Discuss the factors responsible for the formation of the Indian National Congress. What were the British policies towards early nationalists? [67th BPSC Main Exam 2022]
बाढ़ और सूखे से बिहार की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव बिहार राज्य में बाढ़ और सूखे की स्थिति ने विकास और समृद्धि को प्रभावित किया है। यह राज्य हर वर्ष उत्तर में हिमालय से आने वाली नदियों और दक्षिण में कम वर्षा के कारण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है, जिससे कृषि, जल संसाधन, और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़तRead more
बाढ़ और सूखे से बिहार की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
बिहार राज्य में बाढ़ और सूखे की स्थिति ने विकास और समृद्धि को प्रभावित किया है। यह राज्य हर वर्ष उत्तर में हिमालय से आने वाली नदियों और दक्षिण में कम वर्षा के कारण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है, जिससे कृषि, जल संसाधन, और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
आपदा प्रबंधन में विज्ञान और अभियांत्रिकी की भूमिका
बिहार में आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिए विज्ञान और अभियांत्रिकी के कई उपाय अपनाए गए हैं। इनमें तकनीकी समाधान और आधुनिक साधनों का उपयोग महत्वपूर्ण है:
1. भू-स्थानिक तकनीक (Geospatial Technology)
- GIS और सैटेलाइट मॉनिटरिंग: GIS और सैटेलाइट तकनीक के माध्यम से बाढ़ और सूखे का पूर्वानुमान लगाया जाता है। यह तकनीक नदी की जलधारा, वर्षा के आंकड़े, और भूमि की स्थिति को ट्रैक करने में सहायक है।
- डिजिटल मानचित्रण: बाढ़ के दौरान संभावित रूप से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान डिजिटल मानचित्रण के माध्यम से की जाती है, जिससे अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित राहत कार्यों में सहायता मिलती है।
2. अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early Warning System)
- बिहार में अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किया गया है, जो नदियों के जल स्तर में बदलाव को ट्रैक करता है और स्थानीय लोगों को संभावित आपदा से पहले सूचित करता है। यह चेतावनी प्रणाली प्रमुख नदियों के पास स्थापित की गई है और नियमित अपडेट प्रदान करती है।
- बाढ़ से पहले ग्रामीण इलाकों में रेडियो, मोबाइल ऐप्स, और डिजिटल डिस्प्ले के माध्यम से लोगों को सूचित किया जाता है, जिससे उन्हें समय पर सुरक्षित स्थान पर पहुँचने का मौका मिलता है।
3. स्मार्ट जल प्रबंधन (Smart Water Management)
- बांध और नहरों का निर्माण: राज्य में बाढ़ और सूखे के प्रबंधन के लिए नदियों पर बाँध और नहरों का निर्माण किया जा रहा है। यह संरचनाएं बाढ़ के पानी को नियंत्रित करने और सूखे के समय जल भंडारण में मदद करती हैं।
- जल पुनर्भरण प्रणाली: कृषि में जल पुनर्भरण प्रणाली के तहत जल संसाधनों को संरक्षित किया जाता है, जिससे सूखे के समय जल उपलब्धता बनी रहती है।
4. ड्रोन तकनीक का उपयोग
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग भी किया जा रहा है। ड्रोन के माध्यम से खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक वस्तुएँ तेजी से वितरित की जाती हैं।
- इसके अतिरिक्त, ड्रोन से लिए गए तस्वीरें और डेटा से क्षेत्र की स्थिति का मूल्यांकन करने में भी मदद मिलती है।
5. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) के प्रयास
- बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए विशेष योजनाएँ बनाता है। यह संस्था वैज्ञानिक सलाह, प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करती है ताकि लोगों को आपदा के दौरान सुरक्षा उपायों की जानकारी हो।
- प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान: BSDMA द्वारा विभिन्न आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें लोगों को आपदाओं के दौरान सुरक्षित रहने के उपाय सिखाए जाते हैं।
निष्कर्ष
विज्ञान और अभियांत्रिकी के उपयोग से बिहार में बाढ़ और सूखे से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। नवीनतम तकनीकों, जैसे GIS, अर्ली वार्निंग सिस्टम, ड्रोन, और जल प्रबंधन, से बिहार राज्य आपदाओं का सामना करने के लिए अधिक सक्षम बनता जा रहा है। इन उपायों से लोगों की जान-माल की सुरक्षा के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को भी स्थायित्व मिल रहा है।
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Formation of the Indian National Congress (INC) The Indian National Congress (INC), established in 1885, played a pivotal role in India’s struggle for independence. The formation of INC was the result of various social, political, and economic factors, which created a fertile ground for the rise ofRead more
Formation of the Indian National Congress (INC)
The Indian National Congress (INC), established in 1885, played a pivotal role in India’s struggle for independence. The formation of INC was the result of various social, political, and economic factors, which created a fertile ground for the rise of a national movement.
Key Factors Responsible for the Formation of INC
British Policies Towards Early Nationalists
The early phase of the Indian National Congress was marked by a policy of moderate reformism, where leaders sought to address grievances through peaceful means. The British response was initially dismissive, but over time, their policies began to shift as the INC gained momentum.
British Policies Towards Early Nationalists