Discuss the origin, membership, development and objectives of ‘QUAD’. What is its significance for India? [67th BPSC Main Exam 2022]
मौर्यकालीन कला की प्रमुख विशेषताएँ प्रस्तावना मौर्य साम्राज्य (लगभग 322-185 ईसा पूर्व) भारतीय इतिहास का एक प्रमुख और समृद्ध काल था। मौर्य काल में कला और स्थापत्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास हुए, जो भारतीय कला के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुए। इस समय की कला ने न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक औRead more
मौर्यकालीन कला की प्रमुख विशेषताएँ
प्रस्तावना
मौर्य साम्राज्य (लगभग 322-185 ईसा पूर्व) भारतीय इतिहास का एक प्रमुख और समृद्ध काल था। मौर्य काल में कला और स्थापत्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास हुए, जो भारतीय कला के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुए। इस समय की कला ने न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। मौर्य कला की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
मौर्यकालीन कला की प्रमुख विशेषताएँ
1. अशोककालीन कला
मौर्यकाल की कला में सबसे महत्वपूर्ण योगदान सम्राट अशोक का था। अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म का प्रचार और स्थायित्व हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कला और स्थापत्य में धार्मिक तत्व प्रमुख हो गए। उनकी कला की प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- धार्मिक प्रभाव: मौर्य कला का अधिकांश हिस्सा बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ था। अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए विभिन्न शिलालेख और स्तूपों का निर्माण कराया।
- धर्मशिला और शिलालेख: अशोक के शिलालेख, जो अब भारत के विभिन्न हिस्सों में पाए जाते हैं, मौर्यकालीन कला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। इन शिलालेखों में अशोक के धर्म, नीति और समाज के प्रति दृष्टिकोण का वर्णन है।
2. स्तूप और स्तंभ
मौर्य काल में स्थापत्य कला के क्षेत्र में विशेष प्रगति हुई थी। दो प्रमुख स्थापत्य संरचनाएँ थीं:
- स्तूप: बौद्ध धर्म के प्रचार के दौरान अशोक ने कई स्तूपों का निर्माण कराया, जिनमें सबसे प्रसिद्ध सांची का स्तूप है। ये स्तूप धर्म का प्रचार करने के लिए बनाए गए थे और इनकी भव्यता और कला ने उस समय के स्थापत्य कौशल को प्रदर्शित किया।
- अशोक स्तंभ: मौर्य काल में कई स्तंभ बनाए गए, जिनमें अशोक का प्रसिद्ध लाट स्तंभ प्रमुख है। ये स्तंभ अपने शिल्प और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं, जैसे कि सारनाथ स्तंभ (लायन कैपिटल) जो आज भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का हिस्सा है।
3. पत्थर की नक्काशी और उकेरी गई कला
मौर्यकालीन कला में पत्थर की नक्काशी का प्रयोग बढ़ा। मौर्य काल के स्थापत्य में कुशल पत्थर-शिल्पकला का उपयोग किया गया, जिनमें उकेरी हुई चित्रकला और राहत चित्रण शामिल थे।
- राहत चित्रण: अशोक द्वारा निर्मित स्तंभों और अन्य स्थापत्य में उकेरी गई चित्रकला का उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक संदेशों का प्रचार था। ये चित्रकला और नक्काशी भारतीय स्थापत्य कला में एक नई दिशा प्रदान करती हैं।
4. भव्यता और सरलता
मौर्य काल की कला में भव्यता और सरलता का अद्भुत संतुलन था। जबकि मौर्य कला का उद्देश्य धार्मिक प्रचार था, साथ ही यह स्थापत्य और शिल्प में सहज और साधारण रूपों की ओर भी प्रवृत्त थी। इसे गांधी शैली के नाम से जाना जाता है।
- सिंहासन और अन्य मूर्तियाँ: मौर्य काल में मूर्तिकला भी उन्नत हुई, विशेष रूप से अशोक स्तंभों में मूर्तियों और मांसल चित्रण की शैली ने ध्यान आकर्षित किया।
5. स्थायित्व और दीर्घकालिक प्रभाव
मौर्यकालीन कला ने न केवल तत्कालीन समय में प्रभाव डाला, बल्कि इसके स्थायी परिणामों ने बाद के समय में भी भारतीय कला की दिशा को प्रभावित किया। मौर्य काल की कला शैली ने बाद में गुप्त काल के स्थापत्य और कला में भी अपना प्रभाव छोड़ा।
मौर्यकालीन कला के उदाहरण
- सारनाथ का स्तंभ: यह स्तंभ मौर्य काल के उत्कृष्ट शिल्प और नक्काशी का प्रतीक है, जिसमें मौर्य साम्राज्य की भव्यता और धार्मिकता को दर्शाया गया है।
- सांची स्तूप: सांची का स्तूप एक प्रमुख बौद्ध धर्मस्थल था, जिसे मौर्यकाल के दौरान ही बनाया गया था। यह कला और स्थापत्य के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है।
- लाहौर के अशोक स्तंभ: लाहौर में पाया गया यह स्तंभ मौर्यकालीन स्थापत्य कला का एक और उदाहरण है, जिसमें अशोक का धार्मिक संदेश उकेरा गया था।
निष्कर्ष
मौर्यकालीन कला ने भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस काल की प्रमुख विशेषताएँ धार्मिक प्रभाव, भव्यता और शिल्प की सरलता, तथा स्थायित्व की ओर संकेत करती हैं। मौर्यकाल की कला ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी।
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Origin, Membership, Development, and Objectives of QUAD The Quadrilateral Security Dialogue (QUAD) is a strategic forum comprising four countries: the United States, India, Japan, and Australia. The group aims to promote security, economic growth, and a free and open Indo-Pacific region. Below is aRead more
Origin, Membership, Development, and Objectives of QUAD
The Quadrilateral Security Dialogue (QUAD) is a strategic forum comprising four countries: the United States, India, Japan, and Australia. The group aims to promote security, economic growth, and a free and open Indo-Pacific region. Below is a detailed discussion on the origin, membership, development, objectives, and significance of QUAD for India.
1. Origin of QUAD
2. Membership of QUAD
The members of QUAD include:
3. Objectives of QUAD
QUAD’s core objectives include:
4. Significance of QUAD for India
For India, the QUAD holds significant geopolitical, security, and economic importance: