“The Indian Parliament is not a sovereign legislature. It has vast but not unlimited powers.” Comment on this statement and highlight as to why the Indian Parliament cannot be equated with its British counterpart. [67th BPSC Main Exam 2022]
सत्ताधारी दलों द्वारा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग: एक विश्लेषण प्रस्तावना संविधान में देश की विभिन्न संस्थाओं को स्वायत्तता प्रदान की गई है, ताकि वे स्वतंत्र रूप से कार्य करें और सरकार या सत्ताधारी दलों से प्रभावित न हों। फिर भी यह आरोप अक्सर लगाया जाता है कि सत्ताधारी दल अपने निहित स्वार्थों केRead more
सत्ताधारी दलों द्वारा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग: एक विश्लेषण
प्रस्तावना
संविधान में देश की विभिन्न संस्थाओं को स्वायत्तता प्रदान की गई है, ताकि वे स्वतंत्र रूप से कार्य करें और सरकार या सत्ताधारी दलों से प्रभावित न हों। फिर भी यह आरोप अक्सर लगाया जाता है कि सत्ताधारी दल अपने निहित स्वार्थों के लिए संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करते हैं। यह आरोप मुख्य रूप से चुनाव आयोग, न्यायपालिका, केंद्रीय जांच एजेंसियों और अन्य संवैधानिक संस्थाओं के संदर्भ में उठता है। इस निबंध में, हम इस आरोप के पक्ष में और विपक्ष में तर्कों का विश्लेषण करेंगे।
सत्ताधारी दलों द्वारा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग: पक्ष में तर्क
- न्यायपालिका में हस्तक्षेप:
- न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करने के लिए पूरी स्वायत्तता दी जानी चाहिए। हालांकि, सत्ताधारी दलों द्वारा कभी-कभी न्यायपालिका में हस्तक्षेप देखा जाता है। उदाहरण स्वरूप, न्यायपालिका के प्रमुख नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार का प्रभाव, जो न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
- प्रसंग: हाल ही में, सीजेआई (Chief Justice of India) के पद की नियुक्ति में सरकार और न्यायपालिका के बीच विवाद उत्पन्न हुआ था। सरकार का न्यायाधीशों की नियुक्ति पर प्रभाव और न्यायिक नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप अक्सर उभरते हैं।
- चुनाव आयोग का दुरुपयोग:
- चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है, लेकिन कई बार यह आरोप लगाया जाता है कि चुनाव आयोग चुनावों के दौरान सरकार के प्रभाव में कार्य करता है। यह विशेष रूप से तब महसूस होता है जब चुनावी परिणामों के बाद यह लगता है कि आयोग ने सत्ता पक्ष के पक्ष में निर्णय लिए हैं।
- प्रसंग: 2014 और 2019 के आम चुनावों के समय कुछ आलोचकों ने चुनाव आयोग के फैसलों पर सवाल उठाए थे, खासकर चुनावी नियमों के लागू करने के संदर्भ में। चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर नज़रअंदाज़ किए गए कई विवादास्पद मुद्दे इस दुरुपयोग को स्पष्ट करते हैं।
- केंद्रीय जांच एजेंसियों का राजनीतिक उद्देश्य के लिए उपयोग:
- केंद्रीय जांच एजेंसियां, जैसे कि सीबीआई (CBI) और ईडी (ED), अक्सर यह आरोप लगाते हुए राजनीतिक उद्देश्य के लिए दुरुपयोग की जाती हैं कि ये संस्थाएँ विपक्षी नेताओं और दलों के खिलाफ सत्ताधारी दल के आदेशों पर कार्य करती हैं।
- प्रसंग: कई विपक्षी नेताओं ने सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग करके उन्हें डराने-धमकाने और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया है। जैसे 2017 में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता ममता बनर्जी ने सीबीआई के दुरुपयोग की बात की थी।
- संविधानिक संस्थाओं पर नियंत्रण:
- कई बार यह देखा गया है कि सत्ताधारी दल संवैधानिक संस्थाओं पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास करते हैं, ताकि उनके स्वार्थ को पूरा किया जा सके। इससे संस्थाओं की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर खतरा उत्पन्न होता है।
