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जनांकिकी लाभांश से आप क्या समझते हैं? यू० एन० एफ० पी० ए० की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विशेष रूप से बिहार को इसके लाभ उठाने के अवसर किस समय तक प्राप्त होंगे? बिहार द्वारा इस संबंध में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
जनांकिकी लाभांश का अर्थ जनांकिकी लाभांश से तात्पर्य उस आर्थिक लाभ से है जो तब प्राप्त होता है जब किसी देश में कार्यशील जनसंख्या (15-64 वर्ष) का अनुपात अन्य उम्र समूहों की तुलना में अधिक होता है। इसका सीधा प्रभाव आर्थिक विकास और सामाजिक सुधार पर पड़ता है क्योंकि अधिक श्रम शक्ति का अर्थ है अधिक उत्पादRead more
जनांकिकी लाभांश का अर्थ
जनांकिकी लाभांश से तात्पर्य उस आर्थिक लाभ से है जो तब प्राप्त होता है जब किसी देश में कार्यशील जनसंख्या (15-64 वर्ष) का अनुपात अन्य उम्र समूहों की तुलना में अधिक होता है। इसका सीधा प्रभाव आर्थिक विकास और सामाजिक सुधार पर पड़ता है क्योंकि अधिक श्रम शक्ति का अर्थ है अधिक उत्पादन और समृद्धि।
यूएनएफपीए की रिपोर्ट के अनुसार अवसर का समय
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को जनांकिकी लाभांश का लाभ 2055 तक मिल सकता है। विशेष रूप से, बिहार जैसे राज्य, जहाँ युवा जनसंख्या का हिस्सा बड़ा है, को इस जनांकिकी अवसर का लाभ 2040-2050 तक मिलने की संभावना है। यह समयावधि बिहार की अर्थव्यवस्था में उन्नति और सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
बिहार द्वारा जनांकिकी लाभांश को प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदम
बिहार सरकार ने इस जनांकिकी लाभांश का अधिकतम लाभ उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
निष्कर्ष
बिहार में जनांकिकी लाभांश के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक विकास की अपार संभावनाएँ हैं। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में निरंतर सुधार करती रहे। यदि बिहार इन प्रयासों को सही दिशा में आगे बढ़ाता है, तो वह जनांकिकी लाभांश का पूर्ण लाभ उठा सकता है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था और समाज को सशक्त बनाएगा।
बिहार सरकार के 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि गत तीन वर्षों में बिहार की विकास दर भारत की विकास दर से अधिक रही है। अर्थव्यवस्था के किन क्षेत्रों ने इस प्रगति में योगदान किया है? वर्णन कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
बिहार की आर्थिक विकास दर का विश्लेषण बिहार सरकार के 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि बिहार की विकास दर पिछले तीन वर्षों में भारत की विकास दर से अधिक रही है। यह बिहार की आर्थिक वृद्धि और विकास में एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है। 1. बिहार की उच्च विकास दर बिहार की विकास दर 20Read more
बिहार की आर्थिक विकास दर का विश्लेषण
बिहार सरकार के 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि बिहार की विकास दर पिछले तीन वर्षों में भारत की विकास दर से अधिक रही है। यह बिहार की आर्थिक वृद्धि और विकास में एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है।
1. बिहार की उच्च विकास दर
2. कृषि क्षेत्र का योगदान
3. निर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र
4. सेवा क्षेत्र का विकास
5. संघीय मदद और सरकारी योजनाएँ
6. आलोचनाएँ और चुनौतियाँ
निष्कर्ष
बिहार की आर्थिक वृद्धि ने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है, बल्कि यह राज्य की समग्र सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए सकारात्मक संकेतक भी है। हालांकि, इन विकास दरों को बनाए रखने के लिए और कई अन्य क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का क्रियान्वयन और केंद्र सरकार की मदद से बिहार में और भी बड़े बदलाव संभव हैं।
See lessभारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण कर एक प्रभावी मंच है। विवेचना कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
