming from Uneven Development
Political Issues Due to Regional Disparities
Possible Solutions to Address Uneven Development