- प्रसंग: भारतीय राष्ट्रीय मानक बोर्ड (BIS) और केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (CBSE) में नियुक्तियां और सरकार के हस्तक्षेप के उदाहरण दर्शाते हैं कि किस प्रकार सरकार संस्थाओं को अपनी इच्छा के अनुरूप मोड़ने की कोशिश करती है।
विपक्ष में तर्क
- संविधान द्वारा प्रदत्त स्वायत्तता:
- भारत के संविधान ने सभी संवैधानिक संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की व्यवस्था दी है, ताकि वे अपने कर्तव्यों को निष्पक्ष रूप से निभा सकें। यह कहना कि सत्ताधारी दल इन संस्थाओं का दुरुपयोग करते हैं, सभी संस्थाओं की निष्पक्षता और स्वतंत्रता की अवहेलना करना हो सकता है।
- संविधानिक संस्थाओं का नियंत्रण:
- यह सच है कि सत्ताधारी दलों का कुछ हद तक प्रभाव होता है, लेकिन अधिकांश संवैधानिक संस्थाएँ स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। उच्च न्यायालयों और निर्वाचन आयोग ने कई बार सत्ताधारी दलों के फैसलों का विरोध किया है और उन्हें ठीक किया है।
- प्रसंग: 2019 के आम चुनावों में चुनाव आयोग ने सत्ताधारी दलों के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे, जब उन्हें चुनावी धांधली और गलत प्रचार के आरोपों का सामना करना पड़ा था। इसका मतलब यह है कि संस्थाएँ अपनी स्वायत्तता बनाए रखती हैं।
- संविधानिक संस्थाओं की भूमिका:
- सत्ताधारी दल भले ही कुछ मामलों में प्रभाव डालने की कोशिश करते हों, लेकिन संविधानिक संस्थाएँ अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहती हैं। उदाहरण के रूप में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सीबीआई जैसी संस्थाएँ बहुत से मामलों में सत्ताधारी दलों के दबाव के बावजूद अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने में सफल रही हैं।
निष्कर्ष
यह कहना कि सत्ताधारी दल अपने निहित स्वार्थों के लिए संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करते हैं, एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। जबकि कुछ उदाहरणों में यह आरोप सही प्रतीत होते हैं, वहीं कई बार संवैधानिक संस्थाएँ स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं और सत्ताधारी दल के प्रभाव से बाहर रहती हैं। अतः, यह सुनिश्चित करना कि संवैधानिक संस्थाएँ अपनी स्वायत्तता बनाए रखें, सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिए संस्थाओं को सशक्त और स्वतंत्र बनाने के उपायों की आवश्यकता है, ताकि लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके।
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The statement "The Indian Parliament is not a sovereign legislature. It has vast but not unlimited powers" highlights a key distinction between the Indian and British parliamentary systems. While the Indian Parliament is one of the most powerful legislative bodies in the world, its powers are not wiRead more
The statement “The Indian Parliament is not a sovereign legislature. It has vast but not unlimited powers” highlights a key distinction between the Indian and British parliamentary systems. While the Indian Parliament is one of the most powerful legislative bodies in the world, its powers are not without limitations. These limitations arise from the Constitution of India, which lays down certain boundaries that the Parliament cannot cross. This sets the Indian Parliament apart from the British Parliament, which is truly sovereign.
The Concept of Sovereignty
Sovereignty refers to the supreme power or authority of a state or legislature to make laws without external interference. A sovereign legislature has the power to legislate on any matter, without being restricted by any higher authority.
Limitations on Indian Parliament’s Powers
1. Constitutional Supremacy
2. Judicial Review
3. Division of Powers
4. Fundamental Rights
5. Limits of Amendments
Differences Between the Indian Parliament and the British Parliament