भारत की संसद और राष्ट्रीय एकीकरण भारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण का एक प्रभावी मंच है, क्योंकि यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, धर्मों, और जातियों के लोगों को एक मंच पर लाकर एकजुट करती है। भारतीय लोकतंत्र की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ विभिन्न विचारधाराएँ, विविधताएँ और मतभेद हैं, फिर भी संसद का मुखRead more
भारत की संसद और राष्ट्रीय एकीकरण
भारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण का एक प्रभावी मंच है, क्योंकि यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, धर्मों, और जातियों के लोगों को एक मंच पर लाकर एकजुट करती है। भारतीय लोकतंत्र की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ विभिन्न विचारधाराएँ, विविधताएँ और मतभेद हैं, फिर भी संसद का मुख्य उद्देश्य इन विविधताओं को सामंजस्यपूर्ण रूप से एकजुट करना है।
1. संसद का संरचनात्मक महत्व
2. राष्ट्रीय एकीकरण में संसद का योगदान
3. संसद द्वारा राष्ट्रीय एकीकरण के लिए किए गए प्रयास
4. संसद की प्रमुख भूमिका
5. विरोध और चुनौतियाँ
हालाँकि भारतीय संसद राष्ट्रीय एकीकरण के लिए काम कर रही है, कुछ क्षेत्रीय दलों और विचारधाराओं के बीच मतभेद कभी-कभी राष्ट्रीय स्तर पर चुनौतीपूर्ण साबित होते हैं। विशेषकर जब राष्ट्रीय निर्णय क्षेत्रीय भाषाओं, संस्कृतियों और संसाधनों से जुड़े होते हैं, तो इन मुद्दों को हल करना कठिन हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, कश्मीर मुद्दा और अन्य क्षेत्रीय विवादों ने संसद की एकता को चुनौती दी है।
निष्कर्ष
भारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण का प्रभावी मंच है, क्योंकि यह विभिन्न विचारधाराओं, संस्कृतियों, और समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करके राष्ट्रीय हित में निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। हालांकि, क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विविधताओं के बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संसद का कर्तव्य है कि वह इन विभिन्नताओं को सकारात्मक रूप से जोड़कर राष्ट्र के समग्र विकास की दिशा में काम करे।
See less"भारतीय राज्यों के असमान विकास ने कई सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक समस्याओं को जन्म दिया है।" बिहार के विशेष संदर्भ में कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
भारतीय राज्यों के असमान विकास और बिहार भारतीय संघ में राज्यों का असमान विकास एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल सामाजिक-आर्थिक बल्कि राजनीतिक समस्याओं को भी जन्म देती है। बिहार इस असमानता का एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक असमानताएँ देखने को मिलती हैं। यह असमानता न केवल राज्Read more
भारतीय राज्यों के असमान विकास और बिहार
भारतीय संघ में राज्यों का असमान विकास एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल सामाजिक-आर्थिक बल्कि राजनीतिक समस्याओं को भी जन्म देती है। बिहार इस असमानता का एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक असमानताएँ देखने को मिलती हैं। यह असमानता न केवल राज्य की आंतरिक समस्याओं को बढ़ावा देती है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कई संकटों को जन्म देती है।
बिहार का सामाजिक-आर्थिक विकास
सामाजिक-राजनीतिक समस्याएँ
बिहार में उठाए गए कदम
निष्कर्ष
हालांकि बिहार में सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ काफी गहरी हैं, लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने स्थिति में सुधार लाने की कोशिश की है। राज्य के विकास के लिए और अधिक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और औद्योगिक विकास के लिए अधिक संसाधन और योजनाएँ उपलब्ध कराई जाएं। बिहार को सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने के लिए अधिक सशक्त नीति बनाने की आवश्यकता है, ताकि राज्य एक समृद्ध और समावेशी समाज बना सके।
See lessभारतीय संघीय ढाँचा संवैधानिक रूप से केन्द्र सरकार की ओर उन्मुख है। व्याख्या कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
भारतीय संघीय ढाँचा और केन्द्र सरकार का प्रभुत्व भारत का संघीय ढाँचा (Federal Structure) संविधान में निर्धारित किया गया है, जिसमें केन्द्र सरकार का प्राथमिक और मजबूत स्थान है। यह ढाँचा भारतीय संविधान में दोनों सरकारों—केंद्र और राज्य—के बीच शक्ति का बंटवारा करता है। हालांकि, भारतीय संघीय ढाँचा कानूनीRead more
भारतीय संघीय ढाँचा और केन्द्र सरकार का प्रभुत्व
भारत का संघीय ढाँचा (Federal Structure) संविधान में निर्धारित किया गया है, जिसमें केन्द्र सरकार का प्राथमिक और मजबूत स्थान है। यह ढाँचा भारतीय संविधान में दोनों सरकारों—केंद्र और राज्य—के बीच शक्ति का बंटवारा करता है। हालांकि, भारतीय संघीय ढाँचा कानूनी रूप से संघीय है, लेकिन इसकी संरचना और कार्यप्रणाली मुख्य रूप से केंद्र सरकार के पक्ष में है। इसे “केंद्र की ओर उन्मुख संघीयता” कहा जाता है।
केन्द्र सरकार की प्रमुख भूमिका
भारत का संघीय ढाँचा केंद्र सरकार की ओर उन्मुख होने के कई कारण हैं:
उदाहरण
आलोचना
भारतीय संघीय ढाँचे में केन्द्र की ओर उन्मुखता के बावजूद, राज्य सरकारें अपनी स्थिति को चुनौती देती रही हैं। कई राज्य सरकारें यह मानती हैं कि उन्हें अधिक स्वायत्तता मिलनी चाहिए, खासकर राज्य की आंतरिक नीतियों में हस्तक्षेप को लेकर।
निष्कर्ष
भारतीय संघीय ढाँचा संविधान में केंद्र के प्रभुत्व को दर्शाता है, जो राजनीतिक, आर्थिक और संवैधानिक दृष्टिकोण से भी स्पष्ट है। केंद्र सरकार के पास राज्यों पर प्रभाव डालने के लिए कई शक्तियाँ हैं, जो इसे केंद्रीयकृत संघीय ढाँचा बनाती हैं। हालांकि, राज्यों को अपनी स्वायत्तता की आवश्यकता महसूस होती है, और समय-समय पर केंद्र-राज्य संबंधों में सुधार की आवश्यकता होती है।
See less"भारत के राष्ट्रपति की भूमिका परिवार के उस बुजुर्ग के समान है जो सभी प्राधिकार रखता है किन्तु यदि घर के शैतान-युवा सदस्य उसकी न सुनें तो वह कुछ भी प्रभावी नहीं कर सकता है।" मूल्यांकन कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका: एक मूल्यांकन भारत के राष्ट्रपति की भूमिका को एक पारिवारिक बुजुर्ग के समान कहा जाता है, जो सभी अधिकारों का स्वामी होता है, परंतु यदि परिवार के शरारती सदस्य उसकी नहीं सुनते, तो वह कुछ भी प्रभावी नहीं कर पाता। यह कथन भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के शक्तियों और उनके कार्योRead more
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका: एक मूल्यांकन
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका को एक पारिवारिक बुजुर्ग के समान कहा जाता है, जो सभी अधिकारों का स्वामी होता है, परंतु यदि परिवार के शरारती सदस्य उसकी नहीं सुनते, तो वह कुछ भी प्रभावी नहीं कर पाता। यह कथन भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के शक्तियों और उनके कार्यों के विश्लेषण पर आधारित है।
राष्ट्रपति की भूमिका का स्वरूप
भारतीय संविधान में राष्ट्रपति का पद राज्य का प्रमुख होता है, और उन्हें व्यापक शक्तियाँ दी गई हैं। हालांकि, उनका कार्य प्रायः प्रतीकात्मक होता है, और वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री और कैबिनेट के हाथों में होती है। राष्ट्रपति के पास संविधान में उल्लिखित शक्तियाँ हैं, जैसे कि:
राष्ट्रपति की सीमाएँ
राष्ट्रपति के पास सभी अधिकार होने के बावजूद, उनकी भूमिका अत्यधिक सीमित होती है। उनके निर्णय प्रायः सरकार के सिफारिशों और सलाह पर आधारित होते हैं। उन्हें वास्तविक सत्ता का प्रयोग नहीं करने दिया जाता।
उदाहरण के लिए:
‘शैतान-युवा सदस्य’ की तुलना
राष्ट्रपति की स्थिति को परिवार के बुजुर्ग से तुलना करना इस प्रकार समझा जा सकता है कि भले ही उनके पास अधिकार हैं, लेकिन वे उनका प्रयोग केवल उसी स्थिति में कर सकते हैं, जब उनके पास सहमति और सहयोग हो। जैसा कि घर के बुजुर्ग यदि शरारती बच्चों से किसी निर्णय पर सहमति नहीं पा सकते, तो वे प्रभावी रूप से कुछ नहीं कर सकते।
इसी प्रकार, राष्ट्रपति को अपनी शक्तियाँ तभी प्रभावी रूप से प्रयोग में लानी होती हैं, जब सरकार या प्रधानमंत्री उन्हें निर्देश देते हैं। यदि प्रधानमंत्री और कैबिनेट उनसे असहमत होते हैं, तो राष्ट्रपति के पास वह शक्ति नहीं होती कि वे अपनी इच्छा से निर्णय ले सकें।
राष्ट्रपति के कार्यों का उदाहरण
निष्कर्ष
इस प्रकार, यह कथन सही है कि राष्ट्रपति के पास सभी अधिकार होते हुए भी उनकी वास्तविक शक्ति सीमित है। उनकी भूमिका प्रायः सरकार और प्रधानमंत्री के निर्देशों पर निर्भर करती है। संविधान में दिए गए शक्तियों के बावजूद, राष्ट्रपति को अपनी भूमिका निभाने में राजनीतिक निर्णयों का पालन करना होता है, जिससे उनकी स्वतंत्रता सीमित हो जाती है।
See lessविगत कई वर्षों से बाढ़ एवं सूखे की स्थिति ने बिहार राज्य के उन्नयन एवं समृद्धि को लगातार प्रभावित किया है। इस प्रकार के दुर्घटना प्रबंधन में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी की भूमिका की विशिष्ट उदाहरण के साथ विवेचना कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
बिहार में बाढ़ और सूखा: विज्ञान और अभियांत्रिकी की भूमिका बिहार राज्य, जो गंगा नदी की घाटी में स्थित है, सालों से बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। इन आपदाओं ने राज्य के विकास को कई मायनों में प्रभावित किया है। इन प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए विज्ञान और अभियांत्रिकी ने महत्वपूर्Read more
बिहार में बाढ़ और सूखा: विज्ञान और अभियांत्रिकी की भूमिका
बिहार राज्य, जो गंगा नदी की घाटी में स्थित है, सालों से बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। इन आपदाओं ने राज्य के विकास को कई मायनों में प्रभावित किया है। इन प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए विज्ञान और अभियांत्रिकी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बाढ़ और सूखे के कारण
विज्ञान और अभियांत्रिकी की भूमिका
1. बाढ़ प्रबंधन में अभियांत्रिकी उपाय
2. सूखा प्रबंधन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी
3. जलवायु परिवर्तन और कृषि तकनीकी
उदाहरण
निष्कर्ष
बिहार में बाढ़ और सूखा जैसी आपदाओं से निपटने के लिए विज्ञान और अभियांत्रिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। जलवायु परिवर्तन, सटीक मौसम पूर्वानुमान, सिंचाई तकनीकों और जल निकासी प्रणालियों के माध्यम से इन आपदाओं के प्रभाव को कम करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। हालांकि, अभी भी इन समस्याओं से निपटने के लिए निरंतर सुधार की आवश्यकता है।
See less"मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत भारत ने अपने सुरक्षा निकाय में सुरक्षा आयुर्थों एवं उपकरणों को राष्ट्र की सुरक्षा के लिए समाहित कर उसमें वृद्धि की है।" इस कथन की पुष्टि सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास के आधार पर कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
मेक इन इंडिया और सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना था। इसके तहत न केवल औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देना था, बल्कि भारतीय सुरक्षा बलों के लिए आवश्यक उपकरणों और आयुर्थों के स्वदेशी निर्माण को भी प्रोत्Read more
मेक इन इंडिया और सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास
मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना था। इसके तहत न केवल औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देना था, बल्कि भारतीय सुरक्षा बलों के लिए आवश्यक उपकरणों और आयुर्थों के स्वदेशी निर्माण को भी प्रोत्साहन दिया गया। इस पहल ने सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा दिया, जिससे देश की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ किया गया।
सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास
सुरक्षा अभियांत्रिकी का उद्देश्य सैन्य बलों के लिए अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों और आयुर्थों का निर्माण करना है। मेक इन इंडिया के तहत इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं:
1. उन्नत रक्षा उपकरणों का स्वदेशी निर्माण
भारत ने रक्षा उद्योग में कई उपकरणों का स्वदेशी उत्पादन बढ़ाया है। इससे न केवल रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता बढ़ी, बल्कि सुरक्षा आयुर्थों की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। उदाहरण के तौर पर:
2. उन्नत ड्रोन और निगरानी प्रणाली
भारत ने ड्रोन और निगरानी प्रणाली के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। इन उपकरणों का इस्तेमाल सीमा की निगरानी, आतंकवाद विरोधी अभियानों, और प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्यों के लिए किया जाता है। स्वदेशी ड्रोन प्रौद्योगिकी ने भारतीय सुरक्षा बलों को अधिक सक्षम और तेज़ निगरानी प्रणाली प्रदान की है।
3. स्वदेशी टैंक और अन्य सैन्य आयुर्थ
भारत ने अपने स्वदेशी युद्धक टैंक जैसे अरjun टैंक का निर्माण किया है, जो पूरी तरह से भारतीय तकनीकी ज्ञान पर आधारित है। इसके अलावा, भारतीय सेना के लिए कई अन्य आयुर्थों जैसे हल्के आर्मर्ड व्हीकल्स, बुलेटप्रूफ जैकेट्स और अन्य हथियारों का स्वदेशी निर्माण भी बढ़ा है।
4. साइबर सुरक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी
भारत ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी कई कदम उठाए हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आधुनिक तकनीकी उपकरणों का उपयोग कर साइबर अपराधों और आतंकवाद की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और इंटरनेट सुरक्षा और अपराध निवारण के लिए पहल की गई हैं।
मेक इन इंडिया का महत्व
मेक इन इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीकों का विकास करने से भारत को अपनी सुरक्षा में आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई है। यह न केवल भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करने में भी मदद करता है। इससे भारत के रक्षा बजट में भी बचत होती है, जो अन्य विकास कार्यों में निवेश किया जा सकता है।
निष्कर्ष
मेक इन इंडिया के तहत किए गए इन प्रयासों से भारत ने अपने सुरक्षा बलों के लिए अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों और तकनीकी आयुर्थों का निर्माण किया है। यह कार्यक्रम भारतीय रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
See lessवर्तमान में विश्व के अनेक राष्ट्रों के वैज्ञानिकों का एक प्रमुख ध्येय दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज है। भारत के द्वारा अंतरिक्ष शोध के विकास की विवेचना, विशेष रूप से 21वीं सदी में, इस ध्येय की पूर्ति के लिए कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
भारत द्वारा अंतरिक्ष शोध में विकास: 21वीं सदी में जीवन की खोज वर्तमान समय में अंतरिक्ष में जीवन की खोज एक प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य बन चुका है। विश्वभर में वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं। भारत ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, विशेषकर 21वीं सदी में, और अंतरिRead more
भारत द्वारा अंतरिक्ष शोध में विकास: 21वीं सदी में जीवन की खोज
वर्तमान समय में अंतरिक्ष में जीवन की खोज एक प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य बन चुका है। विश्वभर में वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं। भारत ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, विशेषकर 21वीं सदी में, और अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
भारत का अंतरिक्ष मिशन: प्रमुख उपलब्धियाँ
1. मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mangalyaan)
भारत ने 5 नवंबर 2013 को मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM), जिसे आमतौर पर मंगलयान के नाम से जाना जाता है, लॉन्च किया। यह मिशन भारत का पहला मंगल ग्रह पर भेजा गया उपग्रह था। इसकी सफलता ने भारत को मंगल ग्रह पर सबसे कम लागत में मिशन भेजने वाला देश बना दिया। इस मिशन का उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण, सतह, और वहां जीवन की संभावनाओं का अध्ययन करना था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
2. चंद्रयान-2 मिशन
भारत ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर पानी और अन्य खनिजों का पता लगाना था। यह मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की महत्वाकांक्षाओं को और बढ़ाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
3. गगनयान मिशन (मैन्ड मिशन)
भारत का गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है और भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा में भारतीय वैज्ञानिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करेगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:
अंतरिक्ष में जीवन की खोज: भारत की भूमिका
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम जीवन की संभावनाओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगल और चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को लेकर कई मिशन लॉन्च किए हैं। इन मिशनों का उद्देश्य न केवल अन्य ग्रहों की संरचना और सतह की जानकारी प्राप्त करना है, बल्कि उन ग्रहों पर जीवन के संकेतों की भी तलाश करना है।
मंगल पर जीवन की खोज
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर कभी जीवन हो सकता है, क्योंकि वहां पानी की मौजूदगी के संकेत मिल चुके हैं। भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन ने मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की उपस्थिति का पता लगाया, जो जीवन के संभावित संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा, शोधकर्ता वहां के वातावरण और सतह पर जीवन की स्थितियों की जांच कर रहे हैं।
चंद्रमा पर जीवन के संकेत
भारत के चंद्रयान-2 मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति का संकेत दिया, जो भविष्य में चंद्रमा पर जीवन के लिए आवश्यक जल स्रोत का संकेत हो सकता है। यह शोध इस दिशा में अहम भूमिका निभाता है, जिससे भविष्य में चंद्रमा पर स्थायी मानव बस्तियों की संभावना को बल मिलता है।
निष्कर्ष
भारत ने 21वीं सदी में अंतरिक्ष अनुसंधान में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मंगलयान, चंद्रयान-2 और गगनयान जैसे मिशनों ने भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है। इन शोधों से प्राप्त जानकारी से अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना का अध्ययन किया जा रहा है। भारत के इन प्रयासों से न केवल विज्ञान की सीमाओं को बढ़ाया गया है, बल्कि भविष्य में अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज में भी योगदान दिया जा रहा है।
See lessमानव विकास का मापन कैसे किया जाता है? मानव विकास कार्य-सूची को प्राप्त करने के लिए बिहार सरकार की सात प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार की योजनाओं को समझाइए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
मानव विकास का मापन मानव विकास का मापन मानव विकास सूचकांक (Human Development Index - HDI) के माध्यम से किया जाता है, जो जीवन स्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य के तीन प्रमुख आयामों पर आधारित है: जीवन प्रत्याशा – यह आयाम यह मापता है कि एक व्यक्ति औसतन कितने वर्षों तक जीवित रह सकता है। शिक्षा – यह शिक्षा के स्तRead more
मानव विकास का मापन
मानव विकास का मापन मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI) के माध्यम से किया जाता है, जो जीवन स्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य के तीन प्रमुख आयामों पर आधारित है:
इस सूचकांक के माध्यम से देशों और राज्यों के मानव विकास को मापने में मदद मिलती है और उन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता को पहचाना जा सकता है।
बिहार सरकार की सात प्रतिबद्धताएँ
बिहार सरकार ने मानव विकास कार्य-सूची प्राप्त करने के लिए सात प्रमुख प्रतिबद्धताएँ निर्धारित की हैं। ये प्रतिबद्धताएँ निम्नलिखित हैं:
सरकार की योजनाएँ और उनके लक्ष्यों की प्राप्ति
बिहार सरकार ने इन प्रतिबद्धताओं को हासिल करने के लिए विभिन्न योजनाएँ शुरू की हैं:
निष्कर्ष
बिहार सरकार ने मानव विकास कार्य-सूची में शामिल लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। हालांकि, इन योजनाओं का पूरा लाभ तब ही मिलेगा जब इनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित की जाए और राज्य में समग्र विकास को प्राथमिकता दी जाए।